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मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को चौपट करने वाले दो गुनहगारों पर चली कैंची

विजया पाठक
मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को चौपट करने वाले दो गुनहगारों पर चली कैंची
मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को चौपट करने वाले दो गुनहगारों पर चली कैंची

एक को विभाग से किया बेदखल, क्या विश्वास सारंग को हटा पायेंगे मुख्यमंत्री यादव?

कमलनाथ ने उठाया था सबसे पहले नर्सिंग घोटाले का मुद्दा

विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन दिनों एक्शन में दिखाई दे रहे हैं। एक्शन शब्द का इस्तेमाल इसलिए भी किया है क्योंकि उन्होंने लंबे समय से चली आ रही प्रदेश के भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही की मांग को पूरा कर दिया। दरअसल मोहन यादव ने पिछले दिनों अधिकारियों की एक सूची जारी कि जिसमें वरिष्ठ आईएएस अफसर और अपर मुख्य सचिव मो. सुलेमान को स्वास्थ्य विभाग से बेदखल कर दूसरे विभाग में भेज दिया गया है। आपको बता दें कि मो. सुलेमान वहीं अधिकारी हैं जिन्होंने कोरोना समय से लेकर अभी तक स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाली। यही नहीं स्वास्थ्य विभाग में रहते हुए उनके ऊपर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे।

हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी अफसरों में शामिल सुलेमान पर यह कार्यवाही कर मोहन यादव ने स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश में किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। मोहन यादव के इस एक्शन को देखकर एक बार फिर उम्मीद जागी है कि वे जल्द ही प्रदेश में हुए नर्सिंग और पेरामेडिकल घोटाले के मुख्य आरोपी राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग पर भी कार्यवाही कर सकते हैं। अगर मुख्यमंत्री यादव, कैबिनेट साथी सारंग पर कार्यवाही करते हैं तो निश्चित ही यह उनके लिये एक विशिष्ट उपलब्धि होगी क्योंकि विश्वास सारंग वह मंत्री हैं जिन्होंने प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को पूरी तरह से चौपट करने में मुख्य भूमिका निभाई है।

ढ़ाई हजार करोड़ से अधिक की फर्जी खरीदी

सूत्रों के अनुसार कोरोना का वह संकट जब इंसान के जीने-मरने में लगा हुआ था, लोगों को पर्याप्त इलाज नहीं मिल रहा था। ऑक्सीजन के लिये लोग दर-दर भटक रहे थे। ऐसे संवेदनशील माहौल में प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा और घोटालेबाज मंत्री विश्वास सारंग मेडिकल उपकरण की फर्जी खरीदी करने में व्यस्त थे। सूत्रों के अनुसार कोरोना के लगभग दो वर्षों के इस संकटकाल के दौरान प्रदेश में लगभग ढ़ाई हजार करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी खरीदी की गई। इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर, वेंटिलेटर, अस्पतालों में उपयोग होने वाले इंजेक्शन, पीपीपी किट, जरूरी दवाईयां, स्टेथोस्कोप, मेडिकल किट सहित अन्य आवश्यक चिकित्सीय उपकरणों में जबरदस्त फर्जीवाड़ा प्रदेश के तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा मो. सुलेमान की जोड़ी ने किया।

आग लगाकर सबूतों को किया खाक

कोरोना के बाद जैसे ही इस पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी सामने आने लगी तो घोटालेबाज मंत्री विश्वास सारंग के इशारे पर उन्हीं के गुर्गों ने मंत्रालय के उसी कक्ष में आग की घटना को अंजाम दिया जहां कोरोना काल के दौरान रखी गई फाइलें मौजूद थी। इन फाइलों में हर उस कार्य का पूरा हिसाब था जो उस समय में सारंग के निर्देश पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने किया था। दबाव बनाकर फर्जी ढंग से फाइलों पर दस्तखत करवाना, मनचाहे ढंग से बजट की स्वीकृति देना और उस बजट को अपने स्वार्थवश उपयोग करना यह सब सारंग के ही इशारे पर होता था। यही कारण है कि सारंग ने इन सभी फर्जी दस्तावेज को नेस्तानाबूद करने के लिये मंत्रालय में दो बार आगजनी की घटना को अंजाम दिया।

फंस सकते हैं कई बड़े अधिकारी

जबलपुर का मेडिकल कालेज अस्पताल जबलपुर संभाग सहित महाकौशल, विंध्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। इसके साथ ही प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पतालों में भी जबलपुर मेडिकल कालेज का नाम है। अगर वैश्विक आपदा के दौरान यहां बड़ी गड़बड़ी हुई है और इसकी जांच में सत्यता पाई जाती है तो एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है, जो कि मेडिकल कालेज के कई बड़े अधिकारियों की गले की फांस बन सकता है। इसे लेकर अब चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। यही नहीं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित हमीदिया अस्पताल, सुल्तानिया अस्पताल, जयप्रकाश अस्पताल में सभी फर्जी और कमजोर मेडिकल उपकरणों की खपत को अंजाम दिया।

24 करोड़ की फर्जी स्कालरशिप भी पचा ली

वर्ष 2010 से 2015 तक प्रदेश के सैकड़ों निजी पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों का प्रवेश दिखाकर सरकार से करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति की राशि डकार ली थी। जांच में खुलासा हुआ कि जिन छात्रों के नाम पर राशि ली गई थी, वो कभी एग्जाम में बैठे ही नहीं थे। इसके अतिरिक्त एक ही छात्र के नाम पर कई कॉलेजों में एक ही समय में छात्रवृत्ति निकाली गई थी। घोटाले की जांच के बाद प्रदेश भर में 100 से ज्यादा कॉलेज संचालकों पर एफआईआर दर्ज हुई थी। पूरे प्रदेश में 93 निजी पैरामेडिकल कॉलेजों से 24 करोड़ रुपये की वसूली होनी थी।

कमलनाथ ने उठाया था सबसे पहले मुद्दा

मध्यप्रदेश में हुए फर्जी नर्सिंग कॉलेज के घोटाले मामले से पर्दा सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उठाया था। उन्होंने ने ही इस पूरे मामले को शिवराज सिंह चौहान के संज्ञान में लाया लेकिन उन्होंने उस समय इस पर कोई कार्यवाही नहीं की और आंख बंद करके बैठे रहे। यही नहीं कमलनाथ ने सत्ता से बाहर होने के बाद लगातार इस पूरे मामले जांच करवाने की मांग की लेकिन सत्ता में वापसी कर आई भाजपा सरकार के नेताओं ने इस पर कोई कार्य नहीं किया और इस पूरे घोटाले को अमली जामा पहनाया।

अब एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे सारंग

वहीं, तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग खुद के द्वारा किये गये इस घोटाले को अब पूर्व चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ के ऊपर मढ़ रहे हैं। उन्होंने विधानसभा में जो कॉपियां और दस्तावेज दिखाये वे सब फर्जी हैं। ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने फर्जी ढंग से इन निजी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने का काम किया था। हालांकि सारंग द्वारा किये गये इस भ्रष्टाचार से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं परिचित हैं। यही कारण है कि वे किसी भी तरह से सारंग के बचाव में आकर अपनी छवि धूमिल नहीं कर रहे हैं।

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