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कुवैत में अरबी भाषा में लिखी रामायण-महाभारत की मिली भेंट : पीएम मोदी का गर्मजोशी से हुआ स्वागत

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कुवैत में अरबी भाषा में लिखी रामायण-महाभारत की मिली भेंट :  पीएम मोदी का गर्मजोशी से हुआ स्वागत
कुवैत में अरबी भाषा में लिखी रामायण-महाभारत की मिली भेंट : पीएम मोदी का गर्मजोशी से हुआ स्वागत

कुवैत.

प्रधानमंत्री के होटल पहुंचते ही उनके स्वागत में वहां जुटे भारतीय समुदाय के लोगों ने कथकली नृत्य पेश किया। प्रधानमंत्री ने यहां भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की, जिसमें पूर्व आईएफएस अधिकारी मंगल सैन हांडा भी शामिल थे। मंगल सैन विदेश सेवा में रहने के दौरान इराक, कुवैत, चीन, अर्जेंटीना, यूके और कंबोडिया में तैनात रह चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिनी यात्रा पर पहुंचने पर बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उन्होंने यह पहुंचते ही सबसे पहले 101 वर्ष के पूर्व नौकरशाह मंगल सैन हांडा से मिलने का वादा निभाया। उन्होंने रामायण और महाभारत को अरबी भाषा में प्रकाशित करने वाले अब्दुललतीफ अलनेसेफ और अरबी में इनका अनुवाद करने वाले अब्दुल्ला बैरन से भी मुलाकात की।

प्रधानमंत्री मोदी ने अब्दुललतीफ अलनेसेफ औरअब्दुल्ला बैरन से मुलाकात के दौरान कहा कि उन्हें रामायण और महाभारत के अरबी संस्करण देखकर बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने इन पर अपने ऑटोग्राफ दिए और उनके इस कार्य को सराहनीय बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी पहल वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति की लोकप्रियता को उजागर करती है।

प्रधानमंत्री के होटल पहुंचते ही उनके स्वागत में वहां जुटे भारतीय समुदाय के लोगों ने कथकली नृत्य पेश किया। प्रधानमंत्री ने यहां भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की, जिसमें पूर्व आईएफएस अधिकारी मंगल सैन हांडा भी शामिल थे। मंगल सैन विदेश सेवा में रहने के दौरान इराक, कुवैत, चीन, अर्जेंटीना, यूके और कंबोडिया में तैनात रह चुके हैं। व्हीलचेयर पर बैठकर आए हांडा प्रधानमंत्री के साथ हाथ मिलाकर काफी खुश नजर आए। इस दौरान उनके बेटे दिलीप हांडा ने कहा, यह जीवनभर का अनुभव है। पीएम मोदी ने कहा कि वह खासतौर पर यहां उनसे (उनके पिता) मिलने यहां आए हैं। हम पीएम मोदी के आभारी हैं। 

कुवैत यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम कुवैत के साथ पीढ़ियों से चले आ रहे ऐतिहासिक संबंध को गहराई से महत्व देते हैं। हम न केवल मजबूत व्यापार और ऊर्जा भागीदार हैं, बल्कि पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि में भी हमारे साझा हित हैं। यह 43 साल बाद किसी प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है। इससे पहले 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुवैत की यात्रा की थी।

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