दिल्ली
G20 Meeting : भारत में जी-20 सम्मेलन में नहीं हो सका फोटो सेशन
Paliwalwaniदिल्ली :
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मलेन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बड़ी महत्वपूर्ण अपील की। प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि महात्मा गांधी और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध की धरती से शांति का संदेश लेकर जाएं, लेकिन एक बार फिर महाशक्तियों के बीच में टकराव, अंतर्विरोध और मतभेद सामने आए। अमेरिका, फ्रांस, इग्लैंड, जर्मनी, कनाडा और इटली जैसे जी-7 के सदस्य देशों ने फैमिली फोटो (सभी विदेश मंत्रियों के फोटो सेशन) से मना कर दिया।
यह खबर सूत्रों के हवाले से आई है। ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब जी-20 सम्मेलन में फोटो सेशन पर सहमति नहीं बनी। इससे पहले जापान और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों के दिल्ली पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने निजी कारणों का हवाला देकर न आना उचित समझा। इसका कारण भी रूस और यूक्रेन के बीच में जारी तनाव माना जा रहा है।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव कूटनीति के धुरंधर माने जाते हैं। उन्होंने जी-20 के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में अपनी बात रखी। सूत्र बताते हैं कि इस दौरान जी-20 समूह के मंत्री वहां मौजूद रहे, लेकिन फोटो सेशन से परहेज किया। चीन के विदेश मंत्री चिन गांग, अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकन, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत अन्य ने पक्ष रखा। सभी ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता पर खासा जोर दिया।
इस दौरान सर्गेई लावरोव ने भारत से माफी भी मांगी। लावरोव ने कहा कि भारत की मंशा जी-20 सम्मेलन में विकास के मुद्दे पर केन्द्रित रहने की है, लेकिन पश्चिमी देशों ने इसके एजेंडे का मजाक बना दिया है। अमेरिका समर्थित देशों ने यूक्रेन के मुद्दे को बैठक में प्रभावी बना दिया है। लावरोव ने कहा कि रूस इसके लिए भारत से माफी मांगता है। हालांकि इस दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलने की भी खबर है।
विदेश मंत्रियों के बीच में रूस-यूक्रेन के बीच में जारी गतिरोध बड़ा मुद्दा था। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, इटली, फ्रांस समेत तमाम देश यूक्रेन में रूस की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस विरोध को देखते हुए सभी विदेश मंत्रियों के बीच चर्चा के दस्तावेज (आउटकम डाक्यूमेंट) रूस-यूक्रेन के मामले को इससे अलग रखा गया। रूस-यूक्रेन से जुड़े मसले को छोड़कर ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई और इसमें आम राय को स्थान दिया गया। विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भारत ने अपनी राय खुलकर रखी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने आर्थिक, पर्यावरण, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, अपराध समेत अन्य पर अपनी बात रखी। भारत ने रूस-यूक्रेन के बीच में टकराव के बाद से पैदा हुए खाद्य और ऊर्जा संकट का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। भारत ने कहा कि इन दोनों समस्याओं का यथाशीघ्र समाधान जरूरी है। इस दौरान नई दिल्ली ने यूक्रेन और रूस के बीच टकराव तथा गतिरोध को खत्म करने के लिए शांति वार्ता में योगदान की मंशा जताई।