उदयपुर

बोर्ड या शिक्षा विभाग ? : इस बार भी 93 हजार टॉपर्स को नहीं मिलेंगे टैबलेट! : सबसे बड़ी चिंता 222,करोड़ रुपए कौन देगा ?

चन्द्र शेखर मेहता
बोर्ड या शिक्षा विभाग ? : इस बार भी 93 हजार टॉपर्स को नहीं मिलेंगे टैबलेट! : सबसे बड़ी चिंता 222,करोड़ रुपए कौन देगा ?
बोर्ड या शिक्षा विभाग ? : इस बार भी 93 हजार टॉपर्स को नहीं मिलेंगे टैबलेट! : सबसे बड़ी चिंता 222,करोड़ रुपए कौन देगा ?
  • विशेष रिपोर्ट : चन्द्र शेखर मेहता उदयपुर 

उदयपुर :

बोर्ड एग्जाम में टॉपर्स रहे 93 हजार स्टूडेंट्स को अब तक टैबलेट नहीं मिले हैं। हालांकि दावा किया जा रहा है कि शिक्षा निदेशालय ने टैंडर जारी कर दिए है। लेकिन, संशय इस बात पर है कि इसका बजट कौन देगा।

दरअसल, बोर्ड एग्जाम में टॉपर्स रहे स्टूडेंट्स को लैपटॉप के बजाय टैबलेट देने की घोषणा तो कर दी गई लेकिन फंड की व्यवस्था नहीं होने से अभी तक टैबलेट नहीं बांटे जा सके है।

इसका खर्चा पहले शिक्षा विभाग वहन करता था लेकिन इस बार टैबलेट वितरण के लिए करीब 222 करोड़ का खर्चा सरकार ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर डाल दिया। लेकिन, बोर्ड ने यह फंड मुहैया कराने को लेकर कोई निर्णय नहीं किया है और न ही अपनी सहमति अभी तक दी है।

जानकारों का मानना है कि आगामी कुछ माह में चुनाव आचार संहिता लग जाएगी और ऐसे में टैबलेट मिलेंगे या नहीं, अभी असमंजस बरकरार है। जानकार सूत्रों के अनुसार अब एक ही तरीका है कि सरकार अपने स्तर पर इसकी व्यवस्था करे।

  • शिक्षा निदेशालय ने मांगा फंड, RBSE ने नहीं दी सहमति

माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर के वित्तीय सलाहकार की ओर से बोर्ड सचिव को भेजे गए पत्र में बताया है कि वर्ष 2019-20, 2020-21. 2021-22 एवं 2022-23 में माध्यमिक शिक्षा विभाग के कक्षा 8, 10 और 12 के मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप के स्थान पर टैबलेट 3 वर्ष के इंटरनेट कनेक्शन के साथ प्रदान किए जाने हैं।

93 हजार टैबलेट बांटे जाने हैं और एक की कीमत करीब 23,900 रुपए है। टैबलेट का कुल खर्च 222.27 करोड़ रुपए है, जो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा वहन किया जाना है। अतः उक्त राशि की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए सूचित करें ताकि टैबलेट खरीदने संबंधी कार्यवाही पूर्ण की जा सके।

इस पत्र के बाद बोर्ड प्रशासन ने विशेषाधिकारी, वित्तीय सलाहकार रश्मि बिस्सा, डिप्टी सेक्रेटरी राजेश निर्वाण, उपनिदेशक गणेश चौधरी की चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया। कमेटी की बैठकें भी हुई लेकिन पैसे देने पर सहमति नहीं बनी।

जानकार सूत्रों के अनुसार बोर्ड ने निदेशालय को साफ तौर पर रुपए देने से मना कर दिया है। यही कारण है कि अभी तक कमेटी की ओर से कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। बोर्ड की ओर से भी राज्य सरकार को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी गई।

  • इधर, अधिकारियों का दावा, उन्हें मामला जानकारी में नहीं है

शिक्षा निदेशालय बीकानेर के वित्तीय सलाहकार संजय धवन ने बताया कि टॉपर्स को टैबलेट वितरण करने के लिए टैंडर कर दिए गए है और 18 अगस्त को खोले जाएंगे। जहां तक बजट का सवाल है तो राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से खर्चा वहन किया जाएगा, इसके लिए निर्णय सरकार ने पहले ही कर लिया। बोर्ड को पत्र भेजा जा चुका है लेकिन उनका अब तक किसी तरह का कोई जवाब नहीं आया है। अगर बोर्ड पैसा नहीं देता है तो सरकार इस सम्बन्ध में निर्णय कब लेगी। इसमें सन्देह है l 

  • फंड की व्यवस्था नहीं हुई तो इस साल भी अटक जाएंगे टैबलेट.
  • राज्य सरकार की घोषणा के बाद शिक्षा निदेशालय बीकानेर की ओर से इसकी तैयारी कर  रही है। पर कब ? 
  • टैंडर होने के बाद फंड जमा होगा और इसके बाद इसका प्रोसेस शुरू हो जाएगा। यह भी तय नहीं हो पाया !
  • लेकिन, एक सवाल ये भी है कि यदि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यह रुपए नहीं देता है तो क्या होगा ? बताया जा रहा है कि दूसरा ऑप्शन ये होगा कि सरकार को अपने स्तर पर इस फंड को जुटाना होगा। और, सरकार की ओर से भी इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था नहीं होती है तो इस बार भी टैबलेट अटक जाएंगे.
  • ये कोरी,बात रह जाएगी.
  • बोर्ड कर्मचारी जता चुके है विरोध

सरकार के इस फैसले को लेकर बोर्ड में कर्मचारियों ने विरोध पहले ही जता दिया है। बोर्ड मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष व बोर्ड कर्मचारी नेता मोहनसिंह रावत ने कर्मचरियों के ग्रुप में मैसेज कर इस निर्णय का विरोध करने की अपील की थी। उनका कहना रहा कि सरकार को यह खर्च बोर्ड पर डालने के बजाय खुद के स्तर पर इसके बजट की व्यवस्था करनी चाहिए। बोर्ड को यह पैसा नहीं देना चाहिए। बोर्ड के खर्चे दिनों दिन बढ़ रहे है और ऐसे में अगर बोर्ड इतनी बड़ी राशि देगा तो कर्मचारियों के पेंशन, वेतन सहित अन्य खर्चे में भी आने वाले समय में परेशानी बढ़ जाएंगे।

  • चार सेशन से नहीं बांटे गए लैपटॉप

बोर्ड एग्जाम के होनहार स्टूडेंट्स  को लैपटॉप देने की योजना वर्ष पूर्व में लागू हुई थी। शिक्षा विभाग की इस योजना के तहत राज्य स्तर पर कक्षा 8वीं, 10वीं / प्रवेशिका और 12वीं सभी संकायों में 75% या इससे अधिक मार्क्स लाने वाले प्रत्येक कक्षा के 6 हजार और जिला स्तर प्रत्येक जिले के 100-100 मेधावी विद्यार्थियों को, जिन्होंने 70 फीसदी या इससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं को इस योजना का लाभ दिया जाता है।

2019 के सेशन से अब तक एक बार भी लैपटॉप नहीं दिए गए हैं। हर साल जिलेवार लिस्ट तैयार तो की गई, पर शिक्षा निदेशालय ने लैपटॉप नहीं दिया। नतीजा यह रहा कि सेशन 2019-20, 2020-21, 2021-2022, 2022-2023 के टॉपर्स को अभी तक लैपटॉप नहीं मिल पाए। हाल ही में सरकार ने लैपटॉप के बजाय टैबलेट देने की बात कहीं, पर हुआ कुछ भी नहीं ,बच्चों को इंतजार है, जो इंतजार ही रहेगा l

ये  50 लाख महिलाओ को मोबाइल देना ज्यादा आवश्यक है या प्रतिभा शाली बच्चों को पढ़ने के लिए लेपटॉप देना आवश्यक है, अभिभावक बताए?

  • सरकार को वोटो की राजनीति बच्चों के साथ नहीं करना चाहिए...

जसराज मेहता, ट्रस्टी मेनारिया प्रतिभा न्यास उदयपुर

  • सरकार यदि प्रतिभा शाली बच्चों को प्रोत्साहन के लिए लेपटॉप नहीं दे सकती है, तो एसे वादे भी बच्चों से नहीं करने चाहिए l इस तरह तो बच्चों में उत्साह  नहीं रहेगा l बच्चों के दिल पर क्या  गुजर रही होगी l आज तो बच्चों के लिए  लेपटॉप अत्यन्त आवश्यक होता हैl 

गजेन्द्र चंडालिया समाज सेवी,  जिला महामंत्री, भाजपा, उपाध्यक्ष प्रतिभा संस्था, प्रतापगढ़

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