जयपुर
50 विधायकों और मंत्रियों का कटेगा टिकट : 15 सालों से हार रही कांग्रेस
Paliwalwaniजयपुर :
कांग्रेस की विधानसभा चुनाव को लेकर आंतरिक सर्वे रिपोर्ट आ गई है। जयपुर से दिल्ली तक चर्चा की जा रही इस रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस 2018 में जीते 99 विधायकों में से 50 की हार निश्चित है। इसमें प्रदेश के कई मंत्री और विधायक शामिल है। सबसे ज्यादा खतरा मंत्रियों की सीट पर है। सर्वे में यह बात साफ है कि अगर इन्हें टिकट मिला तो सीट गई। हालांकि सर्वे में अशोक गहलोत सरकार की स्थिति अच्छी बताई गई है।
कांग्रेस पार्टी कार्यालय में 17 अप्रैल से 20 अप्रैल तक तीन दिवसीय विधायकों से साथ व्यक्गितगत चर्चा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सभी विधायकों और मंत्रियों को उनके क्षेत्र की हालत बता दी है। प्रभारी रंधावा ने तो कई विधायकों को पहले ही कह दिया है कि कतई भी आप जीत नहीं पाएंगे।
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि दस दिन में संगठन के पदों को भरा जाएगा। कांग्रेस करीब दो दर्जन से अधिक जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्ति करेगी। इसके साथ इी प्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी भी गठित की जाएगी। कमेटी से निष्क्रिय रहने वालों और बैठकों में भाग न लेने वालों को हटा दिया जाएगा।
2013 में हारे 31 मंत्री,2008 में 70 विधायक और 2003 में 19 मंत्री
2013 के चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी। मंत्री रहे 31 नेता हारे सिर्फ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री महेंद्रजीत मालवीय, गोलमा देवी, बृजेंद्र ओला और राजकुमार शर्मा ही जीत पाए थे। शांति धारीवाल, दुर्रु मियां, भरतसिंह, बीना काक, डॉ.जितेंद्र सिंह, राजेंद्र पारीक, भंवरलाल मेघवाल, ब्रज किशोर शर्मा, परसादीलाल, हेमाराम और हरजीराम बुरड़क चुनाव हार गए थे। 2008 में कांग्रेस की हालत और भी खराब हो गई थी। 75 विधायकों को दुबारा टिकट दिया और 70 विधायक चुनाव हार गए। 2003 में भी गहलोत के 19 मंत्री चुनाव हार गए थे। सिर्फ 34 ही विधायक दुबारा विधानसभा पहुंचे थे। यही वजह है कि इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीन विधानसभा चुनावों की गलती नहीं दोहराना चाहते हैं।
वो सीट जहां 15 साल से हार रही कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी गंगापुरसिटी, मालपुरा, अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, ब्यावर, नागौर, खींवसर, मेड़ता, पाली, जैतारण, सोजत, मारवाड़ जंक्शन, अनूपगढ़, भादरा, बीकानेर ईस्ट, रतनगढ़, उदयपुरवाटी, फुलेरा, विद्याधरनगर, मालवीयनगर, नदबई, धौलपुर, महुआ, भोपालगढ़, सूरसागर, सिवाना, भीनमाल, सांगानेर, बस्सी, किशनगढ़बास, बहरोड, थानागाजी, अलवर शहर, कुशलगढ़, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा। बूंदी, कोटा साउथ, लाडपुरा, रामगंजमंडी, झालरापाटन, सिरोही, रेवदर, उदयपुर, घाटोल, बाली, गंगानगर, और खानपुर सीट पर 15 सालों से लगातार हार रही है।
वो सीट जहां 10 साल से हार रही कांग्रेस
कांग्रेस आमेर, तिजारा, मुंडावर, नसीराबाद, मकराना, सुमेरपुर, फलौदी, अहोर, जालोर, रानीवाड़ा, पिंडवाड़ा,आबू, गोगूंदा, उदयपुर ग्रामीण, मावली, सलूंबर, धरियावद, आसपुर, सागवाड़ा, चौरासी, सूरतगढ़, रायसिंहनगर, सांगरिया, पीलीबंगा, लूणकरणसर, श्री डूंगरगढ़, चुरू, सूरजगढ़, मंडावा, चौमूं, दूदू,गढ़ी, कपासन, शाहपुरा, मांडलगढ़, केशोरायपाटन, चित्तौड़गढ़, बड़ी सादड़ी, कुंभलगढ़, छबड़ा, डग और मनोहरथाना में लगातार 10 साल से हार रही है।
जातीय नेता से साधेगी जातीय समीकरण
कांग्रेस जातीय नेताओं के माध्यम से विधानसभा के समीकरण साधेगी। इसके लिए सभी जातीयों में राष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर प्रभाव और वर्चस्व रखने वाले नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है। विधायकों के जरूरत के अनुसार नेताओं को प्रयोग विधानसभा क्षेत्रों में किया जाएगा। एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए टिकट को विशेष तरह से बांटा जाएगा।