धर्मशास्त्र

जीण माता मंदिर में आने वाले हर श्रद्वालु की होती है मनोकामना पुरी : औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे घुटने

Paliwalwani
जीण माता मंदिर में आने वाले हर श्रद्वालु की होती है मनोकामना पुरी : औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे घुटने
जीण माता मंदिर में आने वाले हर श्रद्वालु की होती है मनोकामना पुरी : औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे घुटने

● संगमरमर का विशाल शिवलिंग और नंदी प्रतिमा आकर्षक : जीणमाता धाम और हर्षनाथ भैरव के रूप में प्रसिद्ध

सीकर (तिलक माथुर-केकड़ी...)। देवी मां के भारत भर में कई अनेकों चमत्कारी व अद्भुत मंदिर हैं जिनमें उन्हें कई प्रकार के प्रसाद व चढ़ावा दिया जाता है। कहीं देवी मंदिर में बली चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है तो कहीं पर उन्हें सिर्फ फूल और मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है देवी का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर भी है जहां उन्हें शराब का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। इस मंदिर में मां अंबे के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर सीकर जिले के घांघू गांव में स्थित है। राजस्थान का यह प्रसिद्ध मंदिर जीणा माता मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं।

लोगों का मानना है की यहां मां से मांगा जीत का आशीर्वाद जरुर पूरा होता है वहीं हर मनोकामना पूरी होती है। सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के दिनों यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। जीण माता का मंदिर के बारे में कोई प्रमाणित जानकारी नहीं है जिसमें इसकी सटिक जानकारी उपलब्ढ हो किंतु फिर भी अनुमानित बताया जाता है कि यह मंदिर करीब एक हजार साल पुराना मंदिर है। जीणा माता का वास्तविक नाम जयंती माता है। कहा जाता है की जीणा माता देवी दुर्गा का ही अवतार है। घने जंगल से घिरा यह मंदिर तीन छोटी पहाड़ों के संगम पर स्थित है। इस मंदिर में संगमरमर का विशाल शिवलिंग और नंदी प्रतिमा आकर्षक है। ऐसा कहा जाता है कि जीण माता की इस मंदिर को तुड़वाने के लिए औरंगजेब ने सैनिक भेजे थे देवी की महिमा अपरम्पार है उन्होंने मधुमक्खियों के रूप में आकर मंदिर की रक्षा थी। ऐसा होते देख गांव वालो की माता के प्रति श्रद्धा और बढ़ गयी और औरंगजेब अपने कार्यों में असफल हो गया। एक बार जब औरंगजेब बीमार पड़ा तो उसे उसी समय अपनी गलती का एहसास हुआ और जीण माता के मंदिर में हर महीने सवा मन तेल चढ़ाने का वचन दिया। जब उसने माफी मांगी तो माता ने उसे माफ कर दिया। उसी दिन से मुगल बादशाह को माता के प्रति श्रद्धा बढ़ गई, इस मंदिर में जीण माता के दर्शन करने लोग बाहर से भी आते है। उल्लेखनीय है कि जीण माता का जन्म घांघू गांव के एक चौहान वंश के राजा घंघ के घर में हुआ था। जीण का एक बड़ा भाई था हर्ष, दोनों भाई बहनों में बहुत प्रेम था। लोग जीण को देवी और हर्ष को शिव का रूप मानते थे। ऐसा कहा जाता है कि जीण एक दिन अपनी भाभी के साथ सरोवर से पानी भरने गई थी। वहीं पर जीण और उनकी भाभी में बहस हो गई की हर्ष सबसे ज्यादा किससे प्रेम करते है। उन्होंने शर्त रखी हर्ष जिसका मटका सबसे पहले सिर से उतार कर नीचे रखेंगे वो उसे ही सबसे ज्यादा प्रेम करते है। फिर दोनों लोग मटका लेकर हर्ष के सामने पहुंची, सबसे पहले हर्ष ने अपनी पत्नी का मटका नीचे उतारा और जीण शर्त हार गई। उसके बाद जीण नाराज होकर अरावली पर्वत के शिखर पर भगवती की तपस्या करने में लग गई और हर्ष उसे मनाने गया तो जीण तपस्या में लीन थी। उसके बाद हर्ष भी भैरव भगवान की तपस्या करने लगा और फिर दोनों जीणमाता धाम और हर्षनाथ भैरव के रूप में प्रसिद्ध हो गए।

● जीणमाता का मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना 

जीण माता राजस्थान के सीकर जिले में स्थित धार्मिक महत्त्व का एक गाँव है। यह सीकर से 29 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहाँ की कुल जनसंख्या 4359 है। यहाँ पर श्री जीण माता जी (शक्ति की देवी) का एक प्राचीन मन्दिर स्थित है। जीणमाता का यह पवित्र मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना माना जाता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से 108 किलोमीटर है, जीण माताजी मंदिर रेवसा गांव से 10 किमी पहाड़ी के पास स्थित है। यह घने जंगल से घिरा हुआ है। उसका पूर्ण और वास्तविक नाम जयंतलाल था। इसके निर्माण का वर्ष ज्ञात नहीं है, लेकिन सर्वमण्डपा और खंभे निश्चित रूप से बहुत पुरानी हैं। मूगल सम्राट औरंगजेब माता के मंदिर के मैदान पर उतरना चाहता था। उसके पुजारियों द्वारा बुलाया जाने वाला, माता ने भैरों की अपनी सेना को छोड़ दिया (एक मक्खी परिवार की प्रजाति) जिसने सम्राट और उसके सैनिकों को अपने घुटनों पर लाया। उसने माफी मांगी और दयालु मातजी ने उसे अपने गुस्से से माफ़ किया। औरंगजेब ने अपने दिल्ली महल से अखण्ड (कभी-चमक) तेल का दीपक दान किया। माता के पवित्र संस्कार में यह दीपक अभी भी चमक रहा है। सीकर जिले का अन्य प्रसिद्ध मंदिर, खाटूश्यामजी 22 किलोमीटर की दूरी पर हैं।

राजसी के योद्धा वर्ग के जंगली की कुलदेवी 

जीण माता के मुख्य अनुयायियों में क्षेत्र के सैनी, यादव (अहिर), ब्राह्मण, राजपूत,गुर्जर समाज के गौत्र लादी, अग्रवाल, जंजीर और मीनास ओनिन्थ बानियां शामिल हैं। जीण माता,सैनी यादव (अहिर), अग्रवाल,स्वर्णकार,मीना, शेखावाती राजपूत (शेखावत और राव राजपूत) और राजसी के योद्धा वर्ग के जंगली, की कुलदेवी हैं। जीण माता के अनुयायियों की एक बड़ी संख्या कोलकाता में रहते हैं, जो माई के मंदिर पर जाते रहते हैं। जो लोग जीण माताजी को अपनी मां के रूप में आदर करते हैं, उनके परिवार में नर बच्चे के जन्म के लिए प्रार्थना करते हैं और पुत्र के जन्म के बाद ही मंदिर की यात्रा करने का प्रतिज्ञा करते हैं। नर बच्चे के जन्म के बाद पूरे परिवार में जीण माता जी का दौरा किया जाता है और मंदिर के परिसर में पहले बाल काट (राजस्थानी में जडूला के रूप में जाना जाता है) की पेशकश की जाती है।

जीण माता मंदिर में आने वाले हर श्रद्वालु की होती है मनोकामना पुरी

● पालीवाल वाणी ब्यूरो...✍️

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