स्वास्थ्य
पैरों के तलवों में दर्द : कारण व् निवारण
Paliwalwaniक्या आप पैरों के दर्द / पैरों के तलवों में दर्द से परेशान हैं?
अकसर महिलाओं और पुरुषों में टांगों का दर्द देखा जाता है। महिलाओं में इस दर्द का मुख्य कारण है बहुत देर तक रसोई में काम करना, कपड़े धोना, मधुमेह, हाई हील की चप्पलें पहनना और अधिक चलना। वहीं पुरुषों में इसके मुख्य कारण है कुर्सी में पैर लटकाकर बैठना, अधिक गाड़ी चलाना, ज्यादा खड़ा रहना, सख्त तलवों के जूते पहना आदि।
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कारण
शरीर में जल, रक्त में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम स्तर कम होने, पेशाब ज्यादा होने वाली डाययूरेटिक दवाओं जैसे लेसिक्स सेवन करने के कारण शरीर में जल, खनिज लवण की मात्रा कम होने, रक्त कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा सेवन करने, अत्यधिक कठोर व्यायाम करने, खेलने, कठोर श्रम करने, एक ही स्थिति में लंबे समय तक पैर मोड़े रखने के कारण और पेशियों की थकान के कारण हो सकता है।
पैर के किसी हिस्से में चोट लगने, पैर की पेशियों, तंतुओं पर क्षमता से ज्यादा खिंचाव होने, हडि्डयों के चटकने, इनमें सूक्ष्म फ्रेक्चर होने, ज्यादा तेजी से उछलने- कूदने से भी पैरों में दर्द हो सकता है।
पैर की धमनियोंकी अंदरूनी सतह में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से, इनके संकरे होने (एथ्रीयो स्कोरोसिस) के कारण रक्त प्रवाह कम होने पर, चलने, काम करने, खेलने, व्यायाम करने से दर्द होता है। आराम करने से राहत मिलती है। इसे पैरों का एंजाइना कहा जा सकता है।
पैरों की शिराओंमें रक्त थक्का बनने से अशुद्ध रक्त पैर में जमा होने से भी पैरों में दर्द हो सकता है। इस स्थिति को डीप्रवेन प्रांबोसिस (डीवीटी) कहते हैं। यह दशा लंबे समय तक फ्रेक्चर, फालिज इत्यादि कारणों से बिस्तर पर लेटे रहने के कारण हो सकती है। इनके पैरों में सूजन आ सकती है। डीवीटी खतरनाक रोग है, इनमें शिराओं में बना रक्त थक्का बह कर ह्वदय और वहां से फेफड़ों या अन्य अंगों में पहुंच कर प्लमोनरी इंबालिज इत्यादि गंभीर रोग कर सकता है।
हडि्डयों के संक्रमण (आस्टियो मैलाइटिस), त्वचा के संक्रमण (सेलुलाइटिस) के कारण ।
ऑथ्रराइटिस, गाउट जैसे रोगों से।
पैरों की स्नायुओं के मधुमेह ग्रस्त होने, अत्यधिक सिगरेट, तंबाकू, शराब का सेवन करने, पोष्क तत्वों की कमी, संक्रमण से। पैरों में दर्द के साथ ही जलन, सुन्न, झनझनाहट या सुई चुभने जैसा एहसास होता है।
कमर की कशेरूकाओं सेनिकल कर आ रही स्नायु पर दबाव कशेरूकाओं के खिसकने, दबाव पड़ने या अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त होने से असहनीय दर्द कमर से शुरू होकर नीचे जांघों, पैरों तक फैलता है। यह दशा सायटिका कहलाती है।
यदि पैरों की शिराओंके कपाट क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो शिराएं फूल कर केचुए जैसी हो जाती है, यह "वेरीकोज वेन" कहलाता है। यदि लंबे समय तक स्थिर खड़े रहते हैं, पैर लटका कर बैठते हैं जैसे गृहिणी, ट्रैफिक पुलिस, बस ट्रक ड्राइवर, गर्भवती महिलाओं में वेरीकोज वेन सामान्य है। दर्द होता है, सूजन होती है, पिंडलियों में फूली नीली शिराएं दिखाई देती हैं।
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घरेलू उपचार
आराम करें। पैरों को ऊंचाई पर रखें।
दर्द वाले स्थान पर बर्फ की ठंडी सिकाई करे। सिकाई 15 मिनट, दिन में 3-4 बार करे।
आहिस्ते से ऎंठन वाली पेशियों, तंतुओं पर खिंचाव दें, आहिस्ता से मालिश करें।
दर्द निवारक दवा का सेवन करें।
वेरीकोज वेन के लिए पैरों को ऊंचाई पर रखे, पैरों में इलास्टिक पट्टी बांधे जिससे पैरों में खून जमा न हो पाए।
यदि आप मधुमेह या उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं, तो परहेज, उपचार से नियंत्रण करें।
शराब, तंबाकू, सिगरेट, नशीले तत्वों का सेवन नहीं करें।
सही नाप के आरामदायक, मुलायम जूते पहनें।
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चिकित्सक से परामर्श लें
पैरों में दर्द के साथ सूजन, लाली हो और बुखार आ रहा हो, पैर नीला या काला हो गया हो या फिर पैर ठंडा या पीला पड़ गया हो और घरेलू उपचार से राहत नहीं मिल पा रही हो, तो ऎसी स्थिति में चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।
पैरों के तलवोंपर एक्यूप्रेशर रोलर करनें से दर्द से राहत मिलती है। इस क्रिया में पैरों को रोलर पर रखकर धीरे-धीरे घुमाएं। यह क्रिया दिन में 5-7 बार करनी चाहिए। इसे दो मिनट तक करना पर्याप्त रहता है। रोलर करने से पहले तलवों पर हल्का पाउडर लगाएं। इससे एक्यूप्रेशर आसानी से होगा।
मालिश : पैरों को दबानेया मालिश करने से आराम मिलता है। मालिश करते समय दोनों पैरों के तलवों की ओर अंगूठे के बिल्कुल नीचे पड़ने वाले बिंदु पर दबाव दें। अब पैरों के ऊपर छोटी उंगली के नीचे पड़ने वाले तीन बिंदुओं पर दबाव दें। पैरों के नीचे एड़ी पर पड़ने वाले तीन मास्टर बिंदुओं पर प्रेशर दें।
मालिश के लिएकोई भी तेल काम में लिया जा सकता है। दिन में दो-तीन बार 15-15 सेकंड तक प्रेशर करें और मालिश करें। 2-3 सप्ताह में आपको आराम मिलने लगेगा। दस तरह दर्द का ईलाज हम आसानी से कर सकते हैं।
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बचाव
खून में ग्लूकोस की मात्रा पर नियंत्रण रखें - यानी की मधुमेह को नियंत्रित रखें. जन नियंत्रित रखे !
मध्यम तीव्रता के व्यायाम करें, जिससे पेशियां, हडि्डयां मजबूत हों और जोड़ लचीले।
संतुलित भोजन का सेवन करें।
भोजन में वसा का सेवन कम करें।
खेलने, व्यायाम करने के पहले और बाद में हल्के व्यायाम (वार्मअप, कूल डाउन) करें।
प्रचुर मात्रा में पानी पीएं, विशेष रूप से व्यायाम करने, खेलने से पूर्व, इनके दौरान और बाद में।
लंबी मात्रा के दौरान लगातार एक ही मुद्रा में बैठे न रहे। नियमित अंतराल में सीट से खड़े होकर टहलें, शरीर को खिंचाव दें।
कमजोरी या अन्य कारणों से गिरने का खतरा है, तो छड़ी या वॉकर का इस्तेमाल करें।
(Please also see English version, below)