इंदौर
हम हमारे वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित आयुर्वेद के माध्यम से ‘विश्व को ठीक करना’ चाहते हैं : डॉ. रोहित साने
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एक नए अभ्यास के अनुसार हृदय के स्वास्थ्य के संबंध में आयुर्वेद एलोपैथी से अधिक प्रभावशाली
पूर्ण भारत,दिसम्बर १४: हृदय से संबंधित चयापचय क्रिया की समस्याओं पर उपचार कर के उन्हें पीछे लौटाने में विशेषज्ञ माधवबाग इस आयुर्वेदिक संस्था द्वारा किए गए एक अनुसंधान में प्राप्त सफलता के रूप में ऐसा पाया गया है कि, हृदय का कार्य सुचारु रूप से चलने में बाधा निर्माण करनेवाले विभिन्न जोखिमी घटक उल्लेखनीय रूप से कम करने में आधुनिक वैद्यकशास्त्र की अपेक्षा आयुर्वेदिक उपचार एवं पद्धतियांअधिक परिणामकारक सिद्ध होती हैं। इस अभ्यासमें ऐसा भी पाया गया है कि, आयुर्वेदिक उपचारों की सहायता लेनेवाले हृदयरोगीयों में हॉस्पिटलायजेशन तथा दीर्घ काल में (३६ माह) मृत्यु होने की संभावना इनकी दरें एलोपैथीके उपचार करवा लेनेवाले रोगीयों से कम है।
इस अनुसंधान में क्रोनिक हार्ट फैल्युअर, पोस्ट मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, पोस्ट परक्युटेनियस ट्रान्सल्युमिनल कॉरोनरी अँजिओप्लास्टी, उच्च रक्तचाप, मोटापा, जोड़ों का दर्द और मधुमेह आदि सह-रोगावस्था से ग्रस्त ५७२ मरीजों का तीन वर्षों तक अभ्यास किया गया।
हाल ही में, पणजी, गोवा में सम्पन्न हुए ९वेंविश्व आयुर्वेदिक परिषदमें (डब्लूएसी) सहभागी लोगों के समक्ष इस अभ्यास के निष्कर्ष स्पष्ट करते हुए माधवबाग के संस्थापक डॉ. रोहित साने ने कहा कि,जिन हृदय के मरीजों ने पंचकर्म उपचार करवाए तथा आयुर्वेदिक आहार का कठोर पालन किया और साथ ही प्राणायाम व ध्यानधारणा जैसे सौम्य व्यायाम भी किए, उनके लिपिड प्रोफाईलमें लक्षणीय सुधार पाया गया। इसी प्रकार, उनकी रक्तवाहिकाओं में लाँजिट्युडिनल प्लाक का परिमाण औसत २९ प्रतिशत कम हुआ पाया गया। प्लाक यानी हृदय को रक्त की आपूर्ति करनेवाली धमनियों की अन्दरुनी दीवारों पर चरबी, कोलैस्टेरॉल और अन्य पदार्थ संचयित होना।
परिषद का उद्घाटन करने के पश्चात माननीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने माधवबाग के स्टॉल पर गए। इस समय डॉ. साने ने उन्हें अपनी संस्था के हृदय रोग एवं मधुमेह रिव्हर्सल कार्यक्रमों की जानकारी दी।
इस अवसरपर बातचीत करते हुए माधवबाग के संस्थापक डॉ. रोहित साने ने कहा की, “हृदय को रक्त की आपूर्ति करनेवाली रक्तवाहिकाओं की समस्याओं के कारण मृत्युऔर हॉस्पिटलायजेशन की बढ़ती जा रही दरों पर रोक लगाने के संबंध में हमारे प्राचीन वैद्यक शास्त्र का पर्याप्त उपयोग नहीं किया जाता। हमारे क्लिनिकल अभ्यासों में ऐसा पाया गया है कि, बिना शल्यक्रिया और कम खर्च के आयुर्वेदिक उपचार हृदय रोगों का सामना करने में अधिक प्रभावशाली सिद्ध होते हैं। हृदय रोगों सहित सभी गंभीर बीमारीयों के संबंध में हम सर्वप्रथम आयुर्वेदिक उपचारों का उपयोग करना चाहते हैं। हमहमारे वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित आयुर्वेद के माध्यम से ‘विश्व को ठीक करना’ चाहते हैं।’.”
सूजनपर नियंत्रण पा कर शरीरमें जमा हुआ कोलैस्टेरॉल कम करने के लिए उन्हें उच्च ओआरएसी मूल्य युक्त आहार का पालन करने के लिए कहा गया। इसी के साथ इस समयावधि में उन्हें २१ पंचकर्म उपचार भी दिए गए।
क्लिनिकल कार्डियॉलॉजी के क्षेत्रमें स्वीकृत किए गए एक ताजाअनुसंधान लेखमें ऐसा सिद्ध किया गया है कि, हार्ट अटैक के पश्चात आयुर्वेदिक उपचार और आहार में बदलाव के कारण ३६ माह तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता९.०९% मरीजों को रही। इसकी अपेक्षा इश्चेमिया के मरीजों के अभ्यास में ऐसा पाया गया कि, पीटीसीए औरमात्र दवाईयां ले रहे मरीजों के अस्पताल में रहने की आवश्यकता अनुक्रमानुसार १३.३% और १५.५% थी। आयुर्वेदिक उपचार एंव आहार के माध्यम से हार्ट अटैक के कारण अस्पताल में दाखिल होने की आवश्यकता टालने में सफलता प्राप्त हुई थी।
इश्चेमिया के अभ्यासानुसार ३६ माह की अवधि में पीटीसीए औरएलोपैथी की दवाईयां लेने के बादहोनेवाली मृत्युओं की दरें अनुक्रमानुसार६.४% और ६.५% थी तो आयुर्वेदिक उपचार लेनेवाले मरीजों के गुट में २६ माह बाद भी मृत्यु की दर ५.०८% पाई गई।
एक क्लिनिकल अभ्यासमें ऐसा भी पाया गया है कि, कोलैस्टेरॉल पर नियंत्रण पाने में तथा लाँजिट्युडिनलअॅथरोस्क्लेरोटिक प्लाक २९% कम करने में भी आयुर्वेद उपयुक्त सिद्ध होता है।