दिल्ली
आदिवासी हेयर ऑयल के झूठे दावे : डॉ. अशोक सिन्हा ने किया पर्दाफाश!
Paliwalwani
नई दिल्ली. हेयर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. अशोक सिन्हा ने हाल ही में एक वीडियो में आदिवासी हेयर ऑयल के चमत्कारी दावों पर बड़ा खुलासा किया है। उनके अनुसार, यह ऑयल पूरी तरह से धोखा है और इसके दावे पूरी तरह से झूठे हैं। उनके इस वीडियो ने इंटरनेट पर हंगामा मचा दिया है।
आदिवासी ऑयल के चमत्कारी दावे
आदिवासी हेयर ऑयल को लेकर कई चमत्कारी दावे किए जाते हैं। इसे बालों के झड़ने से रोकने, नए बाल उगाने और बालों को तेजी से लंबा करने वाला ऑयल बताया जाता है। दावा किया जाता है कि इसमें 101 से अधिक जड़ी-बूटियों का उपयोग होता है, जिससे यह ऑयल बालों के सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है।
डॉ. सिन्हा का खुलासा
डॉ. अशोक सिन्हा ने अपने वीडियो में इन दावों की सच्चाई उजागर की। उन्होंने कहा कि आदिवासी हेयर ऑयल में 101 जड़ी-बूटियों का दावा पूरी तरह से झूठा है। डॉ. सिन्हा ने बताया कि उन्होंने इस ऑयल का माइक्रोस्कोपिक एनालिसिस किया, जिसमें केवल 20 से 30 जड़ी-बूटियों के अंश मिले।
डॉ. सिन्हा ने कहा, "यह ऑयल सिर्फ मार्केटिंग का एक झांसा है। इसमें कोई भी विशेष औषधीय गुण नहीं है। इसे बनाने की प्रक्रिया भी आयुर्वेदिक नहीं है, बल्कि यह एक क्रूड तरीका है जिसमें जड़ी-बूटियों को गर्म तेल में फ्राई किया जाता है। इससे औषधीय गुण कम हो जाते हैं और इसका असर नहीं होता।"
ऑयल की गुणवत्ता पर सवाल
डॉ. सिन्हा ने ऑयल की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह ऑयल किसी भी विशिष्ट ब्रांड के प्योर कोकोनट या बादाम तेल का उपयोग नहीं करता है। इसके अलावा, यह ऑयल पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है, क्योंकि इसमें उपयोग किए गए तेल का स्रोत छुपाया जाता है।
डॉ. सिन्हा ने कहा, "आयुर्वेदिक तेल बनाने की एक विधि होती है, जिसमें सूखे औषधि का क्वाथ और ग्रीन औषधि का रस बनाकर तेल में मिलाया जाता है। लेकिन आदिवासी ऑयल में ऐसा कुछ नहीं किया जाता है। यह सिर्फ एक साधारण तेल है जिसमें थोड़ी मात्रा में जड़ी-बूटियों का पाउडर मिलाया जाता है।"
साइंटिफिक टेस्टिंग की चुनौती
डॉ. सिन्हा ने आदिवासी हेयर ऑयल बनाने वालों को एक खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि यदि यह ऑयल वाकई में चमत्कारी है, तो इसे 50 मरीजों पर साइंटिफिक तरीके से टेस्ट किया जाए। डॉ. सिन्हा ने कहा, "हम 6 महीने तक इस ऑयल का परीक्षण करेंगे और हर दिन के प्रोग्रेस को सबके सामने दिखाएंगे। अगर इसमें दम है, तो परिणाम जरूर आएंगे।"
डॉ. अशोक सिन्हा के इस खुलासे के बाद आदिवासी हेयर ऑयल के दावों पर सवाल उठ गए हैं। उनके द्वारा किए गए साइंटिफिक एनालिसिस और खुलासों ने यह साफ कर दिया है कि यह ऑयल पूरी तरह से एक मार्केटिंग गेम है। बालों की समस्याओं का समाधान करने के लिए केवल पारदर्शी और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित उत्पादों का ही उपयोग किया जाना चाहिए।