उत्तर प्रदेश
श्रीराम के दरबार की भव्यता में जुड़ा सोने का तेज, जानिए कितने करोड़ का हुआ इस्तेमाल
paliwalwani
उत्तर प्रदेश. अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आई है, जिसने रामभक्तों और श्रद्धालुओं को चौंका दिया है। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया है कि अब तक इस मंदिर में कुल 45 किलोग्राम शुद्ध सोने का उपयोग हो चुका है।
यह सोना मुख्य रूप से मंदिर के भूतल पर बने दरवाजों और भगवान श्रीराम के सिंहासन को सजाने के लिए लगाया गया है। इसकी अनुमानित कीमत करीब 50 करोड़ रुपये है, हालांकि इसमें टैक्स की राशि शामिल नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि मंदिर के शेषावतार खंड में अब भी सोने का काम जारी है, जिससे साफ है कि यह कार्य पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है।
राम मंदिर में श्रद्धा और भव्यता का ये संगम यहीं नहीं रुकता। बीते गुरुवार को मंदिर की पहली मंजिल पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई है। गर्भगृह के ठीक ऊपर राम दरबार को स्थापित किया गया है। इस समारोह में राम दरबार के साथ-साथ कुल सात मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिनमें उत्तर-पूर्व दिशा में शिवलिंग, दक्षिण-पूर्व में गणपति, दक्षिण दिशा के मध्य में हनुमान, दक्षिण-पश्चिम में सूर्य देव, उत्तर-पश्चिम में भगवती और उत्तर दिशा के मध्य में अन्नपूर्णा माता की मूर्तियां शामिल हैं। यह आयोजन काफी श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।
फिलहाल राम दरबार को आम श्रद्धालुओं के लिए खोला नहीं गया है। राम मंदिर ट्रस्ट के एक अधिकारी के अनुसार, दर्शन की प्रक्रिया को सीमित रूप में शुरू किया गया है, जिसमें भक्तों को निशुल्क पास जारी किए जाएंगे। दर्शन व्यवस्था को लेकर अंतिम निर्णय आगामी बैठक में लिया जाएगा। यह राम मंदिर परिसर में आयोजित होने वाला दूसरा बड़ा धार्मिक आयोजन था। इससे पहले 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, जिसने समूचे देश और विदेशों में बसे रामभक्तों को अभूतपूर्व भावनात्मक जुड़ाव का अनुभव कराया था।
जहां एक ओर मंदिर का मुख्य ढांचा लगभग पूरा हो चुका है, वहीं दूसरी ओर संग्रहालय, ऑडिटोरियम और गेस्ट हाउस जैसे हिस्सों का निर्माण कार्य अभी प्रगति पर है। ट्रस्ट की योजना के अनुसार इन सभी निर्माण कार्यों को दिसंबर 2025 तक पूर्ण कर लिया जाएगा, जिसके बाद यह भव्य मंदिर केवल आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक बनकर देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत होगा।
हालांकि, गर्मी की तीव्रता और पर्याप्त छांव की व्यवस्था न होने के कारण कई श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा।