मध्य प्रदेश

मंडी बोर्ड ने दिए निर्देश : अगर अच्छे दाम पर बेचना है सोयाबीन तो करें यह काम

Paliwalwani
मंडी बोर्ड ने दिए निर्देश : अगर अच्छे दाम पर बेचना है सोयाबीन तो करें यह काम
मंडी बोर्ड ने दिए निर्देश : अगर अच्छे दाम पर बेचना है सोयाबीन तो करें यह काम

मध्यप्रदेश. मध्यप्रदेश की कृषि उपज मंडियों में खरीफ फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का काम तेजी से चल रहा है है. मंडियों में अब सोयाबीन की आवक भी बढ़ रही है. मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड ने किसानों को निर्देश दिए हैं कि किसान सोयाबीन की फसल को मंडियों में बिक्री के लिए लाने से पहले अच्छे से धूप दिखाकर लाएं, जिससे उनको सोयाबीन का अच्छा दाम मिल सके.

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मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक विकास नरवाल ने बताया कि सभी सचिवों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वह अपने मंडी क्षेत्र के किसानों को इस बात की जानकारी दें. इस बात‌ की सूचना ‌मुनादी के जरिए किसानों तक पहुंचाई जा रही है. मंडी बोर्ड के सहायक संचालक ने बताया कि बोर्ड द्वारा प्रदेश की 259 मंडियों को यह निर्देश जारी किए गए हैं कि वह अपने क्षेत्र में मुनादी करवा कर किसानों को यह बताएं कि वह सोयाबीन को सुखाकर के मंडी तक लाएं.

उन्होंने कहा कि बीते दिनों देखा गया कि जो सोयाबीन मंडी में आ रहा है. उसमें नमी की मात्रा 20 से 22 प्रतिशत तक है, जिससे किसानों को उसके दाम कम मिल रहे हैं. अगर नमी कम रहेगी तो दाम भी अच्छे मिलेंगे.

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उतार-चढ़ाव के बाद 4000-5000 के भाव पर आया सोयाबीन

मंडियों में सोयाबीन का औसत भाव 4000 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है. 17 सितंबर को रतलाम जिले की सैलाना मंडी में अधिकतम भाव 16151 रुपए प्रति क्विंटल तक गया था. लेकिन तभी केंद्र सराकर ने सोयामील के आयात को मंजूरी दे दी. इस फैसले का असर घरेलू बाजार और कीमतों पर पड़ा. सोयाबीन का भाव देखते ही देखते गिरकर काफी नीचे आ गया. अब किसान 4 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल पर अपनी उपज बेच रहे हैं.

किसानों का कहना है कि सोयामील आयात करने के फैसले की वजह से हमें बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है. इस बार किसानों ने अधिक रकबे में सोयाबीन की खेती की थी. लेकिन उच्चस्तर पर जाने के बाद दाम गिर गए. बीते दो-तीन साल से घाटा झेल रहे किसानों को इस बार अच्छी आमदनी की उम्मीद थी. लेकिन सरकार के फैसले ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

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