इंदौर

indore news : आज सुबह दीक्षा का मुख्य महोत्सव–25 से अधिक साधु-साध्वी भगवंत इंदौर पहुंचे

sunil paliwal-Anil paliwal
indore news : आज सुबह दीक्षा का मुख्य महोत्सव–25 से अधिक साधु-साध्वी भगवंत इंदौर पहुंचे
indore news : आज सुबह दीक्षा का मुख्य महोत्सव–25 से अधिक साधु-साध्वी भगवंत इंदौर पहुंचे
  • वैभव एवं ऐश्वर्य की वस्तुओं का परित्याग करते हुए

  • निकला जैन दीक्षार्थी मोहित का वर्षीदान वरघोड़ा

  • देशभर से आए समाजबंधुओं एवं आचार्यदेव विश्वरत्न सागर म.सा. की निश्रा में बास्केट बाल स्टेडियम पर हुई धर्मसभा

इंदौर :

  • आटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा जैसी उच्च शिक्षा की उपाधि प्राप्त करने वाले 21 वर्षीय युवा मोहित शाह ने आज अपने संसारी जीवन से वैभव और ऐश्वर्य सहित रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली वस्तुएं लुटाने का सिलसिला वल्लभ नगर स्थित श्वेताम्बर जैन मंदिर से प्रारंभ किया तो बैंड दलों की सुर लहरियों और भजनों की धुनों पर हजारों श्रद्धालु थिरक उठे। उमंग और उत्साह से लबालब मोहित भी खुद को थिरकने से नहीं रोक सके।

क्रीम कलर की शेरवानी और माथे पर राजसी पगड़ी पहने मोहित के वर्षीदान का वरघोड़ा देशभर से आए समाज बंधुओं एवं स्नेहीजनों सहित वल्लभ नगर मंदिर से बास्केट बाल पहुंचा, जहां आचार्य देव विश्वरत्न सागर म.सा. की निश्रा में धर्मसभा के बाद दीक्षा की विभिन्न क्रियाएं प्रारंभ हुई। मोहित की दीक्षा का मुख्य महोत्सव गुरुवार 8 जून 2023 को सुबह 8.30 बजे से बास्केटबाल स्टेडियम पर प्रारंभ होगा।

नवरत्न परिवार एवं जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ तथा सकल जैन श्रीसंघ की मेजबानी में आयोजित इस दीक्षा महोत्सव में आज आचार्यदेव विश्वरत्न रत्न सागर म.सा. एवं आचार्य मतिचंद्र सागर म.सा. सहित साधु-साध्वी भगवंत भी वरघोड़ा में पूरे समय शामिल रहे। महोत्सव समिति के मुख्य संयोजक ललित सी. जैन, प्रभारी प्रीतेश ओस्तवाल एवं दिलसुखराज कटारिया ने बताया कि वल्लभ नगर जैन मंदिर पर मोहित के स्वजनों ने उन्हें गोदी में उठाकर सुसज्जित रथ में बिठाया। पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल एवं पूर्व मंत्री महेन्द्र हार्डिया भी इस मौके पर मौजूद रहे।

रथ में सवार होते ही मोहित ने अपनी संसारी वस्तुओं का त्याग करना शुरू कर दिया। पूरे रास्तेभर ऐश्वर्य, वैभव और रोज काम आने वाली वस्तुओं को लुटाने का सिलसिला चलता रहा। भजन एवं गरबा मंडलियां भी अपनी प्रस्तुतियां देते चल रही थी। जुलूस में बैंडबाजे, भगवान का रथ, झांकियां, मंगल कलशधारी महिलाएं और शहर के सभी जैन श्रीसंघों की ओर से कांतिलाल बम, दिलीप सी. जैन, विजय मेहता, दीपक सुराणा, यशवंत जैन, दीपक जैन टीनू आदि भी वरघोड़ा में शामिल हुए।

मार्ग में जगह-जगह साधु-साध्वी भगवंतों एवं दीक्षार्थी मोहित के स्वागत का अखंड सिलसिला चलता रहा। बास्केटबाल पहुंचते ही वहां मौजूद समाजबंधुओं ने भगवान आदिनाथ, महावीर स्वामी एवं साधु-साध्वी भगवंतों के जयघोष से सभागृह गुंजायमान बनाए रखा। बास्केटबाल स्टेडियम पहुंचने पर स्वजनों ने दीक्षार्थी को रथ से उतारकर कंधों पर लेते हुए मंच तक पहुंचाया। मंच पर दीक्षार्थी को साधु-साध्वियों की कतार में जगह मिली।

धर्मसभा में प्रवचन : आचार्यदेव विश्वरत्न सागर म.सा. ने अपने आशीर्वचन में दीक्षार्थी मोहित की ओर संकेत करते हुए कहा कि इतने उच्च शिक्षित, सुदर्शना, संस्कारी परिवार के बेटे ने संसार का त्याग कर संयम एवं वैराग्य के मार्ग पर चलने का जो निर्णय लिया है, वह समूचे समाज के लिए प्रेरणा का विषय है। जिस प्रफुल्लता और प्रसन्नता के साथ मोहित ने तप, त्याग और संयम की राह को चुना है, वह अभिनंदनीय और अनुकरणीय है। धर्मसभा को आचार्य मतिचंद्र सागर म.सा. ने भी संबोधित किया।

महोत्सव आयोजन समिति की ओर से ललित सी. जैन, प्रीतेश ओस्तवाल, प्रवीण श्रीश्रीमाल ने दीक्षा महोत्सव की जानकारी देते हुए आचार्यदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। संचालन शेखर गेलड़ा ने किया। धर्मसभा में प.पू. पदमलताश्री, प.पू. सौम्यवंदनाश्री, प.पू. लक्षितज्ञाश्री,  प.पू. प्रीतिधराश्री, प.पू. सुधाशनाश्री, प.पू. मुक्तिनिलयाश्री, प.पू. मोक्षज्योतिश्री, प.पू. जितेशरत्नाश्री, प.पू. हर्षप्रियाश्री, प.पू. रितुदर्शनाश्री,प.पू. जिनेशकलाश्री एवं प.पू. नम्रव्रताश्री आदिठाणा सहित मौजूद थे। संध्या को रेसकोर्स रोड उपाश्रय से बास्केटबाल स्टेडियम तक बनोली भी निकाली गई। स्टेडियम पर गीतों की मंगल ध्वनि के बीच उन्होंने अन्य शास्त्रोक्त रस्में पूरी की।

आज दीक्षा का मुख्य महोत्सव : सुरेन्द्र नगर गुजरात के 21 वर्षीय युवा मोहित शाह की दीक्षा का मुख्य महोत्सव गुरूवार, 8 जून को सुबह 8.30 बजे से बास्केटबाल स्टेडियम पर आचार्यदेव विश्वरत्न सागर म.सा. एवं आचार्य मतिचंद्र सागर म.सा. की निश्रा में प्रारंभ होगा। इसके पूर्व सुबह मोहित अपने अंतिम गृह त्याग की रस्म निभाएंगे।

दीक्षा महोत्सव में वे सबसे पहले आचार्यदेव से आज्ञा प्राप्त कर मंत्रोच्चारण के बीच समवशरण की परिक्रमा करेंगे। इसके बाद अंतिम बार संसारी वस्त्रों का त्याग कर संयम मार्ग पर चलने वाले वस्त्र पहनेंगे। केश लोच भी होगा। अंतिम स्नान के बाद साधु वेश धारण कर आचार्यश्री से अपना नया नाम ग्रहण करेंगे।

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