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स्वर कोकिला लता मंगेशकर : वो एक घटना जिसके बाद पिता ने कर लिया था लता मंगेशकर को संगीत की शिक्षा देने का फैसला
Paliwalwaniभारत रत्न और स्वर कोकिला लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है। लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं 30 हजार से ज्यादा गानों को अपनी सुरीली आवाज दी है। जिंदगी का एक लंबा वक्त लता मंगेशकर ने या तो स्टूडियों में या फिर गाना गाते हुए ही बिताया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लता मंगेशकर ने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत कब और कैसे की थी?
लता मंगेशकर का छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। उनकी रुमानी आवाज ने अपनी झोली ने ना जाने कितने की अवॉर्ड्स को लिया। उनकी आवाज से कभी दर्द छलका को कभी हर कोई झूमने पर मजबूर हो गया तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। एक कंठ से लता जी ने तमाम भावनाएं बाहर निकाल कर रख दीं।
लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर रंगमंचीय गायक थे। यहीं से लता को भी संगीत की तालीम मिलना शुरू हो गई थी। महज पांच साल की उम्र में लता ने संगीत सीखना शुरू कर दिया था। लता के साथ साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी ये शिक्षा प्रप्ता करती थीं।
बताया जाता है कि पांच साल की उम्र में लता मंगेशकर को पहली बार एक नाटक में काम करने का मौका मिला। लेकिन यहां उन्हे गाना नहीं गाना था बल्कि अभिनय करना था। ऐसे में कहा जाता है कि उनके करियर को पहला ब्रेक एक्टिंग में मिला था। लेकिन लता मंगेशकर को एक्टिंग से ज्यादा सिंगिंग आकर्षित करती थी।
बताया जाता है कि साल 1942 में लता मंगेशकर ने किटी हसाल के लिए अपना पहला गाना रिकॉर्ड कराया था लेकिन लता जी के पिता को उनका ये गाना गाना पसंद नहीं आया था उन्होंने ये गाना भी हटवा दिया था। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें संगीत की शिक्षा देने का फैसला कर लिया था, लेकिन साल 1942 में ही उनके पिता का निधन हो गया था जिसके बाद परिवार काफी बुरे समय से गुजरा।
कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ़ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहा के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा। लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था।