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INS Vikrant : INS विक्रांत सेना में तो शामिल हुआ पर 15 महीने तक नहीं कर सकेगा लड़ाई, जानिए क्यों
Pushplataकोच्चि शिपयार्ड में हुए एक भव्य समारोह में देश में बना पहला एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत नौसेना में शामिल हो गया है। इसके रूप में नेवी को कई खूबियों से लैस अपना सबसे बड़ा युद्धपोत तो मिल गया है, लेकिन ये युद्ध के लिए करीब 15 महीने बाद ही तैयार हो पाएगा। यानि 2023 के अंत तक ये लड़ाई करने की स्थिति में होगा। तब तक इसे तैयार करने की कवायद चलेगी।
विक्रांत के अगले 15 महीनों तक लड़ाई की स्थिति में न होने की सबसे बड़ी वजह ये है कि नेवी में शामिल होने के बाद ही उसके फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट और उसकी एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स यानी AFC सुविधाओं की शुरुआत होगी। नेवी ने कहा था कि इसे तभी शुरू किया जाएगा, जब शिप के कमांड और कंट्रोल के साथ ही फ्लाइट सेफ्टी उसके हाथों में होगी। 2 सितंबर को युद्धपोत सेना में शामिल हो चुका है। अब नेवी AFC पर काम करेगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक INS विक्रांत का एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स यानि AFC रूस की मदद से स्थापित किया जाना है। लेकिन जिस तरह से रूस यूक्रेन के साथ मोर्चा जमाए बैठा है उसमें इन इंजीनियरों के भारत में आने में यूक्रेन पर हमले की वजह से रूस पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण देरी हो सकती है।
विक्रांत के AFC को मिग-29 फाइटर प्लेन के लिहाज से तैयार किया गया था। मिग रूस में बने फाइटर प्लेन हैं, जो हाल के वर्षों में अपने क्रैश को लेकर चर्चा में रहे हैं। नेवी अगले कुछ सालों में अपने बेड़े से मिग विमानों को पूरी तरह से हटाने जा रही है। जाहिर है कि अब युद्धपोत को राफेल और तेजस के मुताबिक ढालना होगा। ये प्रक्रिया अगले 15 महीनों तक चलने वाली है।
रिपोर्ट कहती है कि 25 अगस्त को नेवी के वाइस चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने खुद माना था कि नेवी MiG-29K फाइटर प्लेन की विक्रांत पर लैंडिंग का ट्रायल इस साल नवंबर में शुरू करेगी। ये ट्रायल 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। इसकी वजह से INS विक्रांत पूरी तरह ऑपरेशनल 2023 के अंत तक ही हो पाएगा।
ध्यान रहे कि INS विक्रांत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। इसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है। 45 हजार टन वजनी विक्रांत भारत में बना सबसे बड़ा वॉरशिप है। INS विक्रमादित्य के बाद ये देश का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर है। विक्रमादित्य को रूसी प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया था। वक्रांत की खासियत है कि इसमें फ्यूल के 250 टैंकर और 2400 कंपार्टमेंट्स हैं। इस पर एक बार में 1600 क्रू मेंबर्स और 30 विमान तैनात हो सकते हैं।