इंदौर

रामकथा में वृंदावन के प्रज्ञाचक्षु संत रामशरणदास के प्रेरक विचार : राम राज्याभिषेक प्रसंग के साथ होगा समापन

Ayush paliwal
रामकथा में वृंदावन के प्रज्ञाचक्षु संत रामशरणदास के प्रेरक विचार : राम राज्याभिषेक प्रसंग के साथ होगा समापन
रामकथा में वृंदावन के प्रज्ञाचक्षु संत रामशरणदास के प्रेरक विचार : राम राज्याभिषेक प्रसंग के साथ होगा समापन

इंदौर :  हनुमानजी भक्त भी हैं और भगवान भी। एक भक्त भी भगवान बन सकता है, यह केवल भारत भूमि में ही संभव है। हनुमानजी हैं तो भक्त लेकिन उनका मान भगवान के समकक्ष माना गया है। बल, बुद्धि और विद्या के मामले में हनुमानजी की कोई जोड़ नहीं है। रामजी को भगवान राम बनाने में हनुमाजी का ही योगदान संसारी दृष्टि से माना गया है। नारी का पहला अभूषण उसकी लज्जा होता है। सीता जैसा पावन चरित्र आज हजारों वर्ष बाद भी अनुकरणीय और वंदनीय है। आज समाज को परिक्रमा नहीं पराक्रम की जरुरत है।

व्यासपीठ का पूजन कर आरती में भी भाग लिया : मथुरा वृंदावन से आए मानस मर्मज्ञ, प्रज्ञाचक्षु संत स्वामी रामशरणदास महाराज ने आज रोबोट चौराहा, बर्फानी धाम के पीछे स्थित गणेश नगर में माता केशरबाई रघुवंशी धर्मशाला परिसर में चल रहे रामकथा महोत्सव में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए. कथा में आज सीताहरण, राम-हनुमान मिलन, अशोक वाटिका एवं अन्य प्रसंगों की भावपूर्ण व्याख्या की गई. कथा शुभारंभ के पूर्व तुलसीराम-सविता रघुवंशी, अ.भा. क्षत्रिय महासभा के  दुलेसिंह राठौर, कैलाशसिंह पटेल, बनेसिंह तंवर, नारायणसिंह बघेल, दीपेन्द्रसिंह सौलंकी एवं श्रीमती रूक्मणी चौकसे आदि ने व्यासपीठ का पूजन कर आरती में भी भाग लिया. संयोजक रेवतसिंह रघुवंशी ने बताया कि कथा का समापन रविवार 9 जनवरी 2022 को दोपहर 1 से सायं 6 बजे तक राम राज्याभिषेक प्रसंग के बाद होगा. कथा स्थल पर कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए समुचित प्रबंध किए गए हैं.

रामकथा भारत भूमि का ऐसा दस्तावेज : विद्वान वक्ता ने कहा कि रामकथा भारत भूमि का ऐसा दस्तावेज है, जिसकी सत्यता पर कोई संदेह नहीं हो सकता. समाज के अंतिम छोर पर खड़े बंधु-बांधव की सेवा का पहला संदेश प्रभु राम ने ही दिया, इसीलिए रामराज्य हर युग में प्रासंगिक और आदर्श माना गया है. रावण विद्वान और सर्वसंपन्न ऐसा राजा था, जिसने भगवान से भी कई तरह के आशीर्वाद ले रखे थे, लेकिन उसका अहंकार और उसकी कुटिल मंशा के चलते उसे पतन का शिकार होना पड़ा. सोने की लंका का स्वामी होने के बावजूद रामजी की वानरसेना के हाथों रावण को पराजित होना पड़ा, यह अहंकार से पतन का सबसे बड़ा उदाहरण है. अहंकार की प्रवृत्ति ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती. सीताजी का चरित्र रामायण का सबसे श्रेष्ठ चरित्र कहा जा सकता है. नारी का सच्चा सौंदर्य तो उसकी लज्जा ही होती है. पावडर, क्रीम लगा लेने से बाहरी सौंदर्य भले ही आकर्षक बन जाता हो, लेकिन वास्तविक सौंदर्य तो नारी के विचारों और लज्जा का ही होता है.

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News