मध्य प्रदेश
मुख्यमंत्री द्वारा जेसी मिल को भी राहत पैकेज की घोषणा : जागी श्रमिकों की आस
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बुरहानपुर : मिल श्रमिक का बेटा हूं मिल बंद होने पर संपूर्ण परिवार पर क्या प्रभाव पड़ता है. अच्छे से समझ सकता हूं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा गत दिनों दिए गए इस व्यक्तित्व से प्रदेश की अनेक बंद पड़ी मिल के श्रमिकों एवं उनके परिवारजनों को आस जगी है.
बुरहानपुर मजदूर संघ के पदाधिकारी बहादरपुर की बंद पड़ी मिल के श्रमिकों को लेकर तहसील कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन के माध्यम से शासन को श्रमिकों की व्यथा बताई. मजदूर संघ अध्यक्ष ठाकुर प्रियांक सिंह ने बताया इंदौर की हुकुमचंद मिल को राहत पैकेज मिल चुका है.
इसी तरह हाल ही में मुख्यमंत्री के ग्वालियर प्रवास के दौरान उन्होंने ग्वालियर की बंद पड़ी जेसी मिल के श्रमिकों को भी राहत पैकेज के माध्यम से उनके रुके हुए फंड्स को देने की घोषणा कर दी है. यह सब घटनाक्रम देखते हुए बहादरपुर मिल के श्रमिकों में भी उत्साह की तरंग दौड़ने लगी है. बंद पड़ी सूत मिल के सभी श्रमिक कर्मचारी आस में बैठे हैं की मुख्यमंत्री कब बुरहानपुर की ओर देखते हैं.
गौरतलब है 1999 से बंद पड़ी बहादरपुर सूत मिल के श्रमिक विगत 25 वर्षों से अपने अधिकारो की लड़ाई हर मोर्चे पर लड़ते आ रहे हैं. ज्ञापन से लेकर प्रदर्शन इत्यादि सतत् करते आ रहे हैं, परंतु आज दिनांक तक सूत मिल श्रमिकों को उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ है.
बुरहानपुर जिला कलेक्टर कार्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित बहादरपुर ग्राम में किसी समय सूत मिल हुआ करती थी जिसमें करीबन 1500 कर्मचारी कार्यरत थे. सन् 1999 में यह मिल घाटे के चलते बंद हो गई. उसके पश्चात धीरे-धीरे मिल की समस्त सामग्री मशीनरी इत्यादि गायब होने लग गई. आज मिल की ना दीवारें बची है, ना गेट, ना कुछ सामान केवल समतल भूमि शेष है.
यही नहीं मिल के स्थान से अवैध उत्खनन भी हुआ है और अवैध कब्जा भी हो चुका है, परंतु कागजों पर अभी भी यह मिल जिंदा है. तहसील कार्यालय में 'हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते' का उद्घोष करते हुए सभी श्रमिक पूर्व कर्मचारीयों व उनके परिवारजनों ने एक सुर में कहा कि भुगतान अधिनियम 1972 के अंतर्गत ग्रेच्युटी की राशि, पीएफ, पेंशन का लाभ जल्द से जल्द प्रदान कर मिल श्रमिक पुत्र मुख्यमंत्री मोहन यादव अपना कर्तव्य निभाएं.
बुरहानपुर तहसीलदार रामलाल पगारे को ज्ञापन देते समय मज़दूर यूनियन के पदाधिकारियों के साथ भावलाल फोगतराव, देवलाल कालूराम, काडू जगन्नाथ पाटिल, भिका धनु, अर्जुन मांगीलाल, आंनदा उमाले, सुरेश बोदडे, अर्जुन शोभाराम चौहान, तुकाराम गवई, प्रमिला माने, जेवंता बाई, देवराम भालेराव, सोभा बाई, बाबू सिंह, जनार्दन सूखा पाटिल, गोपाल जोशी, जयवंता बाई देवराम, सावित्री बाई पोपट, बलवंत साहेबराव आदि पूर्व कर्मचारी श्रमिक व उनके परिवारजन उपस्थित रहे.