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सड़क निर्माण में हुये बड़े भ्रष्टाचार के तीन दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही अधर में...
paliwalwaniमहापौर ने कर दिया है कार्यवाही..?
शासन से लिया जायेगा परामर्श, पुन : MIC में होगा पुनर्विचार तब होगी कार्यवाही
सिंगरौली. नगर निगम सिंगरौली में 2019 में साढ़े चार करोड़ की लागत से गुणवत्ताविहीन सड़क निर्माण के मामले में तीन अधिकारियों को दोषी मानते हुये कार्यवाही प्रस्तावित है।
नगर निगम के कार्यपालन यंत्री वीबी उपाध्याय, तत्कालीन सहायक यंत्री संतोष पाण्डेय (वर्तमान में खंडवा में पदस्थापना) व उपयंत्री पीके सिंह पर कार्रवाई को लेकर शासन से परामर्श लिया जाएगा। साथ ही कार्रवाई का प्रस्ताव एक बार और एमआइसी में पुनर्विचार के लिए भेजा जाएगा। एमआइसी की ओर से सोमवार को जारी मिनिट्स में ये निर्णय लेख है।
वैढ़न में माजन मोड़ से नवजीवन विहार इंदिरा चौक तक मुख्य मार्ग का निर्माण 2019 में कराया गया था। साढ़े 4 करोड़ के निर्माण कार्य में गुणवत्ता नजर अंदाज किए जाने की शिकायत की गई थी। नगर निगम के तीनों अधिकारियों पर आरोप था कि गुणवत्ताविहीन कार्य कराने के बाद दोबारा निगम का बजट खर्च कर मरम्मत कराई जाये।
शिकायत के बाद संभागीय संयुक्त संचालक रीवा ने जांच की। जांच नगर निगम के उपायुक्त ने की और उसमें आरोप सही बताए गए। दोनों जांच के आधार पर अधिकारियों पर कार्रवाई का प्रस्ताव 16 फरवरी को बुलाई गई एमआइसी की बैठक में लाया गया। जिसके मिनिट्स में आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए शासन से परामर्श लिए जाने का निर्देश दिया गया है।
संभागीय संयुक्त संचालक रीवा की जांच में आरोपी तीनों अधिकारियों के वेतन से 8,35,233 रुपए (प्रत्येक से 208808 रुपए) की वसूली और तीनों अधिकारियों को सेवा से पदच्युति किए जाने का मत है। इसी प्रकार संविदाकार आस्था कंस्ट्रक्शन कंपनी पर भी कार्रवाई का विमर्श दिया गया है।
मामले में आरोपी अधिकारियों की ओर से पक्ष रखा गया है कि उनकी ओर से अन्य निर्माण कार्यों में भुगतान किया गया है। आवश्यकता को देखते हुए उनकी ओर से कार्य कराया गया बताया गया है। हालांकि अधिकारियों का तर्क आरोप से इतर माना गया है। यही वजह कि उनके तर्क के साथ शासन से परामर्श लेने का एमआइसी ने निर्देश दिया है।
ननि आयुक्त का कहना...
अधिकारियों पर कार्रवाई से पहले कई बिन्दुओं पर विचार किया जा रहा है। उनकी ओर से भी पक्ष रखा गया है। इस पर विचार हो रहा है।शासन से परामर्श लेने के साथ ही एमआइसी में पुनर्विचार के लिए प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया है।