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ड्रैगन अपनी अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में सभी निगेटिव न्‍यूज हटाने में जुटा

paliwalwani
ड्रैगन अपनी अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में सभी निगेटिव न्‍यूज हटाने में जुटा
ड्रैगन अपनी अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में सभी निगेटिव न्‍यूज हटाने में जुटा

चीन 

चीन अपनी इकॉनमी की निगेटिव कवरेज से बौखला गया है। इंटरनेट से ऐसी सभी खबरों को साफ करने के लिए उसने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की रिपोर्ट में बताया गया है कि ड्रैगन अपनी अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में सभी निगेटिव न्‍यूज हटाने में जुटा हुआ है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो शी जिनपिंग सरकार चीनियों के सामने सच नहीं आने देना चाहती है।

भारत तीन सालों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बनने की दिशा में

जानकारी के लिए बता दें कि यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब भारत तीन सालों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बनने की दिशा में आगे बढ़ चला है। 2030 तक भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था 7 ट्रिलियन डॉलर की हो जाने का अनुमान है। भारतीय अर्थव्यवस्था के 2023-24 में 7.3 फीसदी की दर से बढ़ने के आसार हैं। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी कह चुका है कि तमाम उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं में भारत की तेज रफ्तार बनी रहेगी।

इस सप्ताह द न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) और द वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्टों के मुताबिक, चीनी अधिकारियों को देश की अर्थव्यवस्था पर इंटरनेट पर निगेटिव कवरेज को हटाने का आदेश दिया गया है।

चीन की अर्थव्‍यवस्‍था पर ‘झूठे नैरेटिव’ पर विश्वास नहीं करना चाहिए

NYT के अनुसार, गृह‍ मंत्रालय ने अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट में कहा कि नागरिकों को चीन की अर्थव्‍यवस्‍था पर ‘झूठे नैरेटिव’ पर विश्वास नहीं करना चाहिए। इसके बजाय उन्‍हें राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नजरिये पर भरोसा करने की जरूरत है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने उन फाइनेंशियल एक्‍सपर्ट्स और इकोनॉमिस्‍ट्स के सोशल मीडिया और न्‍यूज आर्टिकल्‍स को सेंसर करना शुरू कर दिया है जो नकारात्मक दृष्टिकोण साझा करते हैं। डब्ल्यूएसजे ने इसी तरह बताया कि देश के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने चीन की अर्थव्यवस्था की उज्ज्वल संभावनाओं को बढ़ावा देने के महत्व को दोहराया है।

कई तरह की समस्‍याओं से घिर चुका है चीन

चीन के अधिकारियों ने इस वर्ष भी विकास के लिए आशावादी आउटलुक रखा है। इसके उलट सच यह है कि चीनी अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त रियल एस्टेट सेक्‍टर, शेयरों में गिरावट, डिफ्लेशन और युवा बेरोजगारी सहित मंदी की प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझ रही है। सेंसरशिप की ताजा कोशिश बीजिंग के नीति निर्माताओं की राष्ट्रीय सुरक्षा और बाहरी धारणा पर चिंता की ओर इशारा करती है। यह सवाल उठाता है कि चीन के पास अपनी जनता को झूठ दिखाने के अलावा कुछ नहीं है।

भारत 2027-28 या 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

जब चीन के पांव लड़खड़ा रहे हैं तब भारत डंके की चोट पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जाने का दम भर रहा है। मजबूत घरेलू मांग, युवा आबादी, बढ़ता मध्‍यम वर्ग, निजी निवेश में बढ़ोतरी, सरकार की ओर से बुनियादी ढांचे में निवेश, कृषि क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन जैसे कई फैक्‍टर इसकी पिच तैयार कर रहे हैं। आईएमएफ, विश्‍व बैंक, एशियाई विकास बैंक जैसे तमाम संगठनों का अनुमान है कि भारत 2027-28 या 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

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