आमेट
Amet News : विद्युत क्षेत्र में किये जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने की मांग
M. Ajnabee, Kishan paliwalM. Ajnabee, Kishan paliwal
आमेट. राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति शाखा आमेट के पदाधिकारीयो ने सोमवार को नगर के विद्युत कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन करतें हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा विभाग,राजस्थान सरकार, जयपुर के नाम लिखा एक ज्ञापन विभाग के अधिशाषी अभियंता एसपी सिंह कों देकर विद्युत के क्षेत्र में उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण निगमों में भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर किये जा रहे अंधाधुध निजिकरण पर रोक लगाने की मांग की।
संघर्ष समिति के मनोहर सिंह चौहान, छगनलाल गर्ग, ललित कुमार चंदेल, सुनील कुमार कुमावत, उमा शंकर शर्मा, दिनेश चन्द्र रैगर,सुनील रावत, भगवान सिंह गुर्जर, धर्मेन्द्र कुमार बराला, अमीर सिंह, विनोद कुमार कोहली, सुखदेव सिंह चारण, प्रकाश चन्द्र जारोटीया आदि ने दिये ज्ञापन में बताया कि
पूर्व में आपके समक्ष प्रस्तुत पत्र के संबंध में विद्युत के क्षेत्र में उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण में में भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर किये जा रहे अंधाधु निजिकरण पर रोक लगाने हेतु राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा आग्रह किया गया था। परन्तु विद्युत प्रशासन द्वारा इन्हें रोकने पर अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाये गये है।
विद्युत क्षेत्र का निमार्ण व संचालन राज्य सरकार द्वारा निगम के माध्यम से उद्योग धंधों के विकास कृषि के उपयोग व घरेलु उपभोक्ताओं के दैनिक दिन उपभोग हेतु किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा इस विद्युत्त क्षेत्र का संचालन बिना लाभ-हानि के सिद्धांत पर अपनी राज्य की जनता के प्रति लोक कल्याणकारी सरकार की सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु किया जाता है।
परन्तु वर्तमान सरकार अपनी लोक कल्याणकारी भूमिका को छोडकर विद्युत क्षेत्र की लाम हानि के आधार पर संचालन की मंशा से आगे बढ़ रही है । उसी के कारण विद्युत प्रशासन द्वारा विद्युत के वितरण, प्रसारण व उत्पादन में वर्तमान से द्रुतगति से भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर निजिकरण किया जा रहा है।
बताया गया कि वितरण के क्षेत्र में तीनों डिस्कॉम में वर्तमान में अधिकतर कार्य आउटसोर्स, एफआरटी, ठेके च सीएलजारसी इत्यादि नामों से निजि भागीदारी द्वारा करवाये जा रहे है। अब एचएएम मॉडल के तहत 33/11 केवी ग्रिड के फीडर सेग्रिगेशन व सोलराईजेशन के नाम पर आउटसोर्स कर निजी हाथों में दिया जा रहा है।
जो कि ग्रिड सैपटी कोड का सीधा सीधा उल्लंघन है। इसके कारण एच एएम मोडल के तहत 33/11 केवी ग्रिड निजी हाथों में देने से राज्य में देश की सामरिक सुरक्षा को किसानों/जनता के आन्दोलनों, प्रदर्शनों एवं युद्ध के समय में खतरा उत्पन्न हो सकता है। तथा प्रसारण निगम जो कि वर्षों से लाभ देने वाला संस्थान है, उसके बावजूद इसके ग्रिडों का संचालन कलस्टर के माध्यम से ठेके पर देकर करवाया जा रहा है.
एव अब इनविट के माध्यम से प्रसारण की आर्थिक सुदृढता व लाभकारी स्थिति में विशेष योगदान देने वाले 765 केबी व 400 केवी ग्रिड सब-स्टेशन से प्राप्त होने वाली आय को इस मॉडल के माध्यम से निजि भागीदारों को बाटकर प्रसारण को भी हानि का निगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
विद्युत प्रशासन व राज्य सरकार द्वारा कर्मचारी व अधिकारियों के इस लोकतांत्रिक माध्यम से विभाग बचाने हेतु दिये गये ज्ञापन पर संज्ञान नहीं लिया जाता है तो भविष्य में देश, उद्योग व श्रमिक हित में लोकतांत्रिक श्रमिक आंदोलन जारी रहेगें।