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गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में कौन बनेगा सरदार : फंसा पेज
Paliwalwaniभाजपा दोबारा गोवा और उत्तराखंड की सत्ता पर काबिज हो गई है। उत्तराखंड में जहां भाजपा को बहुमत मिल गया हैं तो वहीं गोवा में पार्टी को सरकार बनाने के लिए निर्दलीय विधायकों के साथ महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायकों ने भी अपना समर्थन दे दिया है। दोनों ही राज्यों में बहुमत जुटाने के बाद भी अब तक सरकार गठन की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। मतगणना के छह दिन बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ऐसी कौन अड़चन है जिसने भाजपा की सरकार बनाने की राह रोक दी है। इसके जवाब में पार्टी बड़े नेताओं द्वारा कुछ अहम कारण गिनाए जा रहे हैं।
उत्तराखंड में भाजपा को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। पार्टी ने यहां 70 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें राज्य में पहली बार लगातार दूसरी बार अपने दम पर बहुमत हासिल किया है। लेकिन सीएम पुष्कर सिंह धामी खुद खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। ऐसे में भाजपा नेतृत्व के सामने यह दुविधा है कि वह धामी को फिर से कमान सौंपे या नए सीएम के रूप में किसी चुने हुए विधायक का चुनाव करें।
नाम न छापने के अनुरोध पर पार्टी के एक महासचिव ने अमर उजाला से कहा कि अभी तक पुष्कर सिंह धामी के लिए करीब छह विधायक अपनी सीट छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं, जो धामी के लिए राहत वाली बात है। लेकिन आखिरी फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है। पार्टी अपने पिछले कार्यकाल में तीन सीएम बदल चुकी है। इसलिए वह इस बार ऐसे कोई चेहरा देना चाह रहे हैं, जो पांच साल तक सीएम का कार्यकाल पूरा भी करे और 2024 में राज्य के सभी पांचों लोकसभा सीट पर जीत दिलाने का लक्ष्य भी पूरा सके।
विधायक ऋतु खंडूड़ी भूषण का नाम चर्चा में
उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने पूर्व में जिस तरह गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन कर चौंकाया था, वैसा ही पार्टी उत्तराखंड में भी कर सकती है। संभव है कि निर्वाचित विधायकों में से ही किसी नए चेहरे को अवसर दिया जाए। रेस में धामी, धन सिंह रावत, गणेश जोशी के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री और कोटद्वार से नवनिर्वाचित विधायक ऋतु खंडूड़ी भूषण का नाम चर्चा में हैं। उत्तराखंड की इसी ऊहापोह में फिलहाल गोवा का मामला भी अटक गया। गोवा को लेकर भी हाईकमान ने अपने स्तर पर बैठक करना शुरू कर दिया है। बल्कि ऐसा भी हो सकता है कि चारों राज्यों के सीएम के शपथ ग्रहण की तारीखों आदि की घोषणा एक साथ की जा सकती हैं।
पार्टी महासचिव ने बताया, भाजपा में अधिकांश नेता ज्योतिष और मुहूर्त में विश्वास रखते हैं। इसके अगले दिन से ही होलाष्टक लग गया है। इसमें कोई भी शुभ शुरुआत वर्जित मानी गई है। इसी वजह से उत्तराखंड, गोवा समेत सभी राज्यों में शपथ ग्रहण अटका हुआ हैं। पार्टी में कोई विवाद या भ्रम की स्थिति कहीं नहीं है।
एन बीरेंद्र और सावंत ने की पीएम से मुलाकात
इस बीच मणिपुर और गोवा के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन बीरेंद्र सिंह और प्रमोद सावंत ने बुधवार को संसद भवन में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, होली के बाद प्रमोद सावंत मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले सकते हैं। इसके अलावा मणिपुर में भी भाजपा ने मौजूदा सीएम बीरेन सिंह को ही एक बार फिर जिम्मेदारी देने का फैसला किया है।
पीएम मोदी और मणिपुर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के बीच मुलाकात के बाद पीएम ने कहा कि हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत पर एन बीरेन सिंह को बधाई दी है। हमारी पार्टी मणिपुर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए और अधिक मेहनत करने के लिए प्रतिबद्ध है। गोवा के कार्यवाहक सीएम प्रमोद सावंत और गोवा भाजपा नेताओं ने भी दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। हम आने वाले समय में गोवा की प्रगति के लिए काम करते रहेंगे।