स्वास्थ्य

मूत्राशय की जलन (मूत्र में जलन) : डॉक्टर से जानें इसका कारण और इलाज

paliwalwani
मूत्राशय की जलन (मूत्र में जलन) : डॉक्टर से जानें इसका कारण और इलाज
मूत्राशय की जलन (मूत्र में जलन) : डॉक्टर से जानें इसका कारण और इलाज

शुष्क धनिया (दाना) को मोटा-मोटा कूटकर इसका छिलका अलग करें और बीजों के अन्दर की गिरी निकालकर ३०० ग्राम धनिया की गिरी (प्रायः ४५० ग्राम धनिया में से ३०० ग्राम गिरी निकल जाती है) तथा बराबर वजन ३०० ग्राम मिश्री कूंजा (या चीनी) लें। दोनों को अलग-अलग पीसकर आपस में मिला लें। बस, दवा तैयार है।

सेवन विधि- प्रातःसायं छः छ. ग्राम की मात्रा से यह चूर्ण बासी पानी के साथ दिन में दो बार लें। प्रातः बिना खाये-पीये रात को बासी पानी से छ: ग्राम फाँक लें और तत्पश्चात् एक-दो घंटे तक और कुछ न खाएँ। इसी प्रकार छ: ग्राम दवा शाम ४ बजे लगभग प्रातः के रखे हुए पानी के साथ फाँक लें। रात का भोजन इसके दो घंटे पश्चात् करें। यह मूत्राशयं की जलन दूर करने में अद्वितीय है। आवश्यकतानुसार तीन दिन से इक्कीस दिन तक लें।

विशेष

(१) मूत्राशय की जलन के अतिरिक्त वीर्य की उत्तेजना दूर करने में यह प्रयोग अचूक है। भयंकर और कठिन से कठिन स्तप्नदोष की बीमारी में इसकी पहली दो खुराकों से ही लाभ प्रतीत होगा। इसे इस बीमारी में तीन दिन से सात दिन तक लेना चाहिए। शौच यदि अधिक पतले दस्त के रूप में होता हो तो दूसरी मात्रा सायं चार बजे लेने की बजाय रात्रि के समय सोने से आधा घंटे पहले लें, परन्तु यदि कब्ज की शिकायत अधिक रहती हो तो दूसरी मात्रा सायं चार बजे हो लें और रात्रि सोते समय ईसबगोल की भूसी (छिलका) चार-पाँच ग्राम से लेकर पन्द्रह ग्राम तक ताजा पानी से फाँकिये, बिना किसी कष्ट के शौच होगा।

ईसबगोल का उपयोग पहली रात में थोड़ी मात्रा में करे। यदि इससे लाभ न हो तो दूसरी रात्रि को इसकी मात्रा बढ़ा लें यहाँ तक कि प्रातः शौच साफ होने लगे (चार-पाँच ग्राम से लेकर पन्द्रह ग्राम तक का यही मतलब है)। ईसबगोल एक हानिरहित कब्जनाशक होने के अतिरिक्त पतले वीर्य को गाढ़ा करने, स्वप्नदोष और मूत्राशय की उत्तेजंना दूर करने के लिए उपरोक्त औषधि की विशेष सहायता करता है। 

(२) इस औषधि के सेवन से जहाँ प्रमेह नष्ट होता है, वहाँ प्रमेह, स्वप्नदोष या यौन अव्यवस्थाओं के

परिणामस्वरूप होने वाले रोगों जैसे नजर की कमजोरी, धुंधलाहट, सिर दर्द, चक्कर, नींद न आना आदि में अत्यन्त हितकर है और पोटेशियम ब्रोमाइड की तरह दिल और दिमाग को कमजोर नहीं करती बल्कि इन्हें बल मिलता है। (३) वीर्य की उत्तेजना और स्वप्नदोष में केवल भुजंगासन (सर्पासन) के उचित अभ्यास से स्थायी लाभ होता है।

अन्य विधि- दस ग्राम धनिया रात्रि में पानी में भिगो दें। सुबह उसे ठण्डाई (सर्दाई) की तरह पीसकर छानकर मिश्री मिलाकर सेवन करें। तासीर ठण्डी होने के कारण, सावधानी से आवश्यकतानुसार दो-चार दिन लें। मूत्र की जलन नष्ट होगी।

विकल्प

(१) दही में पिसी हुई प्याज की चटनी मिलाकर कुछ दिन खाने से मूत्र की जलन बन्द होती है। 

(२) यदि मूत्र करते समय मूत्र नली में जलन हो तो तुलसी की चार-पाँच पत्तियाँ दिन में दो बार खाली पेट चबाएँ। ऊपर से एक-दो घूंट पानी भी पी सकते हैं। तीन-चार दिन में आराम होगा। 

(३) बेल की दस पत्तियाँ सुबह-शाम बारीक पीसकर २५० ग्राम पानी में मिलाकर पीएँ। तीन-चार दिन में आराम हो जायेगा। स्वप्नदोष दूर करने के लिए पन्द्रह दिन तक लें।

(४) मूत्र में जलन, रुकावट होने पर केवल ठंडे पानी में तौलिया गीला करके नाभि से नीचे पेडू पर रखकर १५-२० मिनट लेटे रहने से ही जलन मिट जाती है।

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ᴀʏᴜʀᴠᴇᴅᴀᴄʜᴀʀʏᴀ

ʙᴀᴍꜱ( ᴍᴅ) ᴀʏᴜʀᴠᴇᴅ

इंफेक्शन नहीं है फिर भी पेशाब के बाद होती है जलन? डॉक्टर से जानें इसका कारण और इलाज

पेशाब के बाद जलन महसूस होना एक आम समस्या है। लोगों को जीवन में किसी न किसी समय इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इस दौरान लोगों को पेशाब के बाद पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है। इस तरह की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है। इस समस्या में व्यक्ति को कई बार पेशाब रुक-रुककर आना, पेशाब में जलन (Urine Irritation) होना या पेशाब कम आने के लक्षण हो सकते हैं।

वैसे तो इस समस्या को मुख्य रुप से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का लक्षण माना जाता है, लेकिन कुछ लोगों को ये समस्या बिना इंफेक्शन भी हो सकती है। इस समस्या पर हमने पुणे के खराड़ी स्थित मणिपाल अस्पताल के यूरोलॉजी और एनर्डोलॉजी विभाग के कंसलटेंट डॉ. भूपत सिंह भाटी से बात की तो उन्होंने इस विषय को विस्तार से समझाया। आगे जानते हैं पेशाब के बाद जलन होने के कारण और इसके इलाज के बारे में।

अगर आपको इंफेक्शन न होने के बावजूद पेशाब में जलन महसूस हो रही है, तो इसके मुख्य कारणों को आगे बताए गए हैं।

  • खाने की कुछ आदतों की वजह से पेशाब आना,
  • किडनी से निकलने वाली पेशाब की नली का सिकुड़ना,
  • पेनफुल ब्लैडर सिंड्रोम, (एक तरह की मेडिकल स्थिति)
  • किडनी या ब्लैडर में स्टोन होना,
  • प्रोस्टेटाइटिस,
  • ब्लैडर में टीबी होना, आदि।

व्यक्ति को इंफेक्शन न होने पर भी पेशाब के बाद जलन महसूस हो सकती है। रोगी की मौजूदा स्थिति को समझने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड व ब्लड टेस्ट आदि टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।

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