अपराध
गूगल पर सर्च करते हैं मोबाइल नंबर तो हो जाएं सावधान, लाखो की हो सकती है ठगी
Paliwalwaniसर्च इंजन पर फोन नंबर खोजना सुविधाजनक लग सकता है, लेकिन बहुत से लोगों को यह एहसास नहीं है कि यह बदमाशों द्वारा बिछाया गया जाल हो सकता है. जिससे आपके साथ ठगी हो सकती है. अगर कोई भी आपको लिंक भेजकर एप डाउनलोड करने के लिए कहता है, तो हो जाए सावधान. यह कॉल किसी कंपनी का नहीं, बल्कि साइबर जालसाजों का हो सकता है.
कैसे होते है लोग ठगी का शिकार
ठगो ने बहुत से लोगो के नाम पर अलग अलग जगहों पर फर्जी नंबर दाल रखे है अब जब भी लोग किसी भी कंपनी या बिज़नेस का मोबाइल नंबर ऑनलाइन सर्च करते है तो ठग द्वारा दिए गए नंबर भी प्रदर्शित होते है जिसपर संपर्क करने के बाद कॉल करने वाले की ही दी गयी जानकारी के हिसाब से ठग उन्हें अपना शिकार बनाते है
लोग किस प्रकार हुए साइबर ठगो का शिकार
हाल की दो घटनाएं इस बात को साबित करती हैं. पहले मामले में, एक व्यक्ति से 71,000 रुपये की ठगी की गई जब उसने एक अस्पताल का नंबर खोजने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया. उनकी पत्नी बीमार थीं और उन्होंने परामर्श के लिए नंबर पर कॉल किया. पीड़ित भगवानदीन को इंदिरानगर के एक डॉक्टर से परामर्श के लिए मरीज का पंजीकरण कराने के लिए फोन पे के माध्यम से 10 रुपये जमा करने के लिए कहा गया था.
पीड़ित ने बदमाश से कहा कि वह ऐप के माध्यम से भुगतान नहीं कर सकता, जिस पर बदमाश ने उससे बैंक खाता संख्या साझा करने को कहा, जो उसने कर दिया. उसे क्विकसपोर्ट ऐप डाउनलोड करने और ऐप के जरिए 10 रुपये देने को कहा गया. थोड़ी देर बाद पीड़ित के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आया और बदमाश ने उसे शेयर करने को कहा.
पीड़ित ने बताया, मुझे एक पंजीकरण संख्या दी गई थी और अगले दिन सुबह 10 बजे अस्पताल जाकर डॉक्टर से परामर्श करने के लिए कहा गया था. हालांकि, जब मैं वहां पहुंचा, तो मुझे बताया गया कि अस्पताल ने कोई अग्रिम पंजीकरण नहीं किया. पत्नी के भर्ती होने के बाद जब वह पैसे निकालने एटीएम गया तो पता चला कि उसके बैंक खाते से 71,755 रुपये निकल चुके हैं.
साइबर सेल की सहायता से पुलिस कर रही जांच
एसएचओ, इंदिरानगर, छत्रपाल सिंह ने कहा कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और जांच के लिए साइबर सेल की सहायता मांगी गई है. एक अन्य मामले में, छावनी के सदर इलाके में एक प्रमुख दुकान से मिठाई खरीदने के नाम पर अमीनाबाद निवासी एक व्यक्ति से 64,000 रुपये से अधिक की ठगी की गई.
पीड़ित अशोक कुमार बंसल ने दुकान का मोबाइल नंबर गूगल पर सर्च करने के बाद दुकान से मिठाई का ऑनलाइन ऑर्डर दिया. उन्होंने कहा कि फोन उठाने वाले व्यक्ति ने उनसे भुगतान के लिए अपने बैंक खाते का ब्योरा मांगा. बंसल ने कहा, मैंने ऑर्डर के लिए 64,110 रुपये का भुगतान किया था, लेकिन जब मैं ऑर्डर लेने दुकान पहुंचा तो मुझे पता चला कि मोबाइल नंबर फर्जी है और मुझे धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया है.
साइबर सेल के पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह ने बताया कि जब कोई यूजर इस तरह का लिंक द्वारा भेजा गया या स्क्रीन शेयरिंग ऐप डाउनलोड करता है तो वह एप को सभी परमिशन दे देता है. ऐप में अन्य सभी ऐप्स, गैलरी और संपर्क सूचियों तक पहुंच शामिल है. इस अनुमति के साथ, बदमाश फोन पर रिमोट एक्सेस लेते हैं. जब कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रिमोट एक्सेस पर होता है, तो जिस व्यक्ति ने रिमोट एक्सेस लिया है, वह सभी गतिविधियों को स्पष्ट रूप से देख सकता है और उनके द्वारा मोबाइल में की जा रहे गतिविधियों के माध्यम से बदमाश किसी भी व्यक्ति के बैंक से पैसा निकल लेते है.