इंदौर
Indore news : नगर निगम में 150 करोड़ से ज़्यादा के फ़र्ज़ी बिल भुगतान में अधिकारी और कर्मचारियों की षड्यंत्र पूर्वक हत्या होने की आशंका : कांग्रेस महासचिव श्री राकेश यादव
Anil Bagoraकांग्रेस महासचिव ने प्रधानमंत्री एंव डीजीपी को पत्र लिखा
इंदौर. नगर पालिक निगम इंदौर में लगभग 150 करोड़ से ज़्यादा के फ़र्ज़ी बिल भुगतान कांड में व्यापंम कांड की तर्ज़ पर अधिकारी और कर्मचारियों की षड्यंत्र पूर्वक हत्या होने की आशंका कांग्रेस महासचिव श्री राकेश यादव ने जताई.
पीएम एंव डीजीपी को पत्र लिखकर घोटाले में शामिल निगम अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ़्तारी के बाद अलग जेल में रखा जाये. सुरक्षा व्यवस्था पुख़्ता की जाये. इंदौर नगरनिगम फ़र्ज़ी बिल घोटाला कांड में व्यापंम कांड का तर्ज पर घोटाले में शामिल अधिकारियों एंव कर्मचारियों की हत्या का दौर शुरू होने की आशंका हैं. सबसे ज़्यादा लेखा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाना बनाकर स्वाभाविक मृत्यु दर्शाने की प्रबल संभावना हैं.
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी महासचिव श्री राकेश सिंह यादव ने प्रधानमंत्री एवं डीजीपी को पत्र लिखकर आगाह किया हैं कि इंदौर नगर निगम में 150 करोड़ से ज़्यादा की राशि फ़र्ज़ी बिल से हड़पने में इंदौर नगर निगम में अनेक अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता हैं. ऐसी परिस्थितियों में भाजपा के एक हाई प्रोफ़ाइल नेता के संरक्षण में इस घोटाले का षड्यंत्र रचकर अंजाम दिया गया हैं.
उल्लेखनीय हैं कि इसके पूर्व भी व्यापंम घोटाले में सन 2007 से 2015 के बीच व्यापम मामले से जुड़े 32 लोगों की मौत अज्ञात वजहों से हुई थी. किसी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी और किसी की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. आज तक इन मौतों का सच सामने नहीं आया हैं. जब कीं अपुष्ट खबरों के अनुसार स्वतंत्र मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस मामले में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई थी.
यह सभी लोग किसी न किसी हादसे का शिकार हुए थे. ऐसी प्रबल संभावना हैं कि इंदौर नगर निगम में करोड़ों के घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाना बनाकर घोटाले के सच को छिपाने के लिए उनकी जीवन लीला समाप्त करने की कोशिश की जा सकती हैं. जिससे आशंका बनी हुई है कि आर्थिक घोटाले के सरग़ना तक पुलिस और क़ानून पहुँच न पायें.
कांग्रेस महासचिव श्री राकेश सिंह यादव के अनुसार इंदौर नगर निगम घोटाले का मास्टर माइंड भाजपा का एक बड़ा नेता हैं. जिसके संरक्षण में दो एमआईसी सदस्यों ने सन 2020 से लेकर 2024 तक लगभग 150 करोड़ का भुगतान फर्जी बिलों के माध्यम से निकाल कर सारा रिकॉर्ड ग़ायब कर रखा है.
विशेष ऑडिट टीम बनाने के बाद ही घोटाले का सही ऑंकड़े कर पहुँचा जा सकेगा. निगम के सूत्र बता रहें हैं कि नगर निगम के 12 अधिकारी एंव 19 कर्मचारी इस घोटाले के गहरे राज़दार हैं. सूत्रों के अनुसार निगम के सीसीटीवी फ़ुटेज डिलिट कर दिये गये हैं. हार्ड डिस्क भी रातों रात बदल दी गई हैं.
उपरोक्त अधिकारियों और कर्मचारियों को पता था कि फ़र्ज़ी बिल लगाकर लगातार भुगतान कराया जा रहा हैं. लेकिन पैसों के लालच में लगातार यह खेल सतत् लगातार जारी रहा. फ़र्ज़ी बिल का मामला सिर्फ़ ड्रेनेज कार्यों तक सीमित नहीं हैं.
अनेक निर्माण कार्यों में फर्जी बिलों को लगाकर भुगतान कराया गया हैं. जॉंच शुरू होने पर घोटाले के दायरे में अन्य विभागों के अधिकारी नजर भी आयेगें. फ़िलहाल बड़े स्तर पर मामला ठंडा करने का प्रयास ज़ोर शोर से शुरू हो गया हैं. भ्रष्टचार में शामिल लेखा विभाग के अधिकारियों की ज़िंदगी बचना बेहद ज़रूरी हैं वरना व्यापंम जैसा इस निगम कांड का सच सामने नहीं आएगा.
मुख्यमंत्री पर भी दबाव
सूत्रों की माने तो प्रदेश के मुखिया मोहन सरकार पर भी भारी दबाव प्रभाव में नजर आ रहे हैं. ऐसे में पीएम मोदी को सेंट्रल एजेंसी से जॉंच कराकर “मोदी की गारंटी” की सुरक्षा करना चाहिए. वरना मोदी की गारंटी सिर्फ़ भ्रष्टाचार की गारंटी बनकर रह जायेगी. कांग्रेस महासचिव श्री राकेश सिंह यादव के अनुसार केंद्रीय एजेंसियों के जॉंच करने पर स्थानीय स्तर पर घोटाले के सरग़ना सफ़ेदपोश भाजपा नेता बेनक़ाब हो जायेंगे. मोदी की गारंटी की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री को सेंट्रल एजेंसी के माध्यम से सारे घोटाले की जॉंच कराने के आदेश प्रदेश के मुखिया मोहन सरकार को देना चाहिए.