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ई-कॉमर्स वेबसाइट ग्राहकों पर नहीं थोप सकेंगी अपनी पसंद : ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगते हैं पक्षपात के आरोप

Paliwalwani
ई-कॉमर्स वेबसाइट ग्राहकों पर नहीं थोप सकेंगी अपनी पसंद : ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगते हैं पक्षपात के आरोप
ई-कॉमर्स वेबसाइट ग्राहकों पर नहीं थोप सकेंगी अपनी पसंद : ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगते हैं पक्षपात के आरोप

नई दिल्ली : ई-कॉमर्स वेबसाइट (commerce website) ग्राहकों को अपनी पसंद का सामान तलाश करने का विकल्प देती हैं। जब ग्राहक वेबसाइट पर सामान तलाश करता है तो कंपनियां उसे अपनी पसंद के उत्पाद बार-बार दिखाती हैं। इससे ग्राहक के भ्रमित होने की संभावना होती है।

ई-कॉमर्स कंपनियों की ग्राहकों को अपनी पसंद थोपने की इस प्रथा पर लगाम लगाने के लिए सरकार नई पॉलिसी पर काम कर रही है। इस पॉलिसी में एल्गोरिद्म निष्पक्षता (algorithmic fairness) से जुड़े नियम बनाए जा रहे हैं ताकि ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों पर अपनी पसंद ना थोप सकें। पॉलिसी के प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, ई-कॉमर्स कंपनियों को तलाश के दौरान ग्राहकों को कई विक्रेताओं के उत्पाद दिखाने होंगे ना कि कुछ खास विक्रेताओं के। एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित नियमों में ई-कॉमर्स कंपनियों पर ग्राहकों का खरीदारी व्यवहार से जुड़ा डाटा भी किसी के साथ साझा करने पर रोक रहेगी।

ई-कॉमर्स के लिए नया फ्रेमवर्क जल्द

केंद्र सरकार (central government) देश में ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए नया डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फ्रेमवर्क ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) लाने जा रही है। इसका बीटा संस्करण अप्रैल में पेश हो सकता है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली, बेंगलुरु, कोयंबटूर, शिलॉन्ग और भोपाल से बीटा संस्करण की शुरुआत हो सकती है। इसकी आधिकारिक लॉन्चिंग अगस्त में संभव है। पेटीएम, डून्जो, फोनपे, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई कंपनियों को ओएनडीसी से जोड़ने के लिए बातचीत अंतिम दौर में चल रही है।

ओएनडीसी का हिस्सा होंगे नए नियम

एल्गोरिद्मम निष्पक्षता को लेकर बनाए जा रहे नए नियम ओएनडीसी का हिस्सा होंगे। यह नियम डिजिटल कॉमर्स से जुड़ी सभी कंपनियों पर लागू होंगे। इसमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, गूगल प्लेस्टोर, ऐपल स्टोर समेत कैब सेवा प्रदाता और होटल सेवा प्रदाता कंपनियां भी शामिल हैं।

ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगते हैं पक्षपात के आरोप

ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस से जुड़े स्वतंत्र विक्रेता कंपनियों पर पक्षपात लगाते रहे हैं। इन विक्रेताओं का कहना है कि कंपनियां कुछ विक्रेताओं को खास प्राथमिकता देती हैं। ग्राहक की तलाश के दौरान ऐसे विक्रेताओं के उत्पाद बार-बार दिखाई देते हैं। साथ ही ई-कॉमर्स कंपनियों पर ग्राहकों का खरीदारी व्यवहार डाटा खास विक्रेताओं के साथ साझा करने के भी आरोप लगते रहे हैं।

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