धर्मशास्त्र

Tulsi Vivah and Hariprabodhini Vrat : शुक्र अस्त होने कारण इस वर्ष नहीं होगा तुलसी विवाह

Paliwalwani
Tulsi Vivah and Hariprabodhini Vrat : शुक्र अस्त होने कारण इस वर्ष नहीं होगा तुलसी विवाह
Tulsi Vivah and Hariprabodhini Vrat : शुक्र अस्त होने कारण इस वर्ष नहीं होगा तुलसी विवाह

इस वर्ष तुलसी विवाह एवं हरिप्रबोधिनी व्रत (Tulsi Vivah and Hariprabodhini Vrat) को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। तुलसी विवाह एवं हरिप्रबोधिनी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (Mahant Rohit Shastri) (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तुलसी का विवाह भगवान शालीग्राम जी से विवाह नक्षत्र काल में ही करने का शास्त्र विधान हैं। मुख्यत: लोग कार्तिक शुक्ल एकादशी व्रत वाले दिन प्रदोष काल में तुलसी विवाह एवं पूजन करते हैं।शुक्र अस्त (तारा डूबा) हुआ होने के कारण इस वर्ष तुलसी विवाह नहीं होगा।

एकादशी तिथि 03 नवंबर 2022 को शाम 07 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ हो गई है जोकि 04 नवंबर 2022 को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 04 नवंबर शुक्रवार होने के कारण कार्तिक शुक्ल पक्ष की हरिप्रबोधिनी एकादशी व्रत 04 नवंबर शुक्रवार को होगा। 

महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस दिन तुलसी के पौधे को सजाकर उसके चारों तरफ गन्ने का मंडप बनाना चाहिए। तुलसी जी के पौधे पर चुनरी या ओढ़नी चढ़ानी चाहिए और पूजन करना चाहिए। उन्होंने बताया है कि तुलसी पूजन करते समय (ऊं तुलस्यै नम:) मंत्र जाप करें, दूसरे दिन पुन: तुलसी जी और विष्णु जी की पूजा कर,ब्राह्मण को भोजन करवा कर यजमान खुद भोजन कर व्रत का पारण करना चाहिए। भोजन के पश्चात तुलसी के स्वत: गलकर या टूटकर गिरे हुए पत्तों को खाना शुभ होता है। इस दिन गन्ना, आंवला और बेर का फल खाने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

तुलसी धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व की दृष्टि से विलक्षण पौधा है, जिस घर में इसकी स्थापना होती है, वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख, शांति और समृद्धि स्वमेव आती है,इससे वातावारण में स्वच्छता और शुद्धता बढती है, प्रदूषण पर नियंत्रण होता है, आरोग्य में वृद्धि होती है, जैसे अनेक लाभ इससे प्राप्त होते हैं। महंत रोहित शास्त्री का कहना है कि घर में तुलसी पौधे की उपस्थिति एक वैध के समान है जौ घर में वास्तु दोष को भी दूर करने में सक्षम है।हमारे शास्त्र इसके गुणों से भरे पड़े हैं।जन्म से मौत तक तुलसी काम आती है।

कन्या के विवाह में अगर विलंब हो रहा हो अग्नि कोण में तुलसी लगा कर कन्या रोज पूजन करे तो विवाह जल्दी अनुकूल स्थान पर होगा। शास्त्रों के अनुसार तुलसी के बहुत प्रकार के अलग अलग पौधे मिलते है जैसे श्री कृष्ण तुलसी,राम तुलसी, लक्ष्मी तुलसी ,शामा तुलसी,वन तुलसी ,भू तुलसी, रक्त तुलसी,आदि ।

इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ें

शास्त्रों के अनुसार एकादशी, रविवार के दिन और सूर्य ग्रहण व् चंद्र ग्रहण के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। इसके अलावा रात में और बिना उपयोग के भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को दोष लग सकता है।

सूखा पौधा न रखें

अगर घर में लगा हुआ तुलसी का पौधा सूख जाए तो उसे किसी नदी या बहते पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए। क्योंकि घर में सूखा पौधा रखना अशुभ माना जाता है।

इन पर कभी न चढ़ाएं तुलसी पत्ते

शिवलिंग और गणेश जी के पूजन में तुलसी के पत्तों का प्रयोग वर्जित होता है। जिसके पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं, इसलिए इन दोनों के पूजन में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता।

तुलसी नामाष्टक मंत्र

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।। (हि.स.)

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