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Loan EMI : लोन चुकाने में हो रही है मुश्किल, इन तरीकों से EMI नहीं होगी मिस

Paliwalwani
Loan EMI : लोन चुकाने में हो रही है मुश्किल, इन तरीकों से EMI नहीं होगी मिस
Loan EMI : लोन चुकाने में हो रही है मुश्किल, इन तरीकों से EMI नहीं होगी मिस

बॉरोअर्स को राहत देने के लिए आरबीआई लोन रिस्ट्रक्चरिंग सुविधा लेकर आया है। योजना के तहत होम लोन, टॉप-अप होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन और गोल्ड लोन सहित सभी रिटेल लोन को रिस्ट्रक्चर किया जा सकता है। हालांकि नियम और शर्तें बैंकों पर छोड़ दी गई हैं। बॉरोअर्स, विभिन्न रिस्ट्रक्चरिंग विकल्पों में से चुनाव कर सकता है। बॉरोअर को दो साल तक के लिए या तो रिपेमेंट से पूरी तरह छूट मिल सकती है या फिर लोन पर केवल साधारण ब्याज का भुगतान करने का विकल्प मिल सकता है। ईएमआई को कम करने के लिए ऋण की अवधि को भी बढ़ाया जा सकता है।

​क्या आपको लोन रिस्ट्रक्चर करना चाहिए?

लोन की रिस्ट्रक्चरिंग से राहत तो मिलेगी, लेकिन कर्जदार पर ब्याज का अतिरिक्त बोझ भी पड़ेगा। चाहे आप रिपेमेंट हॉलिडे का विकल्प चुनें, या ऋण अवधि के विस्तार का विकल्प चुनें हैं, किसी भी छूट से अनपेड इंट्रेस्ट इकट्ठा होता जाएगा जो ऋण की समग्र लागत को बढ़ा देगा। ऋण पर ब्याज दर जितनी अधिक होगी, प्रभाव उतना ही अधिक होगा। उदाहरण के लिए, 16% ब्याज पर व्यक्तिगत ऋण की 12 ईएमआई छूटने से ऋण अवधि में दो और ईएमआई जुड़ जाएंगी। इसलिए यदि ऋण पर बहुत अधिक ब्याज है तो रिपेमेंट हॉलिडे का का विकल्प न चुनें।जब आप रिस्ट्रक्चरिंग कर रहे हैं तो ऋण की शेष अवधि पर भी विचार करें।

कर्जदारों को क्या करना चाहिए?

लोन की अवधि को बढ़ने से रोकने का एक तरीका यह है कि लोन पर साधारण ब्याज का भुगतान किया जाए। 39 लाख रुपये की बकाया राशि पर, 7% की दर से साधारण ब्याज लगभग 22,500 रुपये प्रति माह है। यह बहुत अच्छा विकल्प नहीं है क्योंकि मूल राशि बरकरार रहती है, लेकिन यह बॉरोअर्स को उनके ऋण की अवधि को बढ़ाए बिना कुछ राहत देगा। जब उनकी आय में सुधार होगा तो वे नियमित ईएमआई का भुगतान फिर से शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, कुछ उधारकर्ता साधारण ब्याज का भुगतान करने की स्थिति में भी नहीं हैं। ये वे लोग हैं, जो या तो कोविड के कारण नौकरी खो चुके हैं या बड़ी वेतन कटौती का सामना कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नकदी की कमी के बावजूद, एक उधारकर्ता को ईएमआई को मिस नहीं करना चाहिए क्योंकि यह उसकी क्रेडिट हिस्ट्री को खराब कर देगा और भविष्य में क्रेडिट तक पहुंच को खतरे में डाल देगा।

​EMI के लिए पैसे कहां से आएंगे?

गेटिंग यू रिच के संस्थापक रोहित शाह कहते हैं कि कैश की कमी आपके निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा करने और कुछ कड़े फैसले लेने का अच्छा समय है। अगर आपके पास फिक्स्ड डिपॉजिट या डेट फंड होल्डिंग हैं, तो अपनी ईएमआई चुकाने के लिए उन्हें बंद कर दें। ब्याज दरें अब बहुत कम हैं और फिक्स्ड डिपॉजिट से कर के बाद रिटर्न मुश्किल से 4-5% है। शाह का कहना है कि कम यील्ड वाले इंश्योरेंस प्लान जो कम लाइफ कवर ऑफर करते हैं और बड़े प्रीमियम का फायदा उठाते हैं, उन्हें भी चॉपिंग ब्लॉक पर रखा जाना चाहिए। ऐसी बेकार योजनाओं को सरेंडर करने से न केवल धन बढ़ेगा बल्कि प्रीमियम में जाने वाली राशि भी मुक्त होगी। यदि आप अपनी बीमा पॉलिसी को सरेंडर नहीं करना चाहते हैं, तो आप इस पर ऋण ले सकते हैं। एलआईसी 9% फ्लैट ब्याज दर पर ऋण प्रदान करती है, जिसका लाभ संकट के समय लिया जा सकता है।

​पैसे जुटाने के ये विकल्प भी हैं

धन जुटाने के लिए कई अन्य विकल्प हैं, जिसमें निवेश पर लोन और संपत्ति पर लोन शामिल हैं।ऐसी स्थितियों में संपत्ति पर ऋण विशेष रूप से उपयोगी होता है। कोलैट्रलाइज्ड लोन होने के कारण, ब्याज दर बहुत अधिक नहीं होती है। संपत्ति पर बड़ा ऋण लेकर और व्यक्तिगत ऋण और अन्य महंगे उधारों का भुगतान करने के लिए धन का उपयोग करके बकाया ऋण को कंसोलिडेट किया जा सकता है। कुछ सलाहकार यह भी सुझाव देते हैं कि ऋण चुकाने के लिए स्टॉक और इक्विटी फंड बेच देने चाहिए।

एक इमरजेन्सी फंड बनाएं

लोगों को जिस नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है, वह एक इमरजेन्सी फंड की स्थापना के महत्व पर जोर देता है। वित्तीय योजनाकार आमतौर पर आपात स्थिति के लिए छह महीने के खर्च को अलग रखने का सुझाव देते हैं, हालांकि यह अलग-अलग परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकता है। स्वीप-इन सुविधा या लिक्विड फंड वाला एक बचत बैंक खाता विचार करने योग्य विकल्प है। यहां रिटर्न महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पैसे का उपयोग किसी अन्य खर्च के लिए नहीं किया जाता है और यह व्यक्ति के लिए शॉर्ट नोटिस पर उपलब्ध होता है।

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