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शेयर बाजार लहूलुहान : 28 साल पहले दिखी थी ऐसी गिरावट, 1996 में डूबे थे इतने लाख करोड़

paliwalwani
शेयर बाजार लहूलुहान : 28 साल पहले दिखी थी ऐसी गिरावट, 1996 में डूबे थे इतने लाख करोड़
शेयर बाजार लहूलुहान : 28 साल पहले दिखी थी ऐसी गिरावट, 1996 में डूबे थे इतने लाख करोड़

नई दिल्ली. फरवरी के आखिरी कारोबारी दिन भी शेयर मार्केट में गिरावट आई है. शेयर बाजार में लगातार पांचवें महीने गिरावट आई है. साल 1996 में औपचारिक शुरुआत के बाद यह पहला मौका है, जब निफ्टी में लगातार पांच महीने गिरावट आई है. सितंबर के आखिर से बाजार में गिरावट का दौरा है और इस दौरान निवेशकों के 85 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं. 

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अगर इतिहास पर नजर डालें तो निफ्टी में चार या उससे ज्यादा महीनों तक गिरावट सिर्फ छह बार ही हुई है. सबसे लंबी गिरावट सितंबर 1994 से अप्रैल 1995 के बीच देखी गई थी. तब निफ्टी लगातार आठ महीनों तक गिरा था और 31.4% तक नीचे आया था.

भारत के शेयर बाजार में गिरावट का दौर बीते 5 महीने से जारी है. सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बाजार को संभालने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. RBI ने फरवरी के पहले हफ्ते में 5 साल के बाद रेपो रेट में 0.25% की कटौती की थी, जिससे लोगों की EMI पहले के मुकाबले कम हुई थी.

ग्लोबल मार्केट में कमजोर रुख की वजह से भारत के शेयर बाजार में हाहाकार मचा हुआ है. आज सुबह से ही Sensex और Nifty दोनों के चार्ट लाल रंग में रंग गए. जहां हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन में सेंसेक्स 1452 अंक तक गिरा. वहीं निफ्टी 411 अंक तक टूटा. ऐसे में निवेशकों ने एक दिन में ही करीब 7 लाख 50 हजार करोड़ रुपए गवा दिए हैं.

बीते 6 महीने में शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है. ठीक ऐसा ही दौर 1996 में शेयर बाजार में देखने को मिला था, जब शेयर बाजार में लगातार 8 महीने तक गिरावट देखने को मिली थी. ठीक वैसे ही बीते 6 महीने में सेंसेक्स करीब 8,897.66 अंक यानी 10.78% तक गिर चुका है. दूसरी ओर निफ्टी में इस दौरान 3,026.85 या 11.97% की गिरावट दर्ज की गई है. बाजार में जारी लगातार गिरावट से अब निवेशक इस बात को लेकर परेशान होने लगे हैं कि उन्हें आगे कौन सी रणनीति अपनानी चाहिए?

भारतीय शेयर बाजार का 29 सालों में सबसे बुरा दौर, जिसने 1 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति को मिटा दिया, अभी भी जारी रह सकता है

भारत का NSE निफ्टी 50 लगातार पाँचवें महीने गिरावट के साथ 1996 के बाद से अपनी सबसे लंबी गिरावट की दौर से गुज़र रहा है. इससे भारत दुनिया का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला बाजार बन गया है. निवेशक और डेरिवेटिव बाज़ार संकेत दे रहे हैं कि यह गिरावट अभी और जारी रह सकती है. 

कमज़ोर कमाई, विदेशी निवेशकों का लगातार पैसा निकालना और अमेरिकी टैरिफ को लेकर अनिश्चितता ने निफ्टी को सितंबर के अपने उच्चतम स्तर से लगभग 15% नीचे खींच लिया है. इस गिरावट ने निवेशकों की लगभग 85 ट्रिलियन रुपये (लगभग $1 ट्रिलियन) की संपत्ति कम कर दी है.

ट्रम्प से प्रेरित उत्साह कम होने के कारण क्रिप्टो की कीमतें गिर गईं

पिछले कुछ हफ़्तों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई है और जल्द ही इनके फिर से उछाल लेने की उम्मीद नहीं है. डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत के बाद इस इंडस्ट्री में जो उत्साह की लहर दौड़ी थी, उससे कई बड़ी डिजिटल करेंसीज़ ने जो भी मुनाफ़ा कमाया था, वो लगभग ख़त्म हो गया है. 

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि बाज़ार तब तक सुस्त रह सकता है, जब तक कोई तेज़ी का संकेत न मिले. उदाहरण के लिए, U.S. फ़ेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की योजना या ट्रंप प्रशासन द्वारा क्रिप्टो के लिए स्पष्ट रूप से समर्थक नियामक ढांचे का संकेत मिल सकता है.

35 साल के निफ्टी में गिरावट का ये तीसरा मौका 

जुलाई 1990 में निफ्टी 50 इंडेक्स लॉन्च हुआ था, जिसके बाद निफ्टी में सबसे बड़ी गिरावट 1996 में देखने को मिली थी. 1996 में 5 महीने में निफ्टी इंडेक्स के बाजार मूल्य में 26% की गिरावट आई थी और इसमें निवेशकों ने करोड़ों रुपए गवा दिए थे. आपको बता दें निफ्टी इंडेक्स में सितंबर 1995 में शुरू हुई थी जो अप्रैल 1996 तक जारी रही थी. इन 8 महीनों के दौरान निफ्टी इंडेक्स में 31% से ज्यादा की गिरावट आई थी.इसके बाद एक बार फिर 2 महीने निफ्टी के संभलने के बाद जुलाई 1996 से नवंबर 1996 के बीच दूसरी बार निफ्टी में गिरावट का दौर शुरू हुआ था. इसमें निफ्टी इंडेक्स के बाजार मूल्य में 26% की गिरावट आई.

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का ये दौर विदेशी निवेशकों की बिकवाली की वजह से हुआ है, विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर 2024 से शेयर बेचना शुरू किया है जो अभी तक जारी है. इन 5 महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 3.10 लाख करोड़ रुपए निकाल लिए हैं, जिससे घरेलू निवेशकों को बिकवाली का पूरा दबाव झेलना पड़ रहा है.

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