इंदौर

गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. का मंगल प्रवेश – दीक्षार्थी कृति कोठारी के निवास से निकला जुलूस

Paliwalwani
गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. का  मंगल प्रवेश – दीक्षार्थी कृति कोठारी के निवास से निकला जुलूस
गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. का मंगल प्रवेश – दीक्षार्थी कृति कोठारी के निवास से निकला जुलूस

इंदौर : तप, त्याग और संयम के मार्ग पर चलकर जीवन को मोक्ष के लिए प्रशस्त करने का संकल्प सौभाग्यशाली लोग ही कर पाते हैं। संकल्पों में दृढ़ता होना चाहिए। कृति कोठारी की प्रसन्नता और प्रफुल्लता देखकर इनके संकल्प में दृढ़ता नजर आ रही है। चौराहे पर खड़े व्यक्ति के लिए जिस तरह चार में से किसी एक सही मार्ग को चुनने की चुनौती होती है, वैसे ही जीवन में भी एक सही मार्ग को चुनना बड़ा कठिन होता है। दीक्षा लेना कोई सामान्य अवसर नहीं है, यह जीवन को कृतार्थ बनाने का एक सशक्त माध्यम है। साधना के मार्ग पर चलकर अपने जीवन को समाज, धर्म और पंथ के लिए समर्पित करना एक प्रेरक प्रसंग है।

ये दिव्य विचार हैं गच्छाधिपति आचार्य भगवन जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. के, जो उन्होंने आज सुबह श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ जानकी नगर द्वारा आयोजित दीक्षा महोत्सव के तहत जिनमणि मंडप में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्यश्री 20 दिनों के विहार के बाद 800 किलोमीटर दूर गुजरात के पालीताणा से आज सुबह इंदौर पधारे। उनके साथ अन्य साधु-साध्वी, भगवंत भी आए हैं। दीक्षार्थी सुश्री कृति कोठारी ने भी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्यश्री ने तो पालीताणा में ही दीक्षा लेने के लिए कहा था, लेकिन हम सबकी भावना था कि यह कार्यक्रम हमारे घर-आंगन अर्थात इंदौर में ही हो और गुरुदेव का पावन सानिध्य भी हम सबको मिले। मुझे खुशी है कि मुझ जैसी छोटी सी बेटी के आग्रह को स्वीकार कर गुरुदेव इतना लंबा विहार कर इंदौर पधारे हैं। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि गुरुदेव हमारे घर-आंगन में भी पधारेंगे। यह मेरे लिए सपना सच होने जैसी घटना है। मैं दीक्षा ले रही हूं, जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो पाऊंगी। न जन्म का दुख, न मरने का दुख रहेगा। मेरे दीक्षा महोत्सव में सकल जैन संघों को खुला न्यौता है, वे 21 फरवरी को महावीर बाग में जरूर पधारें। गुरुदेव के इस आशीर्वाद के लिए मैं सदैव ऋणि रहूंगी।

गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. का  मंगल प्रवेश – दीक्षार्थी कृति कोठारी के निवास से निकला जुलूस

प्रारंभ में जानकी नगर संघ की ओर से दिलसुखराज कटारिया, दिनेश डोसी, प्रेमचंद कटारिया, मीडिया प्रभारी नवीन ललवानी जैन, मनीष बोथरा, प्रकाश कटारिया, सुरेन्द्र कोठारी आदि ने गच्छाधिपति एवं अन्य साधु-साध्वी, भगवंतों की अगवानी की। इसके पूर्व सुबह मरीमाता चौराहे से गच्छाधिपति जिनमणिप्रभ सूरीश्वर म.सा. ने ससंघ विभिन्न मार्गों से होते हुए जानकी नगर स्थित दीक्षार्थी कृति कोठारी के निवास पर पहुंचकर वहां नवकारसी की, इसके बाद आचार्यश्री दीक्षार्थी के साथ मंगल कलशधारी महिलाओं सहित सामैया के रूप में जानकी नगर मंदिर के सामने जिनमणि मंडप पहुंचे और वहां धर्मसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर ललित चौधरी, बच्छराज कटारिया, सुरेश डोसी, हुलास गांग, अनिल नाहर सहित विभिन्न जैन श्रीसंघों के प्रतिनिधि मौजूद थे। दोपहर में जानकी नगर मंदिर पर नवपद पूजा एवं संध्या को आंगी दर्शन के बाद सामूहिक आरती संपन्न हुई। रात्रि में विराट भक्ति संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें राजस्थान के प्रख्यात भजन गायक राजीव विजयवर्गीय एवं उनके साथियों ने मनोहारी भजन प्रस्तुत कर समूचे माहौल को भक्ति भावना से लबरेज बनाए रखे।

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