Saturday, 12 July 2025

दिल्ली

चुनाव आयोग जानबूझकर चुनाव से जुड़ा अहम डेटा नष्ट करने की कोशिश : राहुल गांधी का EC पर बड़ा हमला

paliwalwani
चुनाव आयोग जानबूझकर चुनाव से जुड़ा अहम डेटा नष्ट करने की कोशिश : राहुल गांधी का EC पर बड़ा हमला
चुनाव आयोग जानबूझकर चुनाव से जुड़ा अहम डेटा नष्ट करने की कोशिश : राहुल गांधी का EC पर बड़ा हमला

नई दिल्ली.

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को एक बार फिर चुनाव आयोग (Election Commission) की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि चुनाव आयोग जानबूझकर चुनाव से जुड़ा अहम डेटा नष्ट करने की कोशिश कर रहा है। राहुल गांधी ने शनिवार को चुनाव आयोग पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वह जानबूझकर चुनाव से जुड़े जरूरी दस्तावेज और डेटा नष्ट कर रहा है। 

राहुल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वोटर लिस्ट मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में नहीं दी जाएगी, सीसीटीवी फुटेज कानून बदलकर छिपा दी गई है, और अब चुनाव की फोटो-वीडियो को एक साल नहीं, सिर्फ 45 दिन में ही नष्ट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिससे जवाब चाहिए, वही सबूत मिटा रहा है, यानी “मैच फिक्स है” और फिक्स चुनाव लोकतंत्र के लिए ज़हर है।

राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि ऐसा कदम मतदाताओं की निजता और सुरक्षा संबंधी चिंताओं का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस तरह की मांग उनकी धारणा के लिए ठीक है, जो मतदाता हितैषी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सुरक्षा के लिए उपयुक्त लगती हैं, लेकिन वास्तव में इसका मकसद बिल्कुल विपरीत उद्देश्य को प्राप्त करना है।

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि राहुल गांधी की मांगें 1950 और 1951 के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हैं. आयोग ने यह भी कहा कि वह कानून और संविधान के अनुसार ही काम कर रहा है, और मतदाताओं की सुरक्षा व चुनाव की निष्पक्षता को बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है।

चुनाव आयोग ने उदाहरण के साथ समझाया

उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि यदि किसी विशेष राजनीतिक दल को किसी विशेष बूथ पर कम वोट मिलते हैं तो वह सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से आसानी से पहचान सकता है कि किस मतदाता ने वोट दिया है और किस मतदाता ने नहीं। उसके बाद उन्हें परेशान या धमकाया जा सकता है। निश्चित रूप से चुनाव आयोग सीसीटीवी फुटेज को 45 दिनों की अवधि के लिए अपने पास रखता है, जो पूरी तरह से एक आंतरिक प्रबंधन है। यह अनिवार्य आवश्यकता नहीं है। यह प्रक्रिया भी चुनाव याचिका दायर करने के लिए निर्धारित अवधि की वजह से है।

45 दिनों तक फुटेज को सहेजने की वजह बताई

अधिकारियों ने साफ किया कि परिणाम की घोषणा के 45 दिनों के बाद किसी भी चुनाव को चुनौती नहीं दी जा सकती है। इसलिए इस अवधि से अधिक समय तक फुटेज को अपने पास रखने से गैर-प्रतियोगियों कर ओर से गलत सूचना और दुर्भावनापूर्ण खबरें फैलाने के लिए सामग्री का दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि यदि 45 दिनों के भीतर चुनाव याचिका दायर की जाती है, तो सीसीटीवी फुटेज को नष्ट नहीं किया जाता है और मांगे जाने पर इसे सक्षम न्यायालय को भी उपलब्ध कराया जाता है।

मतदाता की गोपनीयता बनाए रखना चुनाव आयोग का कर्तव्य

पदाधिकारियों ने कहा कि मतदाता की गोपनीयता बनाए रखना चुनाव आयोग के लिए अपरिहार्य है। आयोग ने कानून में निर्धारित इस आवश्यक सिद्धांत पर कभी समझौता नहीं किया है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा है। अपने इलेक्ट्रॉनिक डेटा के दुर्भावनापूर्ण जरिया बनने के डर से चुनाव आयोग ने अपने राज्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि यदि उस अवधि के भीतर अदालतों में फैसले को चुनौती नहीं दी जाती है, तो वे 45 दिनों के बाद चुनाव प्रक्रिया के सीसीटीवी कैमरे, वेबकास्टिंग और वीडियो फुटेज को नष्ट कर दें।

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