इंदौर
indoremeripehchan : इंदौर में नर्मदा परिक्रमा पुस्तक का विमोचन
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इंदौर.
“हम कभी नहीं बंटे, कुछ बंटे थे तो उन्हें भी मिला लेंगे.”
ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर इंदौर (Brilliant Convention Center) में कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल की पुस्तक ‘नर्मदा परिक्रमा’ का विमोचन हुआ. इस अवसर पर मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में केवल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और स्वामी ईश्वरानंद विराजमान रहे. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी संगठन प्रभारी महेंद्र सिंह, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तुलसी सिलावट सहित कई मंत्री और विधायक मौजूद रहे.
प्रह्लाद पटेल ने कहा कि 30 साल पहले उन्होंने गुरुदेव की सेवा करते हुए नर्मदा परिक्रमा की थी. उस समय राजनीति का कोई विचार नहीं था. माँ नर्मदा और गुरुदेव की कृपा से ही यह यात्रा संभव हुई और उसी अनुभव को उन्होंने पुस्तक का रूप दिया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण और नदियों की रक्षा के लिए हर व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए. असली सुख बाहर नहीं बल्कि भीतर की खोज से मिलता है. भारतीय संस्कृति की यही विशेषता विविधता में एकता है.
विमोचन के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में झगड़े इसलिए होते हैं, क्योंकि लोग “मैं और मेरा” की भावना में बंधे रहते हैं. धर्म का असली अर्थ है – बिना किसी को दुख दिए जीवन जीना. उन्होंने कहा कि “धर्म कभी किसी को दुख नहीं देता, दुनिया लॉजिक से नहीं धर्म से चलती है.” भागवत ने उदाहरण देते हुए कहा – “हम कभी नहीं बंटे, कुछ बंटे थे तो उन्हें भी मिला लेंगे.”
मोहन भागवत ने कहा कि निजी स्वार्थ और अहंकार ने दुनिया में संघर्ष और टकराव को जन्म दिया है. उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझता है, तभी विवाद पैदा होते हैं. भागवत के अनुसार, हमारी संस्कृति सिखाती है कि सभी एक ही हैं, लेकिन व्यवहार में अक्सर समानता दिखाई नहीं देती.
यही सोच आज की वैश्विक समस्याओं की जड़ है. संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में नर्मदा नदी और परिक्रमा की आध्यात्मिक व सामाजिक महत्ता पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि नर्मदा परिक्रमा केवल धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति और संस्कृति से जोड़ने का माध्यम है. यह अनुभव जीवन को नई दिशा देता है और व्यक्ति को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करता है.





