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गायब हो गया ओम पर्वत, आसमान खा गया या धरती निकल गई?
paliwalwaniआ गया पृथ्वी के विनाश का समय, पर्वत से गायब है 'ॐ', कहां गया छोटा कैलाश बर्फ से ढका ओम पर्वत अचानक बर्फ विहीन हो गया है. करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र रही ओम की आकृति भी अचानक गायब हो गई. केवल काला पहाड़ ही देखना बाकी है. ओम पर्वत की ऐसी हालत देखकर स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटक और वैज्ञानिक भी हैरान हैं.
ओम पर्वत से बर्फ पिघलने का कारण हिमालय में लगातार बढ़ता तापमान है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में विश्व प्रसिद्ध ओम पर्वत से बर्फ पूरी तरह पिघल गई है. बर्फ पिघलने के कारण ॐ की आकृति भी पूरी तरह से लुप्त हो गई है और केवल काला पर्वत ही दिखाई दे रहा है. ऐसा पहली बार हुआ कि ओम पर्वत की पूरी बर्फ पिघल गई और आज ओम की आकृति भी गायब हो गई. उनका मानना है कि साल 2019 में ओम पर्वत तक सड़क बनाई गई.
जिसके बाद हर दिन करीब 100 वाहन ओम पर्वत जा रही हैं. जिससे कार्बन बढ़ रहा है और इसका सीधा असर पहाड़ों के पर्यावरण पर पड़ रहा है. इसके साथ ही कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) ने हेलीकॉप्टर दर्शन सेवा भी शुरू कर दी है. ओम पर्वत पर ही हेलीकॉप्टर उतर रहे हैं. जिसके कारण हिमालय क्षेत्र में प्रदूषण भी बढ़ रहा है.
इस वर्ष ओम पर्वत पर ओम की आकृति दिखाई नहीं दी है. जिसके पीछे वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग इसका सबसे बड़ा कारण है. ओम पर्वत पर पर्यटन काफी बढ़ गया है. पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए यहां सड़कों का निर्माण किया जा रहा है और विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में भी काम किया जा रहा है. जिससे निर्माण कार्यों का सीधा असर हिमालय क्षेत्र पर पड़ रहा है, इसका प्रतिकूल असर पर्यावरण पर भी दिख रहा है,
उत्तराखंड में स्थित भारत-चीन सीमा के करीब लिपुलेख दर्रे के पास मौजूद ओम पर्वत किसी चमत्कार से कम नहीं है. लेकिन इस बार वो गायब हो गया है, जिसकी कल्पना भी शायद ही किसी ने की होगी. तकरीबन 19 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर मौजूद ओम पर्वत से ओम गायब हो गया है.
ओम पर्वत से ओम गायब होने की ये पहली घटना है. असल में लिपुलेख दर्रे के करीब 19 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर पहाड़ी में साल भर ओम लिखा साफ देखा जाता था. लेकिन इस बार अगस्त के महीने में पर्वत से सफेद बर्फ पूरी तरह गायब हो गई है, जिस कारण पहाड़ी पर बर्फ से पटी ओम की आकृति हट गई है.
ओम पर्वत के करीब बसे गुंजी गांव में रहने वाले हरीश गुंज्याल बताते हैं कि गर्मियों और बरसात के सीजन में बर्फबारी नही होने के कारण ओम पर्वत का कुछ हिस्सा पहले के सालों में भी काला नजर आता था. लेकिन ये पहला मौका है जब ओम पर्वत पूरी तरह काला नजर आ रहा हो. इस इलाके बीते सालों में चाइना बॉर्डर को जोड़ने वाली लिपुलेख रोड भी कटी है. यही नहीं इस आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शनों के लिए करीब 30 हज़ार से अधिक श्रद्धालु उच्च हिमालय में पहुंचे थे. ऐसे में माना जा रहा है कि जरूरत से अधिक इंसानी दखल ने इस संवेदनशील क्षेत्र के पर्यावरण को खासा प्रभावित किया है. इसी का नतीजा है कि पहली बार ओम पर्वत से ओम गायब हो गया है.