इंदौर
बहुचर्चित राष्ट्र संत भय्यू महाराज आत्महत्या मामला : मुख्य सेवादार विनायक, ड्राइवर शरद और केयरटेकर पलक दोषी करार : सजा आज सुनाई जाएगी
Anil bagora, Sunil paliwalइंदौर : मध्य प्रदेश के बहुचर्चित राष्ट्र संत भय्यू महाराज के आत्महत्या मामले में इंदौर की कोर्ट ने शुक्रवार को फाइनल सुनवाई हुई. कोर्ट ने मुख्य सेवादार विनायक, ड्राइवर शरद और केयरटेकर पलक को दोषी ठहराया है. मामले में सजा शाम तक सुनाई जाएगी. आदेश के अनुसार सेवादारों ने भय्यू महाराज को इतना प्रताड़ित किया था कि उन्होंने आत्महत्या कर ली.जानकारी के अनुसार साढ़े तीन साल सुनवाई के बाद सत्र न्यायालय ने सुनाया फैसला.
सेवादारों ने उन्हें पैसों के लिए इतना प्रताड़ित किया : हाई कोर्ट ने अपराध को प्रमाणित पाया है. सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने महाराज के सेवादार रहे शरद देशमुख, विनायक दुधाले और पलक पुराणिक को महाराज को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के मामले में सजा सुनाई. कोर्ट ने माना कि आरोपित महाराज को पैसों के लिए प्रताड़ित करते थे. पैसों के लिए उन्हें ब्लैकमेल भी किया जाता था. जो सेवादार भय्यू महाराज के लिए परिवार से बढ़कर थे, जिन पर उन्हें इतना विश्वास था कि उनके भरोसे उन्होंने अपने आश्रम और कामकाज सौंप रखे थे, उन्हीं सेवादारों ने उन्हें पैसों के लिए इतना प्रताड़ित किया कि मजबूरी में उन्हें आत्महत्या जैसे कदम उठाना पड़ा.
खुद को गोली मारने से पहले जो सुसाइड नोट लिखा : इस मामले में 19 जनवरी 2022 को साढ़े पांच घंटे सुनवाई हुई थी. इसमें ही तय हुआ था कि भय्यू महाराज आत्महत्या केस में आज 28 जनवरी 2022 को फैसला सुनाया जाएगा. महाराज को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उनके सेवादार विनायक, शरद और पलक लम्बे समय से जेल में हैं। अपर सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी की कोर्ट में दो सत्रों में साढ़े पांच घंटे तक सुनवाई चली. आरोपी विनायक की तरफ से एडवोकेट आशीष चौरे ने तर्क रखे. इससे पहले दो सप्ताह तक सरकार, शरद और विनायक की ओर से अंतिम बहस हुई थी. विनायक के वकील का तर्क था कि महाराज ने खुद को गोली मारने से पहले जो सुसाइड नोट लिखा है, उसमें ट्रस्ट की जिम्मेदारी विनायक को सौंपी थी, न कि संपत्ति उसके नाम की थी। सिर्फ इसी वजह से उसे फंसाया गया है. घटना के कुछ दिन पहले भय्यू महाराज पूणे जा रहे थे. उन्हें बार-बार किसी के फोन आ रहे थे, उसकी भी पुलिस ने उचित जांच नहीं की, वरना सही आरोपी का पता चल जाता. इससे पहले शरद के वकील धर्मेंद्र गुर्जर ने दो दिन में 10 घंटे और पलक के वकील अविनाश सिरपुरकर ने पांच दिन तक अपने तर्क रखे थे. इस मामले में 30 से अधिक गवाहों के बयान केस में हुए हैं.
बड़ा सबूत सुसाइड नोट..! : घटना के बाद लिखा गया सुसाइड नोट मिलने के बाद दूसरी पत्नी आयुषी ने यह आरोप लगाया था कि यह हैंडराइटिंग महाराज की नहीं है वह इंग्लिश में नहीं लिखा करते थे लेकिन फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट आने के बाद यह बिंदु भी साफ हो चुका है. कि सुसाइड नोट की लिखावट भय्यु महाराज की थी.
ब्लैकमेलिंग के नही मिले साक्ष्य : अभियोजन द्वारा जहां विनायक शरद और पलक पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया गया था उसके किसी भी तरह से कोई शक या सबूत कोर्ट के सामने पेश नहीं किए गए. वहीं भय्यू महाराज की बहन और आयुषी द्वारा ही ब्लैक मेलिंग करने का पूरा आरोप लगाया गया था.
बेटी कुहू ने सेवादार विनायक पर नहीं लगाए कोई आरोप : घटना के बाद जहां दूसरी पत्नी आयुषी द्वारा मुख्य सेवादार विनायक और शरद पर ब्लैकमेलिंग वह पलक के साथ नाजायज रिश्ते की बात सामने आई थी. लेकिन आरोपी पक्ष द्वारा जो कोर्ट में सबूत पेश किए वह सभी इन बातों को नकारा करते हैं कि तीनों ही महाराज को किसी अनहोनी से बचाना चाहते थे. वहीं बेटी कुहू ने भी विनायक और शरद पर किसी तरह के आरोप कोर्ट के समक्ष नहीं लगाए थे.
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