इंदौर

indore news : मोर्चा प्रदेश-शहर अध्यक्ष के साथ मारपीट पर सख्त भाजपा, मोर्चा से बेदख़ल, पद छीना

नितिनमोहन शर्मा
indore news : मोर्चा प्रदेश-शहर अध्यक्ष के साथ मारपीट पर सख्त भाजपा, मोर्चा से बेदख़ल, पद छीना
indore news : मोर्चा प्रदेश-शहर अध्यक्ष के साथ मारपीट पर सख्त भाजपा, मोर्चा से बेदख़ल, पद छीना

 "हरिराम" ने फंसवा दिया ---नितिनमोहन शर्मा...✍️ 

  • शुभेंदु गौड़ को भारी पड़ी मारपीट, नयन सोनी भी बर्खास्त, अब दे रहे सफाई 

  •  स्थानीय नेताओं के फीडबैक के बाद हुई कठोर कार्रवाई, सकते में गौड़ केम्प

  • प्रदेश अध्यक्ष के साथ कार में सवार थे 5 नेता, शोक बैठक की बात पर मिर्च लगाकर की गई 'मुखबिरी' 

  1.  युवाओं के हाथों पार्टी का भविष्य देने निकली भाजपा के लिए इन्दौर का शुभेंदु कांड एक सबक हैं। पार्टी स्वयम को एक परिवार मानती हैं तो उसे परिवार में आने वाले नए मेहमान को ये भी बताना होगा कि किस तरह से कुटुंब के वरिष्ठ सदस्यों से पेश आना हैं। पद भले ही बगेर जमीन पर पसीना बहाए दे रहे हो लेकिन पार्टी संस्कार तो देना होंगे। अन्यथा वैसी ही फ़जीहत होगी, जैसी इन्दौर में युवा मोर्चा के प्रदेश व शहर अध्यक्ष की पिटाई से हुई। वो भी अपने ही दल के नेताओ के हाथों। 
  2. "हरिराम" की बात में आकर भाजपा की यूथ विंग भाजयुमो के प्रदेश मंत्री शुभेंदु गौड़ अपना राजनीतिक नुकसान करा बैठे। 5 लोगों के बीच हुई आपस की बात को, बातचीत में शामिल "हरिराम" ने मिर्च मसाला लगाकर इस तरह पेश किया कि  शुभेंदु और उनके समर्थक अपना आपा खो बैठे। जिस हरिराम ने ये " बिच्छुगिरी " की थी, उसकी नजर शहर अध्यक्ष पद पर भी हैं। उसने मुखबिरी कर ऐसी आग लगाई जिसमे मोर्चा के प्रदेश मंत्री का राजनीतिक कैरियर स्वाहा हो गया। शहर अध्यक्ष भी इसमें झुलसते झुलसते बाल बाल बचें।
  3. हरिराम की मंशा शहर अध्यक्ष को भी उलझाने की थी। ताकि अपनी 2 बरस की महत्वाकांक्षा को अध्यक्ष बनकर पूरा किया जा सके। इस पूरे घटनाक्रम से विधानसभा 4 की राजनीति से जुड़ा गौड़ केम्प सकते में आ गया। क्योकि इस घटना की आड़ में इस केम्प की जबरदस्त घेराबंदी हो गईं। सूत्र बताते है कि करीब 2 दर्जन स्थानीय नेताओं ने इस विषय पर प्रदेश नेतृत्व को फ़ीडबैक देकर विधानसभा 4 में चल रही गतिविधियों को सिलसिलेवार रखा। इसमे एक पूर्व विधायक भी शामिल हैं। इसके बाद प्रदेश नेतृत्व ने सख्त कार्रवाई करते हुए प्रदेश मंत्री शुभेंदु गौड़ और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नयन सोनी को बर्खास्त कर दिया।
  4. पूरा मामला मोर्चा के एक महामंत्री की मुखबिरी से जुड़ा हैं। प्रदेश अध्यक्ष जिस दिन इन्दौर आये, उस दिन उनकी कार में उनके अलावा शहर अध्यक्ष सौगात मिश्रा, महामंत्री निक्की राय, धीरज ठाकुर और एक प्रदेश कार्यालय मंत्री साथ मे सवार थे। उसी दौरान शुभेंदृ के यहां शोक व्यक्त करने जाने की बात सामने आई। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उनके पिता का निधन हुआ है।
  5. इस पर शहर अध्यक्ष ने कहा कि पिता का नही, बड़े पापा का निधन हुआ हैं। फिर तय हुआ कि स्थानीय कार्यक्रम के बाद वहां जाना हैं। इस पर एक महामंत्री ने पहले गोड के यहां जाने को कहा। इस पर तय हुआ कि पहले कार्यक्रम अटेंड कर लेवे। फिर सांसद शंकर लालवानी सहित अन्य जगह शोक बैठक में जाएंगे। बस इस बात को कार में सवार एक महामंत्री ने गौड़ को गलत तरीके से पेश कर दिया। ये महामंत्री, गौड़ के मित्र भी हैं। लिहाजा शुभेंदु ने मित्र की बात को सच माना और सारा बवाल खड़ा हो गया। 
  • धन का दम, पूर्व विधायक का सपोर्ट 

  1. घटना के बाद भाजपाई गलियारों में जिस महामंत्री को हरिराम कहकर नवाजा जा रहा हैं, उसकी भाजपा की राजनीति में गिनती के दिन महीने भी नही हुए। लेकिन बेतहाशा धन और एक हारे हुए पूर्व विधायक की शह से ये धनबली तेजी से भाजपा की राजनीति में ऊपर आया। हारे हुए पूर्व विधायक ने पहले पार्षद टिकट और बाद में मोर्चा अध्यक्ष बनवाने के नाम पर महामंत्री का जमकर आर्थिक शोषण किया। चूंकि मामला पैसे का था। लिहाजा महामंत्री तो बन ही गया। 
  2. नई भाजपा में इस तरह से पद अब आम हैं। बगेर जमीन पर काम किये सीधे शहर, प्रदेश के पद मिल रहे हैं। शुभेंदु जिस पद पर थे, वह प्रदेश मंत्री का था। इस शहर को आज भी याद है जब कैलाश विजयवर्गीय प्रदेश मंत्री बने थे तो किस तरह शहर भाजपा में जोश जागा था। रैली तक निकली थी। तब जमीन पर पसीना बहाने के बाद इस तरह के बड़े दायित्व मिलते थे। अब हालात ये है कि शुभेंदृ कांड के बाद शहर और शहर भाजपा के कई नेताओं को पता चला कि वे प्रदेश मंत्री जैसे भारी भरकम दायित्व पर थे।
  3. युवाओं को आगे लाने निकली भाजपा को समझना होगा कि नई बहू घर लाओ तो उसे संस्कार भी सिखाना होगा कि किस तरह घर मे जेठ, देवर, सास, ससुर, ननद से बात करनी हैं। अगर ये संस्कार दिए होते तो घर के मुखिया यानी प्रदेश अध्यक्ष  के समक्ष किस तरह से पेश आना है, ये याद रहता। न स्वयम की ओर न पार्टी की फ़जीहत होती।
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