राजसमन्द

विधि विद्यार्थियों ने न्यायालय और जिला जेल का भ्रमण किया

Suresh Bhat...✍️
विधि विद्यार्थियों ने न्यायालय और जिला जेल का भ्रमण किया
विधि विद्यार्थियों ने न्यायालय और जिला जेल का भ्रमण किया

राजसमंद। सेन्ट मीरा विधि महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने गुरूवार को जिला न्यायालय एवं जिला कारागृह का अवलोकन किया। निदेशिका डॉ. बृजलता चौधरी ने बताया कि मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमानुसार एवं बीसीआई नई दिल्ली के निर्देशानुसार महाविद्यालय के विधि प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों ने महाविद्यालय व्याख्याता मनीष शर्मा, श्याम सिंह के निर्देशन में तथा जिला एवं सेशन न्यायाधीश देवेद्र जोशी के आदेश जेएम कोर्ट, एसीजेएम कोर्ट, एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का विजिट किया और न्यालय की प्रक्रिया को जाना। जिला विधिक सेवा के सचिव नरेद्र गहलोत ने नि:शुल्क विधिक सेवा एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के बारे में जानकारी दी। कारागृह में जेलर शीवेद्र शर्मा के निर्देश पर मुख्य इन्चार्ज नाथूसिंह, प्रहरी बद्रीलाल की मौजुदगी में विद्यार्थियों ने जेल, डिसपेन्सरी, कैदी मुलाकात कक्ष एवं रसोईघर का अवलोकन किया। अवलोकन के दौरान इन्चार्ज नाथू सिंह ने बताया कि जेल में करीब 135 पुरूष कैदी है। जिला जेल के अवलोकन के बाद कारागृह की बारीकियों को समझा जिसमें जेल की साफ-सफाई, भोजन व्यवस्था भी देखी कैदियों से बात कर उनकी समस्याएं सुनी।

कैदियों से किए कई सवाल

सेंट मीरा लॉ कॉलेज की छात्राओं ने गुरुवार दोपहर जिला कारागृह का अवलोकन किया। छात्राओं ने जेल में प्रवेश करते ही सवाल शुरू कर दिए। छात्राओं ने जेल में मंदिर में क्यों है...? क्या बंदी पूजा भी कर सकते हैं? जेल में कितने बंदी है? क्या क्षमता है? क्या बंदी त्यौहार पर घर जा सकते हैं? कब तक जेल में रख सकते हैं? सरीखे कई सवाल कर दिए। जवाब में जेल अधीक्षक बोले कि जेल में बंदियों की जीवनशैली सामान्य ही है। वे सिर्फ बाहरी दुनिया से कटे रहते हैं। राजसमंद में छोटी जेल है] जहां सिर्फ ट्रायल केस के बंदियों को रखा हुआ है और सजा भुगतने वाले सभी बंदियों को उदयपुर शिफ्ट कर दिया जाता है। बड़ी जेलों में बंदियों के काम करने के साथ खेलकूद व्यवस्थाएं भी रहती है। काम करने वाले बंदी को वेतन भी मिलता है। बंदियों की स्वास्थ्य जांच के लिए चिकित्सक व कम्पाउंडर आते हैं और दवा देकर जाते हैं। गंभीर बीमार होने पर उसे अस्पताल ले जाने की व्यवस्था करते हैं। ट्रायल मामले में जमानत पर घर जा सकता है। जबकि सजा काटने वाले बंदी को पैरोल अवकाश का प्रावधान है। बंदियों से भी किए सवाल कारागृह की बैरक में खड़े एक बंदी से सवाल किया कि आपने क्या गुनाह किया। जिसकी वजह से जेल आना पड़ा। जवाब दिया, मैंने लूट की। तपाक से छात्राएं बोली-लूट क्यों की? क्या अब दोबारा ऐसी वारदात को अंजाम दोगे? कुछ देर रूककर बंदी बोल-नही, मैं ऐसा नहीं करुंगा, मुझे जमानत दिलवा दो।
फोटो राजसमंद। जिला कारागृह का अवलोकन करते सेन्ट मीरा विधि महाविद्यालय के विद्यार्थी।

पालीवाल वाणी ब्यूरो-Suresh Bhat...✍️ 
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