राजसमन्द

मेवाड़ की बेटी पर देश को नाज : पैडवूमन भावना पालीवाल पिछले 16 वर्षो से मासिक धर्म पर बदल रही है समाज की सोच

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मेवाड़ की बेटी पर देश को नाज  : पैडवूमन भावना पालीवाल पिछले 16 वर्षो से मासिक धर्म पर बदल रही है समाज की सोच
मेवाड़ की बेटी पर देश को नाज : पैडवूमन भावना पालीवाल पिछले 16 वर्षो से मासिक धर्म पर बदल रही है समाज की सोच

'लाल बिंदी' को बनाया पहचान, महिलाओं को माहवारी के दौरान स्वच्छता के लिए महिलाओं ने छेड़ा अभियान

 

देवगढ़. सालो पहले मासिक धर्म को लेकर कई मिथक थे वो सभी संसाधनों की कमी के कारण थे पुराने ज़माने में न तो सिले हुए कपडे थे ना सेनेटरी नेपकिन यही वजह है की महिलाओ को मासिक धर्म के दोरान एक ही जगह रखा जाता था लेकिन बदलते दोर में सब कुछ बदल गया है लेकिन आज भी मासिक धर्म को लेकर समाज और परिवार की चुप्पी और बंदिशे लगाकर उन्हें अकेला रख उन्ही बातो का पालन कराना गलत है।

इसी मोन और चुप्पी को तोड़ने के लिए राजसमन्द जिले के देवगढ़ की रहने वाली भावना पालीवाल पिछले 16 वर्षो से कार्य कर रही है ।  माहवारी की बात होते ही लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव की तस्वीर उभरने लगती है। खासकर ग्रामीण और कामकाजी महिलाओं को इस भेदभाव का काफी सामना करना पड़ता  है जिले कई के  कई अलग अलग गांवो मे पिछले चोदह वर्षो से ‘चुप्पी तोड़ो सयानी बनो, अब पता चलने दो, मेरी लाडो, स्त्री स्वाभिमान पीरियड पाठशाला, पीरियड पॉजिटिव', हैप्पी टू ब्लीड, 'पीरियड्स आर नॉट एन इंसल्ट','आइ एम नॉट डाउन' जैसे कई सोशल मीडिया अभियानों सहित कई अभियान चलाये। पालीवाल का कहना है महिला की डिग्निटी सबसे महत्वपूर्ण है। लड़कियों का आत्मसम्मान आहत न हो इसका ध्यान रखना होगा। बिना सोचे-समझे हमारा समाज बंदिशों को ढोए चला जा रहा है। जबकि इनसे बाहर निकलना होगा। मासिक धर्म कोई अपराध नहीं जो स्‍वयं सृष्‍टि का आधार है वो केसे अपवित्र हो सकती है। 

इन्ही सब बातो के लेकर झिझक तोड़ पीरियड के दिनों को लेकर चर्चा कर उनके मन की तमाम भ्रांतियों को दूर किया जाता है वही अब बदलाव स्वरुप देश भर से हजारो महिलाये और युवतिया  हाथो पर लाल बिंदी लगाकर इस  अनूठे अभियान का हिस्सा बनी है। पालीवाल द्वारा इस प्रकार के अभियान को लेकर अब उन्हें देश की  पैडवुमन के नाम से जाना जाता है । 

मजाक भी उड़ाया ताने भी सुनाये  

शुरुआत में कई लोगो ने इस प्रकार की चर्चा को लेकर हीन भावना से देखा कई बार लोगों के ताने सुनने पड़े ओर समस्याओं का सामना भी करना पड़ा, कई लोगो ने मज़ाक उड़ाया और कई भी इस प्रकार की बात शुरू होती तो पुरुष लोग उठकर चले जाते और साथ में महिलाये भी लेकिन भावना ने हिम्मत नहीं हारी। भावना ने अपना मिशन जारी रखा और पिछले 16 वर्षो से सेनेटरी पैड यात्रा के तहत पीरियड पाठशाला आयोजित कर एक लाख से अधिक सेनेटरी पेड़ बांटकर 500 से अधिक कार्यशालाए की। इन सभी कार्यो के पीछे भावना का एक ही उद्देश्य आपकी कोन करेगा शुरुआत इसका इंतजार मत करिए आपकी एक कोशिश हजारो का जीवन बदल सकती है  

पूरी प्रक्रिया की इस प्रकार देती है जानकारी 

पालीवाल गाँव की चोपाल पर, गली मोहल्लो मे, स्कूल मे, कॉलेज मे,  ग्राम पंचायत मे महिलाओ ओर युवतियो को एक जगह एकत्रित कर माहवारी पर 2 से 3 घंटे की कार्यशाला मे अनियमित माहवारी, कारण, लक्षण, इलाज, पीरियड्स में क्या है नॉर्मल, क्या है ऐब्नॉर्मल? मासिक धर्म चक्र के चरणों, मासिक धर्म की उम्र और मासिक धर्म की समस्याओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है।आज भी कई जगह पर बच्चिया इस बारे में अपनी मां से भी बात करती हैं, और शर्म के चलते कई माताए भी बच्चियों से खुलकर बातें नहीं करतीं इन्ही सभी सवालों के जवाब उन्हे इस कार्यशाला मे मिल जाते है।पालीवाल कार्यशाला में उन्हे सेनेटरी पेड का वितरण कर उन्हे निस्तारण संबन्धित सभी जानकारी देती है। 

पैडवुमन पालीवाल को अभियान को मिले सम्मान 

पालीवाल द्वारा चलाई जा रही मासिक धर्म पर पीरियड पाठशाला को डिजिटल इंडिया, भारत सरकार  के  पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, महिला अधिकारिता विभाग भारत सरकार, राजस्थान सरकार, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी और कई केन्द्रीय मंत्रियो  द्वारा सराहना की है वही वोडाफोन इंडिया फाउंडेशन द्वारा देश की वुमन ऑफ वंडर का ख़िताब, इंटरनेशनल यूथ सोसायटी द्वारा राष्ट्रीय महिला गौरव अवार्ड,  विप्र फाउंडेशन द्वारा देश के तेजस्विनी महिला, हरियाणा में महिला रत्न अवार्ड, शी शक्ति अवार्ड, कोरोन कर्मवीर, पत्रिका टॉप 40 यंग लीडर महिला अधिकारिता विभाग द्वारा राजसमन्द की विशिष्ट महिला सहित कई संस्थाओ द्वारा पालीवाल के कार्यो को सम्मान मिला है।

!! आओ चले बांध खुशियों की डोर...नही चाहिए अपनी तारीफो के शोर...बस आपका साथ चाहिए...समाज विकास की ओर !!

HISTORY : पालीवाल समाज को गौरवान्वित करती भावना महेश पालीवाल की तारीफ जितनी की जाएं कम है. आज के कठिन परिस्थियों के बीच समाजसेवा करना वो भी बिना स्वार्थ, एक सोचने वाली बात है, हमारी मातृशक्ति जब समाज के प्रति इतनी जागरूकता रखती है, तो फिर हम क्यों नहीं रख सकते...!

Edited By : Anil Bagora-Sunil Paliwal

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