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Ola, Uber हुआ महंगा : ऑटो बुक कर चलने वालों को झटका!, महंगा होगा किराया, जानिए कितना बढ़ा

Paliwalwani
Ola, Uber हुआ महंगा : ऑटो बुक कर चलने वालों को झटका!,  महंगा होगा किराया, जानिए कितना बढ़ा
Ola, Uber हुआ महंगा : ऑटो बुक कर चलने वालों को झटका!, महंगा होगा किराया, जानिए कितना बढ़ा

अगर आप शहर में रहते हैं और ओला या उबर व अन्‍य ऐप से आटो बुक करते हैं तो आपको अब अपनी जेब हल्‍की करनी पड़ सकती है। क्‍योंकि अगले साल से ओला या उबर जैसे ऐप का इस्‍तेमाल करना महंगा हो जाएगा। इन सेवाओं का लाभ लेने के लिए आपको 1 जनवरी 2022 से 5% जीएसटी देना होगा। सरकार ने घोषणा की है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से पेश किए जाने वाले ऑटो-रिक्शा 5% जीएसटी के अंतर्गत आएंगे। वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर यात्री परिवहन सेवाएं प्रदान करने वाले ऑटो-रिक्शा के लिए जीएसटी छूट को राजस्व विभाग ने रद्द कर दिया है। वहीं ऑफलाइन ऑटो-रिक्शा की सेवाओं पर जीएसटी नहीं देना होगा।

जानकारी के अनुसार किसी भी ऑनलाइन मार्केटप्लेस के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाएं 1 जनवरी, 2022 से 5% की दर से कर-कटौती के अंर्तगत आएंगी। जानकारों का मानना है कि इस नए संशोधन से ई-कॉमर्स उद्योग फर्मों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। क्‍योंकि आज के समय में बड़े से लेकर छोटे शहरों में भी ऑनलाइन ऑटो सेवाओं को इस्‍तेमाल किया जा रहा है। सवारी के लिए यह एक सुविधाजनक व्‍यवस्‍था के रूप में उपयोग किया जा रहा है। ई-कॉमर्स व्यवसाय ने यात्री परिवहन सेवाओं की सुविधा के लिए बाजार में खुद को एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का मानना है कि एक तरफ भारत में परिवहन का ऐसा विस्‍तार हो रहा है, जो लोगों की सुविधा के लिए सही है और ऐसे में इस तरह का फैसला गलत संकेत दे सकता है। इस तरह के फैसले से ई कॉमर्स कंपनियों पर बुरा असर पडे़गा। ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर बिपिन सपरा ने पीटीआई को बताया, “नए शामिल क्लॉज ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से बुक की गई सवारी को और अधिक महंगा बना देंगे, जिसके परिणामस्वरूप ऑफलाइन और ऑलाइन सेवा में समानता नहीं होगी।

महंगा होगा किराया
ऑटो सेवा ऑनलाइन देने पर अब 5% की दर से कर-कटौती लोगों के लिए परेशानी ला सकती है। इससे लोगों की जेब पर असर होगा, ऐसा भी हो सकता है कि ऑनलाइन के तरह ही ऑफलाइन ऑटो सेवाएं भी महंगी हो जाए। हालाकि ऑफलाइन ऑटो सेवाओं को जीएसटी के दायरे में नहीं रखा गया है।

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