जयपुर
बाबा बालकनाथ को बुलाया गया दिल्ली, क्या बाबा होंगे राजस्थान के योगी?
Paliwalwaniजयपुर. राजस्थान में बीजेपी कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर सत्ता की कमान अपने हाथ में लेने में कामयाब हो गई है. इस बीच सभी की निगाहें प्रदेश में पार्टी के सीएम फेस पर हैं. राजस्थान में बीजेपी के बाबा बालक नाथ सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. यूपी की तर्ज पर बीजेपी राजस्थान में भी भगवा वस्त्र धारण करने वाले बाबा बालकनाथ को प्रदेश की कमान सौंप सकती है. राजस्थान में हार के बाद देर शाम सीएम अशोक गहलोत ने इस्तीफा दे दिया है. गहलोत ने राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया है. वहीं बीजेपी में भी हलचल तेज हो गई है. अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को दिल्ली बुलाया गया है. इस बुलावे की वजह क्या है, फिलहाल ये साफ नहीं है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे सीएम पद की दावेदारी से जोड़कर देख रहे हैं.
कौन हैं बाबा बालकनाथ योगी
महंत बालकनाथ योगी अलवर लोकसभा से सांसद हैं और उनका नाम भी बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं में शामिल किया जाता है. इस बार वे तिजारा विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरे हैं. अलवर के आसपास के क्षेत्रों में उनकी अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. वे भाजपा के हिंदुत्ववादी चेहरे पर एकदम फिट बैठते दिखाई देते हैं. चुनाव से पहले ही उन्हें राजस्थान में उपाध्यक्ष पद दिया गया. ऐसे में ज्यादातर लोगों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ है.
सीएम योगी आदित्यनाथ से कनेक्शन
बाबा बालकनाथ की तुलना यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ की जा रही है. उन्हें राजस्थान का योगी भी कहा जा रहा है. इसका कारण है कि बालकनाथ और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों नाथ संप्रदाय से आते हैं. अगर आप उनके लुक को देखें तो वो भी योगी आदित्यनाथ से मिलता-जुलता सा है क्योंकि बालकनाथ भी योगी आदित्यनाथ की तरह ही भगवा कपड़ों में नजर आते हैं. ऐसे में तमाम तमाम लोग राजस्थान में वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर महंत बालकनाथ योगी के नाम की चर्चा कर रहे हैं.
मठ के आठवें महंत हैं बालकनाथ
16 अप्रैल 1984 को राजस्थान के अलवर जिले के कोहराना गांव में एक किसान परिवार में जन्में महंत बालकनाथ योगी का पूरा परिवार लंबे समय से जनकल्याण व साधुओं की सेवा में जुटा रहा है. 6 साल की उम्र में ही उन्हें परिवार ने अध्यात्म का अध्ययन करने के लिए महंत खेतानाथ के पास भेज दिया था. गुरु से शिक्षा दीक्षा लेने के बाद महंत चांद नाथ के पास उन्हें भेजा गया. यहां पर उनकी बालक प्रवृत्तियों को देखकर महंत चांद नाथ ने उन्हें बालकनाथ कहना शुरू कर दिया. 29 जुलाई 2016 को महंत चांद नाथ ने अपना उत्तराधिकारी चुना. इस तरह वो मठ के आठवें महंत बने.