नाथद्वारा
नाथद्वारा श्रीजी में आज : व्रज – पौष कृष्ण अमावस्या
Paliwalwaniनाथद्वारा के युवराज परचारक महाराज श्री 105 चिरंजीवी गौस्वामी श्री भूपेशकुमारजी (श्री विशालबावा) का जन्मदिवस
विशेष : आज नाथद्वारा के युवराज, युवा वैष्णवों के हृदय सम्राट चिरंजीवी गौस्वामी श्री भूपेशकुमारजी (श्री विशालबावा) का 41 वां जन्मदिवस है. paliwalwani.com की तरफ़ से आपश्री को जन्मदिवस की ख़ूबख़ूब बधाई
श्रीजी का सेवाक्रम : उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को पूजन कर हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं. सभी समय झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है. दो समय की आरती थाली में की जाती है. राजभोग में सोने का बंगला आता हैं.श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मनोर (इलायची-जलेबी) के लड्डू, दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी की हांडी व शाकघर में सिद्ध दो प्रकार के फलों के मीठा का अरोगाये जाते हैं. राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता व सखड़ी में मीठी सेव, केशरयुक्त पेठा, व छहभात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात और नारंगी भात) आरोगाये जाते हैं. शामको भोग समय मगद के बड़े नग आरोगाये जाते हैं.
संध्या : आरती में मनोरथ के भाव से श्रीजी और श्री नवनीतप्रियाजी में विविध सामग्रियां, दूधघर सामग्री आदि लवाज़मा सहित अरोगाये जाते हैं.
राजभोग दर्शन : कीर्तन – (राग : सारंग)
श्रीवल्लभ श्रीवल्लभ मुख जाके l
सुन्दर नवनीत के प्रिय आवत हरि ताहि के हिय जन्म जन्म जप तप करि कहा भयो श्रमथाके ll 1 ll
मनवच अघ तूल रास दाहनको प्रकट अनल पटतर को सुरनर मुनि नाहिन उपमा के l
‘छीतस्वामी’ गोवर्धनधारी कुंवर आये सदन प्रकट भये श्रीविट्ठलेश भजनको फल ताके ll 2 ll
साज : श्रीजी में आज श्याम रंग के आधारवस्त्र के ऊपर झाड़ फ़ानुश एवं सेवा करती सखियों की सुनहरी कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली तथा पुष्पों के सज्जा के कशीदे के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र : आज श्रीजी को केसरी रंग का खीनखाब का सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं मैरुन ज़री की फतवी (Jacket) धरायी जाती है. मैरुन रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के लट्ठा के धराये जाते हैं.
श्रृंगार : प्रभु को आज हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरा मोती के सर्वआभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर केसरी खीनखाब के चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर जड़ाऊ लूम तुर्रा सुनहरी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी गेड़ी के कर्णफूल धराये जाते हैं. कस्तूरी, कली एवं कमल माला धरायी जाती है. पीले पुष्पों की सुन्दर कलात्मक थागवाली मालाजी धरायी जाती है. श्रीहस्त में नवरत्न के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं. पट केसरी एवं गोटी जड़ाऊ की धरायी जाती हैं. आरसी लाल मख़मल की दिखाई जाती हैं.