भोपाल
मध्य प्रदेश के स्टोन क्रशर संचालकों की हड़ताल, भोपाल और इंदौर में खदानें बंद : निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित
paliwalwani
भोपाल. मध्य प्रदेश के स्टोन क्रशर संचालकों ने मंगलवार से राज्यभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। उनकी प्रमुख मांगों में रॉयल्टी वृद्धि, स्टाम्प ड्यूटी में संशोधन, सीमांकन प्रक्रिया में सुधार और पर्यावरण स्वीकृति में पारदर्शिता शामिल हैं। इस फैसले के साथ ही रविवार रात 12.00 बजे से भोपाल में गिट्टी सप्लाई बंद हो गई है। जिससे भवन निर्माण कार्य प्रभावित होंगे।
कई जिलों में पहले से हड़ताल चल रही है, इंदौर, भोपाल, देवास, खंडवा, बड़वानी, आगर-मालवा, शाजापुर, झाबुआ, अलीराजपुर, बुरहानपुर और खरगोन जिलों में हड़ताल का देखा जा रहा है। हड़ताल के कारण गिट्टी और अन्य निर्माण सामग्री की आपूर्ति बाधित हो गई है, जिससे सड़क, पुल, और पुलिया निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
स्टोन क्रशर कारोबारियों की हड़ताल
मध्य प्रदेश के स्टोन क्रशर संचालकों और कारोबारियों ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। द स्टोन क्रशर ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेंद्रपाल सिंह चावला ने बताया कि सोमवार को आईएसबीटी स्थित एक होटल में प्रदेशभर के क्रशर संचालकों की बैठक हुई, जिसमें सभी ने एकमत होकर हड़ताल पर जाने का फैसला लिया। इस हड़ताल में प्रदेश भर के क्रशर संचालक शामिल होंगे। किसी क्रशर पर काम नहीं किया जाएगा। हालांकि, इंदौर, भोपाल समेत 10 जिलों में हड़ताल पर पहले ही जा चुके हैं। एसोसिएशन ने सरकार से शीघ्र समाधान की अपील की है।
एसोसिएशन ने मांग की है कि रॉयल्टी वृद्धि और स्टाम्प ड्यूटी में संशोधन किए जाएं। यदि कोई पट्टेदार माइनिंग प्लान में रॉयल्टी की मात्रा बढ़ाना चाहता है तो उसे शीघ्र स्वीकृति दी जाए। वर्तमान में स्टाम्प ड्यूटी उत्पादन क्षमता के अनुमानित मूल्य पर निर्धारित की जाती है, जो अनुचित है, क्योंकि उत्पादन की मात्रा हमेशा अनुमानित होती है। स्टाम्प ड्यूटी की गणना भूमि के शासन द्वारा निर्धारित वर्तमान मूल्य पर की जाए।
एसोसिएशन के महासचिव गोस्वामी ने बताया कि पर्यावरण स्वीकृति में सुधार किया जाए। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के 9 सितंबर-23 के लेजिस्लेटिव ऑर्डर और एसओपी का मध्यप्रदेश में सही पालन नहीं हुआ है, जिसके कारण खदानों को पर्यावरण की मंजूरी नहीं मिल पा रही है।
पदाधिकारियों ने बताया कि रॉयल्टी क्लियरेंस प्रक्रिया में सुधार और प्रदूषण मंडल से एनओसी प्रक्रिया में बदलाव किया जाए। वहीं, पूर्व में स्वीकृत खदानों पर नए नियमों का प्रभाव न डाला जाए। सैटेलाइट सर्वे की बजाय पटवारी द्वारा चेन सर्वे की प्रक्रिया लागू की जाए।
सरकार से शीघ्र समाधान की मांग
एसोसिएशन के महासचिव आलोक गोस्वामी ने सरकार से इन मुद्दों का शीघ्र समाधान करने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे न केवल पट्टेदारों को राहत मिलेगी, बल्कि शासन को भी राजस्व की हानि से बचाया जा सकेगा।
इंदौर, भोपाल, धार, देवास, झाबुआ, अलीराजपुर, खंडवा, बुरहानपुर, आगर-मालवा, शाजापुर समेत कई जिलों में एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन उत्पादन और विक्रय बंद कर दिया है।