इंदौर

मप्र हाईकोर्ट ने सरकार को दिया आदेश : 60 दिन में स्थाई कर्मियों को दिया जाए सातवें वेतनमान लाभ : कर्मचारियों में फैली खुशी की लहर

Anil Bagora
मप्र हाईकोर्ट ने सरकार को दिया आदेश : 60 दिन में स्थाई कर्मियों को दिया जाए सातवें वेतनमान लाभ :  कर्मचारियों में फैली खुशी की लहर
मप्र हाईकोर्ट ने सरकार को दिया आदेश : 60 दिन में स्थाई कर्मियों को दिया जाए सातवें वेतनमान लाभ : कर्मचारियों में फैली खुशी की लहर

भोपाल (ईएमएस) :

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर ने स्पष्ट आदेश दिया है कि स्थाई कर्मियों को एरियर सहित सातवें वेतनमान का लाभ 60 दिन मे दिया जाए. यह निर्णय मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के नेतृत्व में स्थाई कर्मियों द्वारा जबलपुर उच्च न्यायालय में लगाई गई याचिका पर उच्च न्यायालय  के न्यायाधीश संजय द्विवेदी ने दिया हैं. 

मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को ज्ञापन सौंपकर उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश के पालन में स्थाई कर्मियों को 60 दिन में सातवें वेतनमान का लाभ एरियर सहित देने के आदेश जारी करने की मांग की हैं. मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष श्री अशोक पांडे ने पालीवाल वाणी को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने राम नरेश रावत का विरुद्ध लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मध्यप्रदेश शासन की याचिका पर स्पष्टआदेश जारी किया था कि स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिसंबर 2016 से एरियर सहित दिया जाए. उस आदेश के परिपालन में मध्य प्रदेश शासन ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के स्थाई कर्मियों को तो लंबे संघर्ष के बाद सातवें वेतनमान का लाभ 15 दिसंबर 2016 से एरियर सहित देने के आदेश अगस्त 2022 में जारी कर दिए. 

लेकिन अन्य विभागों में कार्यरत 48000 स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया हैं. इस कारण अन्य विभाग के स्थाई कर्मियों में सरकार के विरुद्ध असंतोष व्याप्त हो गया. स्थाई कर्मियों ने सातवें वेतनमान का लाभ प्राप्त करने के लिए उच्च न्यायालय की शरण ली हैं. उच्च न्यायालय जबलपुर ने मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के नेतृत्व में श्यामा बाई स्थाई कर्मी अनूपपुर एवं अन्य आदिम जाति कल्याण विभाग विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन आदिम जाति कल्याण विभाग में आदेश जारी करते हुए कहा कि स्थाई कर्मियों को 60 दिन में सातवें वेतनमान का लाभ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के स्थाई कर्मियों के समान ही 15 दिसंबर 2016 से एरियर सहित दिया जाए. 

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब सभी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में सातवें वेतनमान का लाभ एरियर सहित मिलने की उम्मीद जाग गई हैं. जैसे ही दैनिक वेतन भोगियों में खबर फैली वैसे ही खुशी की खबर चौतरफा फेल गई. सभी कर्मचारी एक दुसरे को बधाई देते हुए कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों को दिन भर बधाई देते रहे. 

इंदौर नगर पालिक निगम में कार्यरत कर्मचारियों में जागी उम्मीदें

इंदौर कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष श्री प्रवीण तिवारी, रजनीश तिवारी, अनिल यादव ने पालीवाल वाणी को बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब इंदौर नगर पालिक निगम में कार्यरत सभी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में सातवें वेतनमान का लाभ और एरियर राशि भी मिलने की उम्मीद जाग गई हैं. कर्मचारियों के हित में संगठन के साथियों ने कदम से कदम मिला कर हमारा हौंसला बुलंद किया, हम सभी कर्मचारी साथियों का आभार व्यक्त करते हैं, साथियों दैनिक वेतन भोगियों के लिए संगठन हमेशा सबसे आगे सेवा हेतु तत्पर रहा है, और भविष्य में भी रहेगा.   

बता दे कि : कई बार छोटे कर्मचारियों छले जाते है, हर बार  

इंदौर निगम के मस्टरकर्मी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष प्रवीण तिवारी, रजनीश शर्मा के अनुसार इंदौर नगर निगम में कुल 17 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं. इनमें करीब 12 हजार दैनिक वेतनभोगी व मस्टरकर्मी हैं. इन 12 हजार कर्मचारियों में भी 6982 मस्टरकर्मी, 1974 सुपर स्टाफ विनियमित श्रेणी में हैं. इसके अलावा 2310 सफाईकर्मी शामिल हैं. निगम में मात्र 1315 ही नियमित कर्मचारी हैं.

नगर निगम द्वारा वर्ष 2011 में 149 कर्मचारियों को नियमित किया गया था. इनमें वो कर्मचारी शामिल थे जो 10 अप्रैल 1996 से निगम में कार्यरत थे. निगम के कर्मचारी संगठनों द्वारा पिछले 20 साल से कर्मचारियों को नियमित करने की मांग लगातार की जा रही है. इसके बाद भी अभी तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका है. निगम में आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से 1200 से अधिक कर्मचारियों को रखा गया है. इनसे जोनल कार्यालयों पर आफिस, कंप्यूटर आपरेटर, बेलदार, माली सहित अन्य कार्य करवाए जा रहे हैं.

निगम के मस्टरकर्मी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष प्रवीण तिवारी, रजनीश शर्मा के अनुसार शहर में मस्टरकर्मी व दैनिक वेतनभोगी पांच से साढ़े छह हजार रुपये प्रतिमाह के वेतन में काम कर रहे हैं. इन कर्मचारियों को अपना घर चलाने में मुश्किल आती है. निगम में इनसे आठ से 12 घंटे तक काम लिया जाता है. ऐसे में इनका वेतन बढ़ाने की मांग हम लंबे समय से कर रहे हैं. 20 साल से निगम में कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है. इस बीच कई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हैं या उनका निधन हो गया है. उनके स्थान पर भी नई नियुक्ति नहीं हुई है. मात्र अनुकंपा नियुक्ति ही हुई है.

मस्टरकर्मी व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के पक्ष में अब सत्ता पक्ष के विधायक श्री महेन्द्र हार्डिया और विधायक श्री आकाश कैलाश विजयवर्गीय को स्थाईकरण सहित अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर सरकार को पत्र भी लिख चुके हैं. लेकिन प्रशासन इस पर कोई असर होता हुआ नहीं दे रहा हैं, निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने भी मध्य प्रदेश के निर्णयानुसार निगम में कार्यरत विनियमित कर्मचारियों को लेकर आदेश क्रमांक 318 / एम/सी/21 दिनांक 28 जूलाई 2021 एक समिति का गठन किया गया था और दो माह की अवधि में स्पष्ट अनुशंसा के साथ बिंदुवार अलग-अलग संयुक्त हस्तांरित प्रतिवेदन/प्रस्ताव प्रस्तृत किया जावेगा. किन्तु उक्त आदेश भी हवा हवाई होकर रह गए. मस्टरकर्मी व दैनिक वेतनभोगी और विनियमित कर्मचारी कब स्थाई होगें ना सरकार को पता और ना ही निगम प्रशासन को हमेशा की तरहा छोटे कर्मचारी ऐसे ही छले जाएगा. 

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