इंदौर

Indore News : आज हम बच्चों को क्रिसमस मनाकर उन्हें पाश्चात्य संस्कृति सिखाकर जोकर बना रहे हैं : साध्वी सरस्वती दीदी

रविंद्र आर्य
Indore News : आज हम बच्चों को क्रिसमस मनाकर उन्हें पाश्चात्य संस्कृति सिखाकर जोकर बना रहे हैं : साध्वी सरस्वती दीदी
Indore News : आज हम बच्चों को क्रिसमस मनाकर उन्हें पाश्चात्य संस्कृति सिखाकर जोकर बना रहे हैं : साध्वी सरस्वती दीदी

हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अधिक से अधिक लड़कियों का विवाह कराना मेरा संकल्प है : दिलीप अग्रवाल 

लेखक : रविंद्र आर्य M. 9953510133

इंदौर.

इंदौर में क्षिप्रा नदी के तट पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ और उसके दौरान साध्वी सरस्वती दीदी द्वारा व्यक्त विचारों पर आधारित है. कथा के माध्यम से उन्होंने भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और बच्चों के संस्कारों पर जोर दिया.

जो भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित श्रीमद्भागवत कथा से संबंधित है. साध्वी सरस्वती दीदी ने अपने वक्तव्य में बच्चों को पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित होने से बचाने और सनातन धर्म के संस्कारों पर जोर देने की बात कही. उन्होंने चिंता जताई कि क्रिसमस जैसे पाश्चात्य त्योहारों को प्राथमिकता देकर बच्चों को भारतीय संस्कृति से दूर किया जा रहा है.

क्रिसमस का संदर्भ : साध्वी सरस्वती दीदी ने कहा कि बच्चों को भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म सिखाने की बजाय उन्हें पाश्चात्य सभ्यता की ओर ले जाया जा रहा है. उन्होंने इसे बच्चों को "जोकर" बनाने की प्रक्रिया के रूप में देखा और सुझाव दिया कि बच्चों को भगवान राम और योगी पुरुष श्री कृष्ण जैसे महापुरुषों के आदर्शों का पालन करना सिखाया जाना चाहिए.

सनातन धर्म का महत्व : उन्होंने बताया कि सनातन धर्म ने पूरे विश्व को जीने का सही रास्ता दिखाया है और इसके सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है. कथा का उद्देश्य मनोरंजन नहीं, बल्कि मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करना है. यह मनुष्य के दुख, दर्द और पापों का नाश करती है और मोक्ष प्रदान करती है. जिस कथा को सुनने के लिए देवताओं ने सुखदेव जी से प्रार्थना की, वह कथा स्वर्ण के पुण्य का कारण बनकर हजारों भक्तों के पुण्य को जागृत करती है और साथ ही हमारे देश के भावी बच्चों के विचारों को हिंदू धर्म और सनातन के मूल्यों से जागृत करती है.

धार्मिक विचार : साध्वी दीदी ने कहा कि जब बात "खुदा" की आती है, तो वे उसे भगवान के समान ही मानती हैं. लेकिन जब "खुदाई" (जांच) की जाती है, तो हर जगह भगवान के प्रतीक मिलते हैं.

कन्याओं का विवाह : कथा आयोजक दिलीप अग्रवाल ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अधिक से अधिक कन्याओं का विवाह करवाने का संकल्प लिया. उन्होंने इस प्रयास के लिए सभी से आशीर्वाद और सहयोग की अपील की.

कथा की भव्यता : आयोजन की शुरुआत क्षिप्रा नदी के पवित्र जल के साथ कलश यात्रा से हुई. कथा आयोजक दिलीप अग्रवाल एवं धार्मिक परिवार ने व्यास पीठ पूजा कर साध्वी सरस्वती दीदी का नगर में भव्य स्वागत अभिनन्दन कर आरती किया गया. जिसमे कथा का संचालन चेतन उपाध्याय ने किया.

समापन : यह आयोजन न केवल धर्म और संस्कृति के महत्व को समझाने का प्रयास था, बल्कि हिंदू धर्म के मूलभूत सिद्धांतों और परंपराओं को जीवंत रखने का भी एक अवसर था.

 

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