नाथद्वारा

श्रीनाथजी प्रभु की हवेली में बाल स्वरूपों को आलौकिक श्रृंगार

Paliwalwani
श्रीनाथजी प्रभु की हवेली में बाल स्वरूपों को आलौकिक श्रृंगार
श्रीनाथजी प्रभु की हवेली में बाल स्वरूपों को आलौकिक श्रृंगार

मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया सोमवार को श्रीनाथजी प्रभु की हवेली में बाल स्वरूपों को आलौकिक श्रृंगार किया गया. मुखिया बावा ने अनूठा शृंगार धराकर राग भोग और सेवा के लाड़ लड़ाए. किर्तनकरों ने विविध पदों का गान कर श्रीठाकुरजी को रिझाया. मुखिया बावा ने बाल स्वरूपों की आरती उतारी. देश के कई स्थानों से आए श्रद्धालुओं ने श्रीजी प्रभु के दर्शन किए. प्रभु को कई प्रकार का भोग लगाया गया.

श्रृंगार झांकी में मुखिया बावा ने श्रीजी प्रभु के श्रीचरणों में मोजाजी धराए. श्रीअंग पर कत्थई रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की किनारी वाला सूथन, चोली और चाकदार वागा अंगीकार कराए गए. कत्थई मलमल का पटका धराया. गुलाबी ठाड़े वस्त्र धराए. प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया गया. हरे मीना के सभी गहने धराए गए. श्रीमस्तक पर पचरंगी पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का क़तरा, रूपहरी तुर्री और बायीं ओर शीशफूल सुशोभित किया गया. श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल की धराई. श्रीकंठ में कमल माला और सफेद पुष्पों की दो मालाजी धराई. रेशम की लूम धराई. श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और वेत्रजी (एक स्वर्ण का) धराए. कंदराखंड में कत्थई रंग की कशीदे के ज़रदोज़ी काम वाली और हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धराई। गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की गई.

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News