धर्मशास्त्र
एकादशी का पर्व 18 को : निर्जला एकादशी पर निर्जला व्रत रखने भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है : आचार्य दीपक तेजस्वी
paliwalwani
निर्जला एकादशी का पर्व 18 जून को मनाया जाएगा
गाजियाबाद.
हिंदू धर्म में साल की सभी चौबीस एकादशियों का बहुत महत्व है. इन 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी सबसे अधिक महत्वपूर्ण एकादशी है. इस बार निर्जला एकादशी का पर्व 18 जून 2024 को मनाया जाएगा. आचार्य दीपक तेजस्वी के अनुसारज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून 2024 की प्रातः 4 बजकर 42 मिनट से 18 जून को प्रातः 6 बजकर 23 मिनट तक रहेगी.
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को रखा जाएगा. निर्जला एकादशी के व्रत का महत्व इसी से लगाया जा सकता है कि अपनी रक्षा व भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए मनुष्य ही नहीं देवता, दानव, नाग, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, नवग्रह आदि भी यह व्रत रखते हैं.
निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होता है, क्योंकि ज्येष्ठ माह की भीषण गर्मी में भोजन ही नहीं बिना जल के यह व्रत किया जाता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से आध्यत्मिक उन्नति, सुख-शांति, समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होने से जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं रहता है.
इस बार की निर्जला एकादशी का महत्व और भी बढ गया है, क्योंकि इस दिन शिव योग, सिद्ध योग व त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है. निर्जला एकादशी पर जल का दान सबसे बडा दान माना जाता है. इस दिन खुद निर्जल रहकर दूसरों को जल पिलाया जाता है. इसी कारण निर्जला एकादशी पर जगह-जगह छबील लगाकर जल या मीठे शरबत का वितरण किया जाता है.
जल का दान करने मात्र से भी भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. भगवान विष्णु को पीले रंग की चीजें प्रिय हैं. अतः निर्जला एकादशी के दिन उन्हें केले का भोग अवश्य लगाना चाहिए. पीले रंग की मिठाई, मिश्री, पंजीरी, पंचामृत का भोग भी भगवान विष्णु को लगाया जाता है. भगवान विष्णु को मखाने की खीर बेहद प्रिय है. अतः इसका भोग लगाने से भी उनकी असीम कृपा बनी रहती है.