इंदौर

मालवा-निमाड़ में एक वर्ष में बिजली के लिए नौ हजार करोड़ की सब्सिडी

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मालवा-निमाड़ में एक वर्ष में बिजली के लिए नौ हजार करोड़ की सब्सिडी
मालवा-निमाड़ में एक वर्ष में बिजली के लिए नौ हजार करोड़ की सब्सिडी

औसत 48 लाख उपभोक्ताओं को मिल रहा वित्तीय मदद का लाभ

इंदौर :

प्रदेश शासन ऊर्जा विभाग के निर्देशानुसार मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा प्रत्येक पात्र बिजली उपभोक्ताओ को नियमित रूप से सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। जारी वित्तीय वर्ष के दौरान औसत 48 लाख उपभोक्ताओं को सब्सिडी दी जा रही है। जारी वित्तीय वर्ष में मार्च अंत तक नौ हजार एक सौ नब्बे करोड की कुल सब्सिडी दी जाएगी। इसमें से अब तक सात हजार करोड़ से ज्यादा की सब्सिडी दी जा चुकी है।   

मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री अमित तोमर ने बताया कि ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के आदेशानुसार प्रत्येक पात्र उपभोक्ता को सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। इंदौर जिले में अधिकतम साढ़े छः लाख उपभोक्ताओं को सब्सिडी का लाभ दिया गया है। कंपनी क्षेत्र में करीब अड़तालिस लाख उपभोक्ताओं को औसतन प्रति माह सब्सिडी का लाभ दिया गया है।

प्रबंध निदेशक श्री तोमर ने बताया कि कंपनी स्तर पर गृह ज्योति योजना में औसत 33.50 लाख उपभोक्ताओं के लिए 1795 करोड़  रूपए की सब्सिडी का प्रावधान है। इसी तरह अजा, जजा वर्ग के पात्र पौने पांच लाख उपभोक्ताओं को कृषि कार्य के लिए मुफ्त बिजली दी जा रही हैं। जिस पर 2600 करोड़ रूपए की सब्सिडी का वित्तीय वर्ष में प्रावधान हैं। इसी तरह किसान ज्योति योजना के तहत 9.86 लाख किसानों को 4500 करोड़ की, 10 एचपी से उपर की मोटर वाले किसानों को 154 करोड़ की, उच्चदाब कनेक्शन से संबद्ध 100 उद्वहन सिंचाई योजना के लिए 250 करोड़ की सब्सिडी प्रदेश शासन की ओर से उपलब्ध कराई गई।

प्रबंध निदेशक ने बताया कि इसी तरह पावर लूम इकाइयों के पांच हजार संचालकों को 25 करोड़ की, ग्राम पंचायत, नगर परिषदों को स्ट्रीट लाइट व्यवस्था के लिए 1400 कनेक्शनों पर 2.38 करोड़ रूपए की सब्सिडी प्रदान की गई है। प्रबंध निदेशक श्री तोमर ने बताया कि शासन आम लोगों के जीवन को सरल बनाने, बिल का भार कम करने एवं जरूरतमंदों की मदद करने के लिए सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। कंपनी क्षेत्र में मुख्यालय, रीजन, जिले स्तर पर प्रत्येक पात्र को सब्सिडी उपलब्ध कराने की सतत समीक्षा की जाती है। सब्सिडी मिलने का फीडबैक भी सतत रूप से तय फार्मेट में लिया जाता है।

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