राजसमन्द

प्रथम पुण्यतिथि पर विशेष : लोगों के दिलों में आज भी जिंदा हैं : बालकिशन जी प्रजापत

Paliwalwani
प्रथम पुण्यतिथि पर विशेष : लोगों के दिलों में आज भी जिंदा हैं : बालकिशन जी प्रजापत
प्रथम पुण्यतिथि पर विशेष : लोगों के दिलों में आज भी जिंदा हैं : बालकिशन जी प्रजापत

दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो जिंदा रहते हुए समाज के लिए बहुत कुछ कर जाते हैं। और जब वह दुनिया से रुखसत हो जाते हैं. तो उनके किए हुए काम हमेशा के लिए एक मिसाल बन कर रह जाते हैं. आज हम मेवाड़ के ऐसे ही सशक्त समाजसेवी और प्रजापत समाज के लाडले बाल किशन जी प्रजापत के जीवन चरित्र के बारे में चर्चा करेंगे, जिनका निधन गत वर्ष 29 दिसंबर 2020 को हो गया था.

11 जनवरी 1948 के दिन राजसमंद जिले के बामन टुकड़ा गांव के एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले बालकिशन जी बचपन से ही गंभीर प्रवृत्ति के बालक थे. गांव में तत्कालीन समय में छोटी-बड़ी शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपने पारिवारिक रोजगार को आगे बढ़ाया. कालांतर में उनका विवाह रामीबाई (थामलिया) प्रजापत  के साथ हुआ. जिनसे उन्हें पुत्र-भैरूलाल, शम्भुलाल, रतनलाल, प्रकाश प्राप्त हुए. परिवार रोजगार के साथ-साथ समाजसेवा में भी सक्रिय रहे.

उनके जीवन के सबसे बड़ी बात थी कि आम आदमी के दुख दर्द को देखकर उसकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे. अपनी इसी आदत के चलते गांव में ही नहीं, बल्कि वे समाज में भी लोकप्रिय हुए. तत्कालीन समय में ग्राम पंचायत के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर भी उन्होंने लंबे समय तक कई सरपंचों का साथ और सहयोग दिया. इसी कारण बड़े अधिकारियों और राजनेताओं के साथ उनके गहरे संबंध स्थापित हो गए.

● प्रजापत समाज के लिए जागरूक रहे

मेवाड़ में आज भी विभिन्न समाजों में चौखला परंपरा पाई जाती है. जिसमें लोग अपने मामलों को निजी स्तर पर भी खत्म कर कोर्ट कचहरी के चक्कर में नहीं पड़ते हैं. इस परंपरा में भी बालकिशन जी सक्रिय रहे. समाज के नवीन उत्थान के लिए हमेशा उनकी गहरी सोच रही. समाज की न्यायिक परंपरा में हमेशा उनका एक दृष्टिकोण था कि गरीब आदमी के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं हो. यही कारण था कि समाज की जाजम पर आने वाले हर बड़े फैसले मे बालकिशन जी से राय ली जाती थी. 

●  पिता की परंपरा को बढ़ा रहे हैं पुत्र

बालकिशन जी की परंपरा को उनके पुत्र भी आगे बढ़ा रहे हैं. उनके सबसे बड़े पुत्र भैरूलाल, शम्भुलाल, रतनलाल, समाजसेवा व व्यवसाय में सक्रिय हैं. तो वहीं सबसे छोटे पुत्र प्रकाश प्रजापत मुंबई के एक जाने-माने पत्रकार हैं. परिवार के तमाम सदस्य बालकिशन जी की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं.

●  किरण  माहेश्वरी और बालकिशन जी 

विधायक किरण माहेश्वरी के साथ बालकिशन जी के अच्छे रिश्ते रहे. बामन टुकड़ा यात्रा के दौरान किरण जी जब भी यहां आतीं तो बाल किशन से जरूत मिलतीं. वह गांव के विकास के लिए बात करते थे. यही कारण था कि किरण जी जब भी मुंबई आती तो मुंबई में बालकिशन जी के पुत्र पत्रकार प्रकाश प्रजापत से उनके पिता के बारे में हाल-चाल जरूर पूछा करती थीं.  किरण जी का मानना था कि लोग अपने निजी समस्याएं लेकर मेरे पास आते थे. लेकिन बालकिशन जी गांव की समस्या लेकर आते थे, उनकी सोच गांव के प्रति हमेशा पॉजिटिव रही. देखिए आज विधि का विधान है कि किरण जी और बालकृष्ण जी हमारे बीच नहीं हैं.

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