जयपुर
जयपुर में पुलिसकर्मी बना देवदूत : गर्भवती महिला को अपनी गाड़ी में बैठा कर अस्पताल छोड़ा
Sunil paliwal-Anil bagoraजयपुर। कोरोना के इस संकटकाल में पुलिसकर्मी देवदूत बनकर सामने आ रहे हैं। जयपुर शहर के पुलिसकर्मियों ने एक बार फिर से अपनी दोहरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। जहां रात में पुलिस की ड्यूटी का फर्ज निभाने के साथ-साथ वह अब मददगार की भूमिका भी निभा रहे हैं। ऐसा ही मामला आज सामने आया। जब एक गर्भवती महिला के लिए पुलिसकर्मी मददगार बना। आधी रात बाद प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल में इलाज के लिए आई महिला को इलाज नहीं मिलने पर वह पैदल ही चल पड़ी। चौड़ा रास्ता में ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मी श्री नरेंद्र निठारवाल ने महिला को प्रसव पीड़ा से तड़पता और अंधेरे में ही पैदल-पैदल जाता देखा तो पुलिसकर्मी ने गर्भवती महिला को अपनी गाड़ी में बैठा कर अस्पताल छोड़ा और अस्पताल में भर्ती करवाकर अपनी दोहरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। वाकइ्र्र काबिले तारीफ का काम किया।
● आधी रात बाद हुई थी प्रसव पीड़ा
पुलिसकर्मी श्री नरेंद्र निठारवाल ने बताया कि प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला सांगानेर की रहने वाली है। उसे आधी रात बाद प्रसव पीड़ा हुई। पीड़ा होने पर वह अपनी परिजन के साथ निजी एंबुलेंस की व्यवस्था कर गणगौरी अस्पताल के लिए आ गई। एंबुलेंसकर्मी ने उन्हें गणगौरी अस्पताल के बाहर छोड़ दिया और फिर वहां से निकल गया। लेकिन गणगौरी अस्पताल में उन्हें इलाज नहीं मिल सका। क्योंकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए चारदीवारी में कर्फ्यू की स्थिति के कारण इस अस्पताल को डेडीकेटेड अस्पताल घोषित किया हुआ है। ऐसे में यहां पर गर्भवती महिलाओं का इलाज नहीं हो रहा है। जिस कारण से इलाज नहीं मिलने पर गणगौरी अस्पताल से महिला चिकित्सालय के लिए दो महिलाएं पैदल ही निकल पड़ी। अलसुबह करीब 4 बजे चौड़ा रास्ता में ड्यूटी कर रहे हैड कॉन्स्टेबल श्री नरेंद्र निठारवाल ने इन्हें अंधेरे में पैदल जाते देखा। पैदल जाती महिलाओं में एक महिला काफी परेशान नजर आई। इससे पुलिसकर्मी ने पूछताछ की तो पता लगा कि वह गर्भवती है। पुलिसकर्मी को महिलाओं ने अपनी सारी बात बताई और फिर उसके बाद पुलिसकर्मी बिना किसी भय के उनके लिए देवदुत की तरहा मददगार बन गया। पुलिसकर्मी ने अपनी कार में दोनों महिलाओं को बैठाया और उन्हें सांगानेरी गेट स्थित महिला चिकित्सालय में छोड़ा। डॉक्टर्स को बताया कि महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही है। डॉक्टर ने उसे भर्ती कर तुंरत इलाज करना भी शुरू कर दिया। पुलिसकर्मी श्री नरेंद्र निठारवाल ने बताया कि इस तरह महिला की मदद कर उन्हें काफी सुकून मिल रहा है। पुलिसकर्मी ने महिलाओं को पैसे के लिए भी पूछा, लेकिन उन्होंने कहा कि पैसा तो उनके पास है बस वह तो अस्पताल पहुंचा दे तो उसने बिल्कुल भी देरी नहीं की।
● अस्पताल की थी दूसरी जगह भेजने की जिम्मेदारी
गणगौरी अस्पताल को डेडीकेटेड अस्पताल घोषित किए जाने के बाद वहां पर आने वाली गर्भवती महिलाओं को दूसरे अस्पताल में भेजने की जिम्मेदारी अस्पताल की ही होती है। लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल प्रशासन ने आधी रात बाद आई महिलाओं को दूसरे अस्पताल में भेजने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की। ऐसे में यह महिलाएं पैदल पैदल ही चल पड़ी। जबकि गणगौरी अस्पताल से प्रशासन को व्यवस्था कर इन महिलाओं को एंबुलेंस के जरिए दूसरे अस्पताल पहुंचाना चाहिए था। लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल प्रशासन ने उनकी कोई व्यवस्था नहीं की। आखिर ऐसी लापरवाही अस्पातल वाले क्यों कर रहे है, ऐसे में अगर महिला के साथ गंभीर हादसा होता जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता...गनीमत है कि जयपुर का पुलिस वाला देवदुत बनकर गर्भवती महिलाओं को सही समय पर दुसरे अस्पातल पहुंचा दिया।
● पालीवाल वाणी ब्यूरो-Sunil Paliwal-Anil Bagora...✍️
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