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VACCINATION UPDATE : अब टीके लगाने के लिए नहीं लगेगा इंजेक्शन, नहीं होगा इंजेक्शन जैसा दर्द

Paliwalwani
VACCINATION UPDATE : अब टीके लगाने के लिए नहीं लगेगा इंजेक्शन, नहीं होगा इंजेक्शन जैसा दर्द
VACCINATION UPDATE : अब टीके लगाने के लिए नहीं लगेगा इंजेक्शन, नहीं होगा इंजेक्शन जैसा दर्द

बहुत से लोगों को इंजेक्शन का नाम सुनते ही डर लगने लगता है. यूं तो ये छोटा सा ही प्रोसेस होता है, लेकिन सुई चुभने का दर्द बहुतों की हवाइयां उड़ा देता है. खास ऐसे ही लोगों ने ऐसी फ्यूचर वैक्सीन डेवलप कर ली है, जिसका प्रभाव सामान्य टीके से कहीं ज्यादा होगा और दर्द इससे बहुत कम. आप सोच रहे होंगे, कि ऐसा कैसे संभव है? तो जनाब विज्ञान के पास हर चीज़ का जवाब है.

वैज्ञानिकों की टीम ने इंजेक्शन के विकल्प के तौर पर छोटे 3D पैच प्रिंटेड माइक्रोनेडल वैक्सीन (3D-Printed Microneedle Patch Vaccine) विकसित की है. इस तरह की वैक्सीन दर्द वाली सुई का अच्छा और बेहतर विकल्प हो सकती है. कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इस टीके को लेकर रिसर्च की गई है और चूहों पर इसका प्रयोग कामयाब भी रहा है. ऐसे में इंसानों के लिए भी इस तरह पैच वैक्सीन को बनाने पर रिसर्च आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि वैक्सीनेशन आसान हो सके.

चूहों पर सफल रहा है 3D वैक्सीन का ट्रायल

रिपोर्ट के मुताबिक इंजेक्शन का इम्यून रेस्पॉन्स 10 गुना ज्यादा रहा और 50 गुना ज्यादा टी-सेल और एंटीजन-स्पेसिफिक एंटीबॉडी रेस्पॉन्स पाया गया. सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि पैच वैक्सीन को लेने के लिए आपको किसी स्पेशलिस्ट या ट्रेंड नर्स की ज़रूरत नहीं होगी, बल्कि आप खुद ही इसे ले सकते हैं. इसमें इंजेक्शन के शॉट्स की तुलना में कहीं कम दर्द होगा. ये सिक्के से भी छोटा पॉलिमर पैच होगा, जिसमें दवाई की भी कम ज़रूरत होगी. ट्रिपैनो फोबिया यानि इंजेक्शन को देखकर ही भाग खड़े होने वालों के लिए ये पैच वैक्सीन खासी राहत देने वाली होगी.

कैसे काम करेगी पैच वैक्सीन?

पॉलीमर माइक्रोनीडल वैक्सीन पैच एक CLIP प्रोटोटाइप 3D प्रिंटर का उपयोग करके प्रिंट किए जाते हैं. माइक्रोनेडल्स को वैक्सीन फ्लूड के साथ कोट कर दिया जाएगा. ये जैसे ही स्किन की लेयर में एंट्री करेगा, वैक्सीन का फ्लूड डिजॉल्व हो जाएगा. इस टीके के माध्यम से दवा मांसपेशियों तक पहुंच सकेगी. पैच वैक्सीन का ट्रायल चूहों में तो सफल रहा है, लेकिन इंसानों में अभी इसका ट्रायल नहीं किया गया है. एक बार क्लिनिकल ट्रायल सफल होने के बाद ये वैक्सीन मार्केट में आ जाएगी. इस तकनीक के ज़रिये दर्दरहित तरीके से लोगों तक दवा पहुंचाने में मदद मिलेगी.

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