दिल्ली

रिलायंस फाउंडेशन ने किया वंतारा की घोषणा : भारत में अपनी तरह का पहला पशु बचाव, देखभाल, संरक्षण और पुनर्वास कार्यक्रम

paliwalwani
रिलायंस फाउंडेशन ने किया वंतारा की घोषणा : भारत में अपनी तरह का पहला पशु बचाव, देखभाल, संरक्षण और पुनर्वास कार्यक्रम
रिलायंस फाउंडेशन ने किया वंतारा की घोषणा : भारत में अपनी तरह का पहला पशु बचाव, देखभाल, संरक्षण और पुनर्वास कार्यक्रम

श्री अनंत अंबानी द्वारा गठित वंतारा का लक्ष्य है-वैश्विक संरक्षण प्रयास में अग्रणी योगदानकर्ता

नई दिल्ली : रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन ने आज अपने वंतारा (जंगल का सितारा) कार्यक्रम के शुभारंभ की घोषणा की, जो भारत सहित विदेशों में भी घायल, शोषित और खतरे में पड़े जानवरों के बचाव, उपचार, देखभाल और पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक व्यापक पहल है।

गुजरात में रिलायंस के जामनगर रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के ग्रीन बेल्ट के भीतर 3000 एकड़ में फैले वंतारा का लक्ष्य विश्व स्तर पर संरक्षण प्रयासों में अग्रणी योगदानकर्ताओं में से एक बनना है। जानवरों की देखभाल और कल्याण में अग्रणी विशेषज्ञों के साथ काम करके वंतारा ने 3000 एकड़ के विशाल स्थान को जंगल जैसे वातावरण में बदल दिया है, जो बचाई गई प्रजातियों के लिए प्राकृतिक, समृद्ध और हरे-भरे आवास की अनुभूति प्रदान करता है।

वंतारा पहल, भारत में अपनी तरह की पहली पहल है, जिसे आरआईएल और रिलायंस फाउंडेशन के निदेशक मंडल के निदेशक श्री अनंत अंबानी के उत्साही नेतृत्व में संकल्पित किया गया है। श्री अंबानी जामनगर में रिलायंस के महत्त्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा व्यवसाय का भी नेतृत्व कर रहे हैं और 2035 तक नेट कार्बन शून्य कंपनी बनने की रिलायंस की यात्रा का नेतृत्व करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

वंताराअत्याधुनिक स्वास्थ्य देखभाल, अस्पतालों, अनुसंधान और शैक्षणिक केंद्रों सहित सर्वाेत्तम श्रेणी के पशु संरक्षण व देखभाल पर केंद्रित है। अपने कार्यक्रमों के भीतर, वंतारा उन्नत अनुसंधान को एकीकृत करने और प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों तथा संगठनों जैसे इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के साथ सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

पिछले कुछ वर्षों में, कार्यक्रम ने 200 से अधिक हाथियों, हजारों अन्य जानवरों, सरीसृपों और पक्षियों को असुरक्षित स्थितियों से बचाया है। इसने गैंडा, तेंदुआ और मगरमच्छ पुनर्वास सहित प्रमुख प्रजातियों में पहल की है।

हाल ही में, वंतारा ने मैक्सिको, वेनेज़ुएला आदि देशों में विदेशी बचाव अभियानों में भी भाग लिया है। वंतारा कार्यक्रम के माध्यम से मध्य अमेरिकी चिड़ियाघर अधिकारियों के एक कॉल का जवाब देते हुए कई बड़े जानवरों को लाया गया है। ऐसे सभी बचाव और पुनर्वास मिशन भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानूनी एवं नियामक ढांचे के तहत किए जाते हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री अनंत अंबानी ने कहा, “जो चीज़ मेरे लिए बहुत कम उम्र में एक जुनून के रूप में शुरू हुई थी वह अब वंतारा और हमारी शानदार टीम के साथ एक मिशन बन गई है। हम गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम महत्त्वपूर्ण आवासों को बहाल करने के साथ-साथ प्रजातियों के लिए तत्काल खतरों का समाधान करना चाहते हैं और वंतारा को एक अग्रणी संरक्षण कार्यक्रम के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। हमें खुशी है कि हमारे प्रयासों को भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है।

भारत सहित दुनिया के कुछ शीर्ष प्राणीशास्त्र और चिकित्सा विशेषज्ञ हमारे मिशन में शामिल हुए हैं और हमें सरकारी निकायों, अनुसंधान तथा शैक्षणिक संस्थानों का सक्रिय सहयोग एवं मार्गदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है। वंतारा का लक्ष्य प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और पशु देखभाल बुनियादी ढांचे के मामले में भारत के सभी 150 से अधिक चिड़ियाघरों को बेहतर बनाने के लिए भारतीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और अन्य संबंधित सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी करना है। हमें उम्मीद है कि वंतारा विश्व स्तर पर आशा की किरण बनेगी और यह प्रदर्शित कर सकती है कि कैसे एक दूरदर्शी संस्थान वैश्विक जैव विविधता संरक्षण पहल में मदद कर सकता है।”

उस विचार के बारे में बताते हुए जिसने उन्हें वंतारा स्थापित करने के लिए प्रेरित किया, अंबानी कहते हैंरू “वंतारा आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी व्यावसायिकता की उत्कृष्टता के साथ करुणा के सदियों पुराने नैतिक मूल्य का एक संयोजन है। मैं जीव सेवा (पशु देखभाल) को ईश्वर के साथ-साथ मानवता की सेवा के रूप में देखता हूँ।

वंतारा में हाथियों के लिए एक केंद्र है और शेर, बाघ, मगरमच्छ, तेंदुए आदि सहित कई अन्य बड़ी और छोटी प्रजातियों के लिए सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

हाथी केंद्र : वंतारा में हाथियों के लिए केंद्र 3000 एकड़ परिसर के एक बड़े हिस्से में फैला हुआ है, जिसमें अत्याधुनिक आश्रय स्थल, वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किए गए दिन और रात के बाड़े, हाइड्रोथेरेपी पूल, जल निकाय और हाथियों में गठिया के इलाज के लिए एक बड़ा हाथी जकूज़ी है।

यह 200 से अधिक हाथियों का घर है, जिनकी देखभाल पशुचिकित्सकों, जीवविज्ञानी, रोगविज्ञानी, पोषण विशेषज्ञ और प्रकृतिवादियों सहित 500 से अधिक लोगों के एक विशेष और प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा चौबीसों घंटे की जाती है। पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों, विविध उपचारों के लिए लेजर मशीनों, पूरी तरह से सुसज्जित फार्मेसी, सभी नैदानिक परीक्षणों के लिए एक पैथोलॉजी, निदान के लिए आयातित हाथी निरोधक उपकरण, हाइड्रोलिक पुली और क्रेन, हाइड्रोलिक सर्जिकल टेबल और हाथियों के लिए एक हाइपरबेरिक ऑक्सीजन कक्ष से सुसज्जित केंद्र में 25,000 वर्ग फुट का हाथी अस्पताल है, जो दुनिया में सबसे बड़ा है। अ

स्पताल मोतियाबिंद और एंडोस्कोपिक निर्देशित सर्जरी (अपनी तरह के पहले विशेष रूप से डिजाइन किए गए एंडोस्कोपी उपकरण के साथ) करता है और किसी भी आवश्यक सर्जरी को अंजाम देने में सक्षम है। केंद्र में 14000 वर्ग फुट से अधिक की एक विशेष रसोई है जो प्रत्येक हाथी के लिए उनके स्वास्थ्य सहित उनकी शारीरिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक क्यूरेटेड आहार तैयार करने के लिए समर्पित है।

केंद्र हाथियों की देखभाल के लिए आयुर्वेद तकनीकों का भी अनुकरण करता है। गर्म तेल की मालिश से लेकर मुल्तानी मिट्टी तक, आयुर्वेद चिकित्सक भी हाथियों के लिए चौबीसों घंटे काम करते हैं।

बचाव एवं पुनर्वास केंद्र : अन्य जंगली जानवरों के लिए जिन्हें सर्कस या भीड़भाड़ वाले चिड़ियाघरों में तैनात किया गया है, 3000 एकड़ परिसर के भीतर 650 एकड़ से अधिक का एक बचाव और पुनर्वास केंद्र बनाया गया है, जहाँ भारत सहित दुनिया भर के संकटग्रस्त एवं खतरनाक वातावरण के जानवरों को अत्याधुनिक बड़े बाड़े और आश्रय स्थल में रखा व बचाया जाता है।

लगभग 2100 से अधिक कर्मचारियों की ताकत के साथ, बचाव और पुनर्वास केंद्र ने पूरे भारत से लगभग 200 तेंदुओं को बचाया है, जो सड़क दुर्घटनाओं या मानव-जंगली संघर्षों में घायल हुए हैं। इसने तमिलनाडु में अत्यधिक भीड़भाड़ वाली जगहों से 1000 से अधिक मगरमच्छों को बचाया है। इसने अफ्रीका में शिकार घरों से जानवरों को बचाया है। स्लोवाकिया में मृत्यु के खतरे में पड़े जानवरों और मेक्सिको में गंभीर रूप से परेशान जानवरों को बचाया है।

केंद्र में 1 लाख वर्ग फुट का अस्पताल और चिकित्सा अनुसंधान केंद्र है। अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के पास आईसीयू, एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी, डेंटल स्केलर, लिथोट्रिप्सी, डायलिसिस, ओआर1 जैसे सबसे उन्नत तकनीक है जो सर्जरी और रक्त प्लाज्मा सेपरेटर के लिए लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को सक्षम बनाती है।

बचाव एवं पुनर्वास केंद्र की देखरेख में 43 प्रजातियों के 2000 से अधिक जानवर हैं। भारतीय और विदेशी जानवरों की लगभग 7 लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए केंद्र ने संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय प्रजातियों की आबादी को विलुप्त होने से बचाना तथा उन्हें उनके मूल आवासों में फिर से बसाना है।

आज, वंतारा इकोसिस्टम ने 200 से अधिक हाथियों, 300 से अधिक बड़े जानवरों जैसे तेंदुए, बाघ, शेर, जगुआर आदि, 300 से अधिक शाकाहारी जानवरों जैसे हिरण और 1200 से अधिक सरीसृप जैसे मगरमच्छ, सांपों और कछुए को जीवन जीने की एक नई उम्मीद दिखाई है।

बचाव और विनिमय में अनुपालन : वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और मान्यता चिड़ियाघर नियम, 2009 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्यों के मुख्य वन्यजीव वार्डन और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की पूर्व मंजूरी प्राप्त करने के बाद सभी बचाए गए जानवरों को वंतारा में लाया गया है। सभी पशु विनिमय कार्यक्रम केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के अनुमोदन/अनुमति पर किये जाते हैं। वंतारा ने भारत और विदेशों में अन्य संस्थानों के अनुरोधों के आदान-प्रदान का भी जवाब दिया है। ऐसे जानवरों को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विदेश व्यापार महानिदेशालय, पशुपालन और डेयरी विभाग और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद लाया गया था।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : वेनेज़ुएला नेशनल फाउंडेशन ऑफ़ ज़ूज़ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करने और स्मिथसोनियन तथा वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ ज़ूज़ एंड एक्वेरियम जैसे दुनिया भर के प्रतिष्ठित संगठनों के साथ मिलकर वंतारा कार्यक्रम को काफी फायदा हुआ है। भारत में, यह नेशनल जूलॉजिकल पार्क, असम स्टेट चिड़ियाघर, नागालैंड जूलॉजिकल पार्क, सरदार पटेल जूलॉजिकल पार्क आदि के साथ सहयोग करता है।

शिक्षा और जागरूकता : लोगों विशेषकर युवाओं और बच्चों के बीच संरक्षण के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वंतारा में ज्ञान और संसाधन आदान-प्रदान सहित शैक्षणिक संस्थानों के साथ घनिष्ठ सहयोग की परिकल्पना की गई है। यह आधुनिक और भविष्य के कुछ जानवरों के लिए एक प्रदर्शन क्षेत्र के निर्माण की परिकल्पना भी करता है, जलवायु नियंत्रित बाड़ों ने करुणा और देखभाल में नए मानकों को स्थापित किया है।

हरित क्षेत्र : यह विश्वास जताते हुए कि जानवरों का बचाव और संरक्षण हरियाली पहल के साथ-साथ चलना चाहिए, वंतारा कार्यक्रम में रिलायंस रिफाइनरी क्षेत्रों की निरंतर हरियाली की भी परिकल्पना की गई है और पहले से ही हजारों एकड़ भूमि को हरा-भरा किया गया है।

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
GOOGLE
Latest News
Trending News