दिल्ली
उर्जित पटेल के पीछे छिपा इस्तीफा का राज
Ayush paliwal...✍️नईदिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कल सोमवार को अपने पद से इस्तीफा देकर नरेन्द्र मोदी की सरकार को संकट में डाल दिया। मोदी सरकार के साथ कई मसलों पर लंबी तनातनी के बाद उनके इस्तीफे की चर्चा चल रही थी।
लेकिन सरकार कह रही थी कि सब ठीक चल रहा है। अचानक पटेल का इस्तीफे के पीछे कई राज छिपे होने की चर्चा राजनीति के गलियारों में भी होने लग गई। उर्जित पटेल का कार्यकाल सितंबर 2019 तक था। अपने निर्धारित कार्यकाल से 9 महीने पहले पद से हटने का फ़ैसला मोदी सरकार को संकट में डालने वाला रहा वही विपक्ष नोटबंदी ओर जीएसटी जैसे मुद्वे पर आक्रमण रूख अपनाकर मोदी सरकार को घेरने में पीछे नहीं रहेगा, क्योंकि आज 5 राज्यों के विधानसभा परिणाम भी बहुत कुछ बयां करेगा।
? RBI के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करेगा
लगभग चार साल तक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर रहने के बाद उर्जित ने 4 सितंबर 2016 को गवर्नर का पद संभाला था। पटेल ने अपने इस्तीफ़े की वजह निजी बताई है। लेकिन कहा जा रहा है कि रिज़र्व बैंक की स्वायत्ता, कैश फ्लो और ब्याज दरों में कमी नहीं करने को लेकर उनका सरकार के साथ टकराव था। पटेल का इस्तीफा ऐसे समय पर आया है। जब आज मंगलवार को 5 राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम की विधानसभा चुनावों के नतीजे आने वाले हैं। संसद का शीतकालीन सत्र भी मंगलवार से ही शुरू हो रहा है। और चार दिन बाद यानी 14 दिसंबर को रिज़र्व बैंक की बोर्ड बैठक निर्धारित है। सोमवार को ही विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की रणनीति बनाने के लिए बैठक भी की। रफ़ाल रक्षा सौदा, बेरोज़गारी, किसान समेत कई मसलों को लेकर पहले से ही केंद्र सरकार पर हमलावर विपक्ष अब आरबीआई के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।
रिज़र्व बैंक और मोदी सरकार के बीच तनातनी पहली बार तब उभर कर सामने आई थी जब डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 26 अक्टूबर को एक कार्यक्रम में रिज़र्व बैंक की स्वायत्तता की वक़ालत की थी। विरल आचार्य ने मुंबई में देश के बड़े उद्योगपतियों के एक इवेंट में कहा था। ’केंद्रीय बैंक की आज़ादी को कमज़ोर करना त्रासदी जैसा हो सकता है। जो सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता की अनदेखी करती हैं। उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।
? केंद्रीय बैंक नीलकंठ की तरह विषपान करेगा
कुछ दिन पहले ही उर्जित पटेल ने बैंकों में धोखाधड़ी पर गहरा दुख जताते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक नीलकंठ की तरह विषपान करेगा और अपने ऊपर फेंके जा रहे पत्थरों का सामना करेगा। लेकिन हर बार पहले से बेहतर होने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ेगा। इसी महीने की शुरुआत में जब आरबीआई ने ब्याज़ दरों की समीक्षा की और इनमें किसी तरह का बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया था, तब मोदी सरकार के साथ चल रहे गतिरोध से संबंधित सवाल पूछे जाने पर उर्जित पटेल ने इस पर कोई भी जवाब देने से मना कर दिया था। तब से समझा जाने लगा था कि कभी भी उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते है। वरिष्ठ अधिकारियों की राय आज ठीक बैठी।
? विवाद का विषय बना आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7
केन्द्र सरकार और आरबीआई के बीच एक और विवाद का विषय बना आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7. इस सेक्शन के तहत केन्द्र सरकार जनहित में अहम मुद्दों पर आरबीआई को निर्देश दे सकती है। हालांकि केन्द्र सरकार ने कहा था कि उसने इस सेक्शन का इस्तेमाल नहीं किया है।
? रेटिंग एजेंसियों को और चौकन्ना कर देगा
आर्थिक मामलों के जानकार सुदीप बंद्योपाध्याय का कहना है कि ग्रोथ रेट घटाने की ख़बरों के बीच गवर्नर का पूरा कार्यकाल किए बगैर बीच में पद छोड़ देना रेटिंग एजेंसियों को और चौकन्ना कर देगा।
फोटो-फाईल
पालीवाल वाणी ब्यूरो-Ayush paliwal...✍️
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