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नकली नोट छाप रहे पिता-पुत्र को पुलिस ने रंगे हाथों किया गिरफ्तार
Paliwalwaniबदायूँ : अलापुर थाना क्षेत्र के भसराला गांव में पकड़े गए पिता-पुत्र बाजार में अब तक करीब 50 हजार रुपये के नकली नोट खपा चुके थे। वे पिछले तीन माह से नकली नोट बनाने का धंधा कर रहे थे। मुखबिर की सूचना पर रविवार को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। उनके पास से नकली नोट बनाने का सामान बरामद हुआ। सोमवार को पुलिस ने मामला दर्ज कर दोनों को जेल भेज दिया।
रविवार दोपहर अलापुर इंस्पेक्टर संजीव कुमार शुक्ला और एसओजी प्रभारी धर्मेंद्र कुमार ने भसराला गांव में मुखबिर की सूचना पर दबिश दी थी। पुलिस को सूचना मिली थी कि नूरुल हसन और उसका बेटा शब्बू उर्फ शहबाज अपने घर में नकली नोट छाप रहे हैं। इस पर दोनों ने टीम के साथ उनके घर को घेर लिया। उस वक्त दोनों पिता-पुत्र घर पर मौजूद थे। वे नकली नोटों की काट छांट कर रहे थे। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। मौके से एक प्रिंटर, कटर मशीन, कागज और 20 हजार के नकली नोट व 14 सौ रुपये असली तथा चार मोबाइल फोन बरामद किए थे।
देर रात तक उनसे पूछताछ चलती रही, लेकिन तब तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई थी। सोमवार को इंस्पेक्टर संजीव कुमार शुक्ला ने इसका खुलासा करते हुए बताया कि पिता-पुत्र करीब तीन माह से अपने घर में नकली नोट बनाने का धंधा कर रहे थे। अब तक वह करीब 50 हजार के नकली नोट बाजार में खपा चुके थे। वह प्रिंटर और कागज का रिम दिल्ली से खरीदकर लाए थे। उनके पास से बरामद सामान जब्त कर लिया गया है। दोनों आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। सोमवार दोपहर दोनों आरोपी जेल भेज दिए गए।
दोनों पिता-पुत्र का नोट खपाने का तरीका बहुत आसान था। बताते हैं कि वह दस नोट में दो-तीन नोट नकली लगा देते थे। कभी रात के अंधेरे में नोट चला देते थे। वह दो सौ के नकली नोट में पचास रुपये का सामान खरीदते और डेढ़ सौ रुपये असली आ जाते थे। इसके अलावा उन्होंने थोक में नोट लेने वालों को एक हजार में तीन हजार के नकली नोट भी दिए हैं। यह नकली नोट बाजार में भी आ चुके हैं।
नकली नोट छापने की सूचना पर सोमवार को बरेली से एटीएस की टीम अलापुर थाने पहुंची। टीम ने आरोपी पिता-पुत्र से जानकारी ली। इसके अलावा बदायूं की एलआईयू टीम भी थाने पहुंची और मामले की जानकारी जुटाई। आरोपी पिता-पुत्र का नोट बनाने का तरीका काफी सरल था। वह असली नोट को एक सादा कागज पर चिपकाते थे। फिर उसे स्कैन करते थे और उसका प्रिंट निकाल लेते थे। बाद में साइज के हिसाब से कटर मशीन से नोट काटते थे। उस पर हरे रंग का टेप चिपका देते थे।